धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय हिंदी मीनिंग Dheere Dheere Re Mana Dheere Sab Meaning

धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय हिंदी मीनिंग Dheere Dheere Re Mana Dheere Sab Meaning

धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घडा, ऋतू आए फल होए।।
Dheere Dheere Re Mana, Dheere Sab Kuchh Hoy.
Maalee Seenche Sau Ghada, Rtoo Aae Phal Hoe. 

धर्य और धीरज धारण करने से ही सब कुछ प्राप्त होता है, जैसे माली सौ घड़े सींचता है लेकिन ऋतू आने पर ही फल लगते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है की वह पानी देना ही छोड़ देता हो। भाव है की मेहनत करते जाओ, जब उचित समय आएगा तब ईश्वर स्वतः ही फल प्रदान कर देगा। आतुरता किसी भी क्षेत्र में अच्छी नहीं होती है, कर्म करना ही हमारे हाथ होता है। व्यक्ति कर्म में कम और फल में ज्यादा यकीन रखता है। असंतोष का यही कारण है।

काल जीव को ग्रासै, बहुत कहयो समुझाये।
कहै कबीर मैं क्या करू कोयी नहीं पतियाये।
Kaal Jeev Ko Graasai, Bahut Kahayo Samujhaaye.
Kahai Kabeer Main Kya Karoo Koyee Nahin Patiyaaye.
काल जीव को अपना शिकार बना लेता है, यह बात मैंने बहुत ही समझा कर कही है, अब क्या किया जा सकता है, कोई मेरी बात का विशवास ही नहीं करता है। भाव है की लोग माया के भ्रम के शिकार में ही पड़े रहते हैं और वे भक्ति मार्ग में विशवास खो बैठते हैं, भक्ति मार्ग के क्या लाभ हैं, जीवन का क्या सत्य है यह लोगों को समझाना बड़ा ही मुश्किल है।

साई इतना दीजिये, जामें कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु ना भूखा जाय।।
Sai Itana Deejiye, Jaamen Kutumb Samaay.
Main Bhee Bhookha Na Rahoon, Saadhu Na Bhookha Jaay.

ईश्वर से प्रार्थना है की वह इतना दें जिससे खुद का भरण पोषण लायक साधन और संपदा/धन उसे दे जिसमे घर आया साधू भी भूखा नहीं जाए। भाव है की व्यक्ति को माया के पीछे अंधे होकर नहीं भागना चाहिए, जिससे उसका जीवन यापन हो सके उतना ही काफी है। वर्तमान समय में अधिकतर समस्याओं का कारण है की हमें और अधिक की लालसा लगी रहती है, यह लालसा रुकने का नाम ही नहीं लेती है। अधिक से और अधिक संग्रह करने की इसी प्रवृति के कारण ही हम दुखी रहते हैं।

लम्बा मारग, दूरि घर, विकट पंथ बहु मार।
कहौ संतो क्यों पाइये, दुर्लभ हरी दीदार।।
Lamba Maarag, Doori Ghar, Vikat Panth Bahu Maar.
Kahau Santo Kyon Paiye, Durlabh Haree Deedaar. 
मार्ग लम्बा है, घर बहुत दूर है और राह भी विकट है, अब आप ही बताइये की कैसे हरी के दीदार हो सकें। भाव है की भक्ति मार्ग जितना आसान दिखाई देता है उतना है नहीं। इसमें भी कई प्रकार की अडचने आती हैं।

काल सिहाँणै यों खड़ा, जागि पियारो म्यंत।
रामसनेही बाहिरा तूँ क्यूँ सोवै नच्यंत॥
Kaal Sihaannai Yon Khada, Jaagi Piyaaro Myant.
Raamasanehee Baahira Toon Kyoon Sovai Nachyant.
अथवा/or
काल छिछाना है खड़ा, जग पियारे मीत।
राम सनेही बाहिरा, क्या सोबय निसचिंत।
Kaal Chhichhaana Hai Khada, Jag Piyaare Meet
Raam Sanehee Baahira, Kya Sobay Nihachint. 
बाज रूपी काल सिरहाने पर खड़ा है, वह कभी भी झपट्टा मार सकता है, परम प्रिय ईश्वर / राम स्नेही तो बाहर है ऐसे में तुम निश्चिंत होकर कैसे सो सकते हो। यदि राम नाम का आधार नहीं है तो निश्चिंत मत रहो, काल कभी तुमको अपना शिकार बना सकता है।

