दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली लिरिक्स

दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली लिरिक्स Divy Dampati Ki Aarti Utaro He Ali Lyrics

 
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली लिरिक्स Divy Dampati Ki Aarti Utaro He Ali Lyrics

दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली,
राजे नंदजू के लाल वृषभान की लली
दिव्य दम्पति की आरती, उतारो हे अली।

पद नख मणि चन्द्रिका की उज्जवल प्रभा,
नील पीत कटी पट रहे मन को लुभाय,
कटी कौन्धनी की शोभा अति लगती भली,
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली,
नाभि रुचिर गंभीर मन भँवर पड़े,
दिव्य दम्पति की आरती, उतारो हे अली।

उर कोस्तुभ श्री वत्स भ्रगु पद उभरें,
वन माल उर राजे कम्बू कंठ त्रिवली,
दिव्य दम्पति की आरती, उतारो हे अली।

दिव्य काँती गौर श्याम मुख चन्द्र की छँटा,
घुंघराली अलकावली सुजलज घटा,
द्युति कुंडल दशन सोचपल बिजली,
दिव्य दम्पति की आरती, उतारो हे अली।

शेष चंद्रमा मुकुट त्रिभुवन धनी के,
अंग अंग दिव्य भूषण कनक मणि के,
सोहे श्यामा कर कंज श्याम कर मुरली,
दिव्य दम्पति की आरती, उतारो हे अली।

चितवनि मुस्कनी प्रेम रस बरसें,
हिय हरषि नारायण चरण परसें,
जय जय कही बरसे सुमन अंजली,
दिव्य दम्पति की आरती, उतारो हे अली।


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1 टिप्पणी

  1. Sashi nhi sesh h ji