जानंता बुझा नहीं बुझि लिया नहि गौन मीनिंग Janata Bujha Nahi Meaning Kabir Dohe

जानंता बुझा नहीं बुझि लिया नहि गौन मीनिंग Janata Bujha Nahi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahti.

जानंता बुझा नहीं बुझि लिया नहि गौन।
अंधे को अंधा मिला, राह बतावे कौन॥
Jaananta Bujha Nahin Bujhi Liya Nahi Gaun.
Andhe Ko Andha Mila, Raah Bataave Kaun.
Jaanta Bujha Nahi, Bujhi Liya nahi Goun,
Andhe Ko Andha Mila, Raah Bataave Koun
 
कबीर के दोहे के शब्दार्थ Kabir Doha Word meaning
जानंता - समझ कर।
बुझा नहीं - पूछा नहीं।
बुझि लिया -पूछ लिया।
नहि गौन-गौर नहीं किया।
अंधे को अंधा मिला - अज्ञानी अज्ञानी से मिला.
राह बतावे कौन-असल राह कौन बताए, वास्तविक भक्ति कौन समझाए। 

कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग : प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब कहते हैं की जानते हुए भी समझने का प्रयत्न नहीं किया। समझ बूझ कर साधना के मार्ग पर प्रस्थान नहीं किया। एक अज्ञानी दूसरे अज्ञानी से मिलता है तो उसे राह कौन बताएगा, कोई नहीं। भाव है की भक्ति मार्ग क्या है, कैसे साधना की जाए इन पर गहराई से विचार करना आवश्यक है।

यदि साधक स्वंय अज्ञानी है और उसका गुरु भी अज्ञानी है तो दोनों को राह कौन बताएगा। महत्वपूर्ण है की समस्त जगत ही अँधा हो चूका है। वह लोकाचार और शास्त्र का पालन कर रहा है। कर्मकांड और बाह्य भक्ति पर जोर देता है जो साहेब के मुताबिक़ कोई महत्त्व नहीं रखते हैं। सत्य के मार्ग का अनुसरण करके, मानवीय गुणों को धारण करके सच्चे हृदय से ईश्वर के नाम का सुमिरण ही सच्ची भक्ति है।
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url