द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् अर्थ और महत्त्व

द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् जानिये अर्थ और महत्त्व

द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् लिरिक्स Dwadasa Jyotirlinga Stotram Lyrics
 
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम् |
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये || १||
श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम् |
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् || २||
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् |
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् || ३||
कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय |
सदैवमान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे || ४||
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम् |
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि || ५||
याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये, विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः |
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये || ६||
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः |
सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे || ७||
सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे |
यद्धर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे || ८||
सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः |
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि || ९||
यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च |
सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि || १०||
सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम् |
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये || ११||
इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् |
वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणम् प्रपद्ये || १२||
ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण |
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च ||
|| इति द्वादश ज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रं संपूर्णम् ||

द्वादश ज्योतिर्लिंग का महत्त्व क्या है ?

द्वादश ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्त्व है। ये वे १२ स्थान हैं जहाँ पर शिव जी स्वंय प्रकट हुए। इन्ही बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। जो जातक नित्य ही सुबह और शाम को इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम का सुमिरन करता है, उसके पूर्व जन्मों के पाप भी कट जाते हैं। 

12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग कौन सा है?

पवित्र 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला है ज्योतिर्लिंग गुजरात का सोमनाथ मंदिर है जो अत्यधिक पवित्र और पावन माना जाता है। शिव पुराण में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पृथ्वी के सभी ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम बताया है। यह ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है।
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम् |
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये || १||



Dwadash Jyotirlinga Stotram with Lyrics | Pt. Mritunjay Hiremath | Saurashtre Somnatham | Shiv Stotr
 
श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र, श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों की महिमा का गहन और भक्तिपूर्ण वर्णन करता है, जो भक्त को शिव की शरण में ले जाकर जीवन के सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह स्तोत्र प्रत्येक ज्योतिर्लिंग—सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, केदारनाथ, त्र्यम्बकेश्वर, रामेश्वर, भीमाशंकर, विश्वनाथ और घृष्णेश्वर—के दिव्य स्वरूप, उनके पवित्र स्थानों और भक्तों पर उनकी कृपा का बखान करता है। भक्त को यह संदेश देता है कि इन ज्योतिर्लिंगों का स्मरण और भक्तिपूर्वक स्तोत्र पाठ करने से पापों का नाश, मृत्यु का भय समाप्त, और सुख, शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र भक्त को सिखाता है कि शिव की भक्ति में लीन होकर वह संसार सागर से पार हो सकता है और जीवन की हर बाधा को शिव की कृपा से दूर कर सकता है।
 
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