कर न फकीरी फिर क्या दिलगिरी भजन
करना फकीरी, फिर क्या दिलगिरी,
सदा मगन में रहना जी।
कोई दिन हाथी, कोई दिन घोड़ा,
कोई दिन पैदल चलना जी।।
(1)
कैसा भी हो वक़्त मुसाफिर,
पल भर न घबराना जी।
कोई दिन लड्डू, कोई दिन पेड़ा,
कोई दिन फाकम-फाका जी।।
करना फकीरी, फिर क्या दिलगिरी,
सदा मगन में रहना जी।
कोई दिन हाथी, कोई दिन घोड़ा,
कोई दिन पैदल चलना जी।।
(2)
कोई फ़र्क नहीं होता है,
राजा और भिखारी में।
दोनों की साँसें काटी हैं,
समय की तेज़ कटारी ने।।
अपनी ही रफ़्तार से हरदम,
काल का पहिया चलता जी।
कोई दिन महल, कोई दिन सेज़ा,
कोई दिन ख़ाक बिछौना जी।।
करना फकीरी, फिर क्या दिलगिरी,
सदा मगन में रहना जी।
कोई दिन हाथी, कोई दिन घोड़ा,
कोई दिन पैदल चलना जी।।
(3)
माँ से अच्छा कुछ न होता,
माँ तू ही परमेश्वर है।
हर दम मेरे मन मंदिर में,
तेरी ज्योत उजागर है।।
सब रिश्ते-नाते झूठे हैं,
माँ का प्यार ही सच्चा जी।
कोई दिन भैया, कोई दिन बहना,
सब दिन माँ की ममता जी।।
करना फकीरी, फिर क्या दिलगिरी,
सदा मगन में रहना जी।
कोई दिन हाथी, कोई दिन घोड़ा,
कोई दिन पैदल चलना जी।।
(4)
कुछ भी पाए, गर्व न करियो,
दुनिया आनी-जानी है।
तेरे साथ जहाँ से तेरी,
परछाईं भी जानी है।।
सबको अपना प्यार बाँटना,
मीठा बोल बोलना जी।
कोई दिन मेला, कोई दिन अकेला,
कोई दिन ख़त्म झमेला जी।।
करना फकीरी, फिर क्या दिलगिरी,
सदा मगन में रहना जी।
कोई दिन हाथी, कोई दिन घोड़ा,
कोई दिन पैदल चलना जी।।