सब जग सूता नींद भरि, संत न आवै नींद।
काल खड़ा सिर उपरै, ज्यूँ तोरणि आया बींद॥
Sab Jag Suta Neend Bhari, Sant Na Aavai Neend.
Kaal Khada Sar Uparai, Jyon Torani Aaya Beend. 
काल के विषय में वाणी है की सभी लोग अज्ञान की नींद में सो रहे हैं, संत/ग्यानी को नींद नहीं आती है क्योंकि काल ऐसे सर ऊपर खड़ा है जैसे दुल्हा तोरण मारने के लिए आतुर रहता है।

काल हमारे संग है, कस जीवन की आस।
दस दिन नाम संभार ले, जब लगि पिंजर सांस।
Kaal Hamaare Sang Hai, Kas Jeevan Kee Aas.
Das Din Naam Sambhaar Le, Jab Lagi Pinjar Saans. 
काल सदा ही मेरे साथ है, मुझे अब कैसे जीवन की आस है ? केवल दस दिन तक राम के नाम का सुमिरण कर लो जब तक की इस पिंजर/शरीर में साँसे बाकी हैं। भाव है की थोड़ा जीवना है, अल्प समय के लिए जीवन है तो फिर राम के नाम का सुमिरण क्यों नहीं कर लेते हो।

आज कहै हरि काल्हि भजौगा, काल्हि कहे फिरि काल्हि।
आज ही काल्हि करंतड़ाँ, औसर जासि चालि॥
Aaj Kahai Hari Kaalhi Bhajauga, Kaalhi Kahe Phiri Kaalhi.
Aaj Hee Kaalhi Karantadaan, Ausar Jaasi Chaali. 
हरी सुमिरण करने में व्यक्ति आलस करता है और कहता है की आज नहीं काल करूँगा, फिर कल के आने पर फिर कल की बात कहता है लेकिन आज कल करते हुए उसका समय और अवसर तो बीत जाता है और वह हरी सुमिरण नहीं कर पाता है।

कबीर पल की सुधि नहीं, करै काल्हि का साज।
काल अच्यंता झड़पसी, ज्यूँ तीतर को बाज॥
Kabeer Pal Kee Sudhi Nahin, Karai Kaalhi Ka Saaj.
Kaal Achyanta Jhadapasee, Jyoon Teetar Ko Baaj. 
हमें एक पल की भी सुध नहीं है और हम कल की चिंता करते हैं, आने वाले कल को सुसज्जित करने में लगे रहते हैं लेकिन काल आते ही झपट्टा मारेगा जैसे बाज तितर पर झपट्टा मार कर अपना शिकार बना लेता है। भाव है की यह जीवन क्षण मात्र के लिए है/क्षण भंगुर है इसलिए वक़्त रहते हमें हरी के नाम का सुमरिण कर लेना चाहिए

कबीर टग टग चोघताँ, पल पल गई बिहाइ।
जीव जँजाल न छाड़ई, जम दिया दमामा आइ॥
Kabeer Tag Tag Choghataan, Pal Pal Gaee Bihai.
Jeev Janjaal Na Chhaadee, Jam Diya Damaama Aai. 
व्यक्ति जीवन में कण कण को जोड़ता है, चुगता है ( टग टग चोघताँ) ऐसे करने में ही उसका समय नष्ट हो जाता है। जीव इसी जंजाल में पड़ा रहता है और हरी का सुमिरण नहीं करता है। माया के इस भ्रम जाल के जंजाल में पड़े व्यक्ति को काल आकर नगारा (दमामा) बजा देता है। भाव है की यह मानव जीवन अत्यंत ही अमूल्य है इसे हम व्यर्थ के कार्यों में ही व्यतीत कर देते हैं और हरी का सुमिरण नहीं करते हैं। देखते ही देखते यह समय समाप्त होता जाता है और काल अपने आने की खबर देता है की उसका समय समाप्त हो गया है।

जो पहर्‌या सो फाटिसी, नाँव धर्‌या सो जाइ।
कबीर सोइ तत्त गहि, जो गुरि दिया बताइ॥
Jo Pahar‌ya So Phaatisee, Naanv Dhar‌ya So Jai.
Kabeer Soi Tatt Gahi, Jo Guri Diya Batai. 
जो वस्त्र तुमने धारण किये हैं, पहने हैं तुम्हारा नाम जो इस संसार में रखा गया है वह भी एक रोज समाप्त हो जाएगा। इसलिए जो संत जन ने जो तत्व दिया है/नाम दिया है उस पर विचार करो यह जीवन तो एक रोज समाप्त हो ही जाना है।

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