गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र एक बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा से गजेन्द्र को मोक्ष प्राप्त होने की कथा कहता है। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने का समय
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम को होता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करना और पूजा-पाठ करना चाहिए।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने की विधि
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे पहले मंदिर या पूजा-स्थल पर जाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। फिर दीपक और धूप जलाएं और भगवान विष्णु को नमस्कार करें। उसके बाद गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ शुरू करें
गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
ओं नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि ||
यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयम
योऽस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम ||
यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितं क्वचिद्विभातं क्व च तत्तिरोहितम
अविद्धदृक्साक्ष्युभयं तदीक्षते स आत्ममूलोऽवतु मां परात्परः ||
कालेन पञ्चत्वमितेषु कृत्स्नशो लोकेषु पालेषु च सर्वहेतुषु
तमस्तदासीद्गहनं गभीरं यस्तस्य पारेऽभिविराजते विभुः ||
न यस्य देवा ऋषयः पदं विदुर्जन्तुः पुनः कोऽर्हति गन्तुमीरितुम
यथा नटस्याकृतिभिर्विचेष्टतो दुरत्ययानुक्रमणः स मावतु ||
दिदृक्षवो यस्य पदं सुमङ्गलं विमुक्तसङ्गा मुनयः सुसाधवः
चरन्त्यलोकव्रतमव्रणं वने भूतात्मभूताः सुहृदः स मे गतिः ||
न विद्यते यस्य च जन्म कर्म वा न नामरूपे गुणदोष एव वा
तथापि लोकाप्ययसम्भवाय यः स्वमायया तान्यनुकालमृच्छति ||
तस्मै नमः परेशाय ब्रह्मणेऽनन्तशक्तये
अरूपायोरुरूपाय नम आश्चर्यकर्मणे ||
नम आत्मप्रदीपाय, साक्षिणे परमात्मने
नमो गिरां विदूराय मनसश्चेतसामपि ||
सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्चिता
नमः कैवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे ||
नमः शान्ताय घोराय मूढाय गुणधर्मिणे
निर्विशेषाय साम्याय नमो ज्ञानघनाय च ||
क्षेत्रज्ञाय नमस्तुभ्यं सर्वाध्यक्षाय साक्षिणे
पुरुषायात्ममूलाय मूलप्रकृतये नमः ||
सर्वेन्द्रियगुणद्रष्ट्रे सर्वप्रत्ययहेतवे
असता च्छाययोक्ताय सदाभासाय ते नमः ||
नमो नमस्तेऽखिलकारणाय निष्कारणायाद्भुतकारणाय
सर्वागमाम्नायमहार्णवाय नमोऽपवर्गाय परायणाय ||
गुणारणिच्छन्नचिदुष्मपाय तत्क्षोभविस्फूर्जितमानसाय
नैष्कर्म्यभावेन विवर्जितागम स्वयंप्रकाशाय नमस्करोमि ||
मादृक्प्रपन्नपशुपाशविमोक्षणाय मुक्ताय भूरिकरुणाय नमोऽलयाय
स्वांशेन सर्वतनुभृन्मनसि प्रतीत प्रत्यग्दृशे भगवते बृहते नमस्ते ||
आत्मात्मजाप्तगृहवित्तजनेषु सक्तैर्दुष्प्रापणाय गुणसङ्गविवर्जिताय
मुक्तात्मभिः स्वहृदये परिभाविताय ज्ञानात्मने भगवते नम ईश्वराय ||
यं धर्मकामार्थविमुक्तिकामा भजन्त इष्टां गतिमाप्नुवन्ति
किं चाशिषो रात्यपि देहमव्ययं करोतु मेऽदभ्रदयो विमोक्षणम ||
एकान्तिनो यस्य न कञ्चनार्थं वाञ्छन्ति ये वै भगवत्प्रपन्नाः
अत्यद्भुतं तच्चरितं सुमङ्गलं गायन्त आनन्दसमुद्रमग्नाः ||
तमक्षरं ब्रह्म परं परेशमव्यक्तमाध्यात्मिकयोगगम्यम
अतीन्द्रियं सूक्ष्ममिवातिदूरमनन्तमाद्यं परिपूर्णमीडे ||
यस्य ब्रह्मादयो देवा वेदा लोकाश्चराचराः
नामरूपविभेदेन फल्ग्व्या च कलया कृताः ||
यथार्चिषोऽग्नेः सवितुर्गभस्तयो निर्यान्ति संयान्त्यसकृत्स्वरोचिषः
तथा यतोऽयं गुणसम्प्रवाहो बुद्धिर्मनः खानि शरीरसर्गाः ||
स वै न देवासुरमर्त्यतिर्यङ्न स्त्री न षण्ढो न पुमान्न जन्तुः
नायं गुणः कर्म न सन्न चासन्निषेधशेषो जयतादशेषः ||
जिजीविषे नाहमिहामुया किमन्तर्बहिश्चावृतयेभयोन्या
इच्छामि कालेन न यस्य विप्लवस्तस्यात्मलोकावरणस्य मोक्षम ||
सोऽहं विश्वसृजं विश्वमविश्वं विश्ववेदसम
विश्वात्मानमजं ब्रह्म प्रणतोऽस्मि परं पदम ||
योगरन्धितकर्माणो हृदि योगविभाविते
योगिनो यं प्रपश्यन्ति योगेशं तं नतोऽस्म्यहम ||
नमो नमस्तुभ्यमसह्यवेग शक्तित्रयायाखिलधीगुणाय
प्रपन्नपालाय दुरन्तशक्तये कदिन्द्रियाणामनवाप्यवर्त्मने ||
नायं वेद स्वमात्मानं यच्छक्त्याहंधिया हतम
तं दुरत्ययमाहात्म्यं भगवन्तमितोऽस्म्यहम ||
गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र क्या है, गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र के पाठ के लाभ / फायदे
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत वस्तुतः विष्णु जी की सहायता मांगने का जाप है। गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का नियमित पाठ करने से श्री विष्णु जी स्वंय मदद के लिए आते हैं। भगवन विष्णु जी साधक की उसी तरह से मदद करते हैं जैसे की उन्होंने गजेंद्र नाम के गज को भयानक मगरमच्छ के मुँह से निकला था। श्री मद्भागवत में इस का विवरण प्राप्त होता है। गजेंद्र ने ग्राह के मुख से बचने के लिए भगवन विष्णु जी को याद किया था और भगवान् विष्णु जी ने उसे मुक्त करवाया था। गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत के लाभ के बारे में माहात्म्य है की ये सभी पापों का नाशक है।गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र के लाभ
