सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी

सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी

सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी लिरिक्स Sadake Sadake Jaandiye Mutiyare Ni Lyrics
 
सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी
कंडा चुबा तेरे पैर बांकिये नारे नी ।
कौन कड्डे तेरा कांडड़ा मुटिआरे नी,
कौन सहे तेरी पीड़ बांकिये नारे नी ।
भाबो कड्डे मेरा कांडड़ा सिपाईया वे,
वीर सहे मेरी पीड़ मैं तेरी मेहरम नायों ।

 
खुअे ते पाणी भरेंदिये मुटिआरे नी,
पाणी दा घुट पिआ, बांकिये नारे नी ।
अपना भरया न दवां सिपाईया वे,
लज्ज पई भर पी,मैं तेरी मेहरम नायों ।
घड़ा तेरा जे भन्न देयां मुटियारे नी,
करां टोटे चार, बांकिये नारे नी ।
घड़ा भजे कुम्ह्यारां दा सिपाईया वे,
लज्ज पट्टे दी डोर मैं तेरी मेहरम नायों

वड्डे वेले दी टोरियें सुण नूअड़िये
आयियों शामां पा नी भोलीए नूअड़िये
उच्चा लम्मा गाबरू सुण सस्सोड़िये
बैठा झगड़ा पा नी भोलिए सस्सोड़िये
ओ तां मेरा पुत्त लग्गे सुण नूअड़िये
तेरा लागदा ए खौंद नी भोलीए नूअड़िये
भर कटोरा दुधे दा नी सुण नूअड़िये
जाके खौंद मना नी भोलीए नूअड़िये

तेरा आंदा मैं न पियाँ मुटिआरे नी
खुई वाली गल सुणा नी बांकिये नारे नी ओ
निक्की हुन्दी नू छड्ड गया सिपाईया वे
हुण होइयां मुटिआर मैं ता तेरी मेहरम होई
सौ गुनाह मैनूं रब बख्शे सिपाईया वे
इक बख्शेंगा तू, मैं तेरी मेहरम होई



Sadke Sadke | Kulbir Jhinjer & Mankirat Pannu | Tarsem Jassar | Rabb Da Radio | White Hill Music

 Sarhkey Sarhkey Jandiye Mutiarey Ni,
Kandda Chubha Terey Paer Bankiye Naarey Ni ,
Ni Arhiye Kandda Chubha Terey Paer Bankiye Naarey Ni ,
Kaun Kadhey Tera Kandrha Mutiarey Ni,
Kaun Sahey Teri Pidh Bankiye Naarey Ni ,
Ni Arhiye Kaun Sahey Teri Pirh Bankiye Naarey Ni
Bhabo Kadhey Mera Kandrha Sipahiya Ve,
Vir Sahey Meri Pirh, Maen Teri Mehram Na Oye ,
Ve Arhiya Vir Sahey Meri Pirh Maen Teri Mehram Na Oye .

पंजाबी लोक गीत "सड़के सड़के जान्दिये मुटियारे नी" में एक युवती (मुटियार) और सिपाही के बीच प्रेम, तकरार और सामाजिक बंधनों का मार्मिक संवाद है। मुटियार सड़क पर चलते हुए कांटों से घायल हो जाती है, और पूछती है कि उसका दर्द कौन समझेगा। सिपाही जवाब देता है कि उसकी भाभी और वीर ही दर्द सहेंगे, पर वह उसकी मेहरम (प्रेमिका) नहीं। खूह (कुएं) पर पानी भरते हुए वह सिपाही को छेड़ती है, पर कहती है कि वह लज्जा के कारण उसका पानी नहीं पीएगी। सिपाही चंचलता से कहता है कि वह घड़ा तोड़ देगा, तो मुटियार जवाब देती है कि घड़ा टूटने से कुम्हार का नुकसान होगा, पर उसकी लज्जा की डोर नहीं टूटेगी। 
 
गीत में आगे ननद और सास की बातें आती हैं, जो सिपाही को अपना पुत्र मानकर उससे प्रेम और दूध का कटोरा भेजती हैं, पर मुटियार फिर कहती है कि वह उसका प्रेम नहीं स्वीकारेगी। अंत में, वह खुलासा करती है कि बचपन में छोड़ दिया गया, अब वह मुटियार बन चुकी है और उसकी मेहरम बनने को तैयार है, यह प्रार्थना करते हुए कि सिपाही उसे एक गुनाह माफ कर दे। यह गीत प्रेम की मासूमियत, सामाजिक रीतियों और मन की उलझनों को खूबसूरती से बयां करता है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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