हरी मेरे जीवन प्रान अधार लिरिक्स
हरी मेरे जीवन प्रान अधार।
और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार।।
आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार।।
और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार।।
आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार।।
मीरा बाई का यह भजन उनके आराध्य श्रीकृष्ण के प्रति गहन भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। आइए प्रत्येक पंक्ति का सरल हिंदी में अर्थ समझते हैं:
"हरि मेरे जीवन प्राण अधार।"
मीरा कहती हैं कि हरि (श्रीकृष्ण) ही मेरे जीवन और प्राणों के आधार हैं।
"और आसरो नांही तुम बिन, तीनू लोक मंझार।।"
तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) में आपके बिना मेरा कोई और आश्रय नहीं है।
"आप बिना मोहि कछु न सुहावै, निरख्यौ सब संसार।"
आपके बिना मुझे संसार की कोई भी वस्तु अच्छी नहीं लगती; मैंने पूरे संसार को देख लिया है।
"मीरा कहै मैं दासि रावरी, दीज्यो मती बिसार।।"
मीरा कहती हैं कि मैं आपकी दासी हूँ; मुझे ऐसा ज्ञान दीजिए जिससे मैं संसार को भुला सकूँ। इस भजन में मीरा बाई ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति और संसार से विरक्ति को व्यक्त किया है।
"हरि मेरे जीवन प्राण अधार।"
मीरा कहती हैं कि हरि (श्रीकृष्ण) ही मेरे जीवन और प्राणों के आधार हैं।
"और आसरो नांही तुम बिन, तीनू लोक मंझार।।"
तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) में आपके बिना मेरा कोई और आश्रय नहीं है।
"आप बिना मोहि कछु न सुहावै, निरख्यौ सब संसार।"
आपके बिना मुझे संसार की कोई भी वस्तु अच्छी नहीं लगती; मैंने पूरे संसार को देख लिया है।
"मीरा कहै मैं दासि रावरी, दीज्यो मती बिसार।।"
मीरा कहती हैं कि मैं आपकी दासी हूँ; मुझे ऐसा ज्ञान दीजिए जिससे मैं संसार को भुला सकूँ। इस भजन में मीरा बाई ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति और संसार से विरक्ति को व्यक्त किया है।
Hari Mere Jeevan Pran Adhar(Meera Bhajan) by Anup Jalota
