कृष्ण को मधु सूदन क्यों कहा जाता है Krishn Ko Madhusudan Kyo Kahte Hain Madhu Sudan Meaning
श्री कृष्ण को 'मधुसूदन' इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि कृष्ण ने (भगवान विष्णु) 'मधु' नाम के दैत्य का संहार किया है। मधु नाम के राक्षस के वध करने के कारण ही कृष्ण को मधुसूदन कहा जाता है।
मधु सूदन मीनिंग ( मधुसूदन का अर्थ ) मधुसूदन शब्द दो शब्दों के योग से बना है जिसका अर्थ है -
मधु-मधु नाम का दैत्य/राक्षस।
सूदन-संहार करना, वध करना।
इस तरह से श्री कृष्ण ने मधु नाम के असुर का वध किया और इसके उपरान्त वे 'मधुसदन' के नाम से विख्यात हुए। श्री कृष्ण (भगवान श्री विष्णु ) ने द्वापर काल में मधु राक्षस का वध किया था।
मधु-मधु नाम का दैत्य/राक्षस।
सूदन-संहार करना, वध करना।
इस तरह से श्री कृष्ण ने मधु नाम के असुर का वध किया और इसके उपरान्त वे 'मधुसदन' के नाम से विख्यात हुए। श्री कृष्ण (भगवान श्री विष्णु ) ने द्वापर काल में मधु राक्षस का वध किया था।
भगवान श्री विष्णु जी द्वारा मधु असुर का वध : श्री कृष्ण जी की लीलाओं में हमें मधु वध में विषय में बोध नहीं होता है। वस्तुतः भगवान् श्री विष्णु जी हयग्रीवरूप में मधु दैत्य का वध किया था। श्री कृष्ण विष्णु जी के ही अवतार हैं इसलिए इन्हे भी मधुसूदन कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक़ जब भगवान श्री विष्णु जी शेषनाग के ऊपर अपनी शैया पर योगनिंद्रा में थे, तब भगवान विष्णु जी के कान के मोम से मधु और कैतभ की रचना हुई। ये दोनों ही उद्द्ण्ड बने और तीनों लोकों को परेशान करने लगे। यहाँ तक की भगवान ब्रह्मा जी से भी वेदों को छीन लिया। ब्रह्मा जी के द्वारा विष्णु जी को निंद्रा से जगाया गया और उन्हें दोनों के अत्याचारों के विषय में बताया।
मधु और केताभ को स्वंय ब्रह्मा जी ने अमरता का वरदान दिया था इसलिए उनका वध नहीं किया जा सकता था। विष्णु जी ने यह जानकर हयग्रीव (Hayagreev” (Horse-like)) रूप धारण करके मधु और केताभ से वरदान माँगा। दोनों ने ही अहंकार में आकर जो मांगे वही वरदान देने की हामी भरी इस पर हयग्रीव रूप में विष्णु जी ने उन्ही की मृत्यु माँग डाली। इस प्रकार से दोनों मृत्यु को प्राप्त हुए। अर्जुन के द्वारा श्री कृष्ण को मधुसदन के नाम से सम्बोधन दर्शाता है की भगवान श्री कृष्ण, श्री विष्णु जी के ही अवतार हैं इसलिए इन्हे 'मधुसूदन' के नाम से जाना जाता है। उल्लेखनीय है की भगवान् विष्णु जी ने भी प्रत्यक्ष रूप से मधु दैत्य को नहीं मारा था वरन उन्होंने मधु का अंत करने के लिए हयग्रीव का रूप धारण किया था। अतः स्पष्ट है की यद्यपि श्री कृष्ण ने 'मधु' दैत्य को कृष्ण लीला में नहीं मारा था लेकिन भगवान् विष्णु जी के अवतार होने के कारण इन्हे 'मधुसूदन ' कहा जाता है। भागवत गीता में श्री कृष्ण को कई स्थानों पर 'मधुसूदन' कहा गया है यथा
एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन |
अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतो: किं नु महीकृते
सञ्जय उवाच |
तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् |
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदन: ||
अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतो: किं नु महीकृते
सञ्जय उवाच |
तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् |
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदन: ||
मधुसूदन का अर्थ Madhusudan Meaning in Hindi : मधुसूदन -कृष्ण (Lord Krishna) भगवान श्री कृष्णा विष्णु जी के अवतार हैं। श्री विष्णु जी ने 'मधु' दैत्य का अंत किया था। इसलिए विष्णु जी का अवतार होने के कारण कृष्ण को भी मधुसूदन कहा जाता है।
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