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत के कई लाभ हैं। इसका नित्य जाप करने से व्यक्ति के मुक्ति का मार्ग खुलता है और सभी संकट दूर होते हैं। इसके जाप से व्यक्ति विकट संकट से मुक्ति प्राप्त करता है। इसके जाप से कर्ज और पित्तर दोष शांत होता है। भगवन विष्णु जी के चरणोंमें घी का दीपक प्रज्वलित कर इसका जाप करने से लाभ प्राप्त होता है। इस स्त्रोत का जाप सूर्योदय सुद्ध होकरपूर्व दिशा की और मुँह करके किया जाना चाहिए। कर्ज मुक्ति के लिए इसका जाप करने से बड़े से बड़े प्रकार के ऋण से मुक्ति मिलती है।गजेन्द्र मोक्ष का परिचय
गजेन्द्र मोक्ष का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्रं का पाठ सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना जाता है।गजेंद्र मोक्ष की कहानी क्या है?
संक्षिप्त में बताएं तो गजेन्द्र को संकट में देखकर भगवान विष्णु गरुड़ की पीठ से कूदकर तहत गजेन्द्र के साथ ग्राह को भी सरोवर से बाहर खींच लाए थे। तुरंत अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह का मुंह फाड़कर गजेन्द्र को मुक्त किया था। ब्रह्मादि देवगण श्री हरि की प्रशंसा करते हुए उनके ऊपर स्वर्गिक सुमनों की वृष्टि करने लगे।ओं नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि ||
यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयम
योऽस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम ||
Gajendra Moksha Stotram
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र एक बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा से गजेन्द्र को मोक्ष प्राप्त होने की कथा कहता है। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के लाभ
- इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
- यह भक्त को मोक्ष की प्राप्ति में मदद करता है।
- यह भक्त को मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
- यह भक्त को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने का समय
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम को होता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करना और पूजा-पाठ करना चाहिए।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने की विधि
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे पहले मंदिर या पूजा-स्थल पर जाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। फिर दीपक और धूप जलाएं और भगवान विष्णु को नमस्कार करें। उसके बाद गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ शुरू करें।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के श्लोक
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र में कुल 33 श्लोक हैं। इन श्लोकों में भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी कृपा से गजेन्द्र को मोक्ष प्राप्त होने की कथा कही गई है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के लिए प्रार्थना
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे पहले निम्नलिखित प्रार्थना करें:
हे भगवान विष्णु, आप ही समस्त सृष्टि के पालनहार हैं। आप ही सभी दुखों से मुक्ति देने वाले हैं। आप ही मोक्ष के मार्ग को दिखाने वाले हैं। हे भगवान, मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपने आशीर्वाद से संकटों से मुक्त कर दें और मुझे मोक्ष प्रदान करें।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का गायन
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का गायन भी किया जाता है। गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के कई भजन और गायन हैं। इन भजनों और गीतों को सुनने और गाने से भी भक्त को लाभ होता है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का महत्व
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र एक बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है। कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गजेन्द्र-मोक्ष स्तोत्र का सूर्योदय से पूर्व प्रतिदिन पाठ करना चाहिए। यह एक अत्यंत प्रभावी उपाय है जिससे बड़े से बड़े कर्ज भी जल्दी उतर जाता है। गजेन्द्र-मोक्ष स्तोत्र में भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान विष्णु को कर्ज से मुक्ति देने वाला माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वह भक्त के कर्ज को उतारने में मदद करते हैं।
गजेन्द्र-मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनानी चाहिए:
- सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
- फिर दीपक और धूप जलाकर भगवान विष्णु को नमस्कार करें।
- उसके बाद गजेन्द्र-मोक्ष स्तोत्र का पाठ करें।
- स्तोत्र का पाठ करते समय मन में भगवान विष्णु के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।
- कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- मानसिक शांति और सुख प्राप्त होता है।
- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
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