गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब संत हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब संत हिंदी मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning

गुरु पारस को अन्तरो,  जानत हैं सब संत।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।
Or
गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त,
वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महन्त।

Guru Paras Ko Antaro, Janat Hain Sab Sant,
Vah Loha Kachan Kare, Ye Kari Ley mahant.
 
गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब संत हिंदी मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning

गुरु पारस को अन्तरो हिंदी शब्दार्थ Guru Paras Ko Antaro Shabdarth

  • गुरु : संतजन, ज्ञान देने वाला।
  • पारस : पारस पत्थर जिसे स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है।
  • को अन्तरो : के मध्य का भेद/अंतर।
  • जानत हैं : जानते हैं।
  • सब संत : सभी संतजन।
  • वह : पारस पत्थर।
  • लोहा कंचन करे : लोहे को सोने में बदल देता है।
  • ये : गुरु साहेब।
  • करि लेय : कर लेते हैं।
  • महंत : महात्मा तुल्य।

गुरु पारस को अन्तरो हिंदी अर्थ/भावार्थ / मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning

कबीर साहेब सन्देश देते हैं की गुरु और पारस के बीच का अंतर सभी ज्ञानीजन जानते हैं, यद्यपि दोनों में ही अद्वितीय गुण हैं। दोनों ही मूल प्रदार्थ को मूलयवान बनाने की क्षमता रखते हैं। पारस के स्पर्श से लोहा सोने में तब्दील हो जाता है। वहीँ गुरु के सानिध्य में साधक के आने पर वह उसके समस्त अवगुण दूर करके उसे भी महंत तुल्य बना देता है। पारस और गुरु के इस भेद को सभी जानते हैं। गुरु और पारस के बीच के अंतर है लेकिन दोनों ही मूलयवान भी हैं। यह तो सच है कि दोनों ही अद्वितीय गुणों से भरपूर होते हैं, और यहाँ उनके तुलनात्मक महत्व को कबीर साहेब ने दर्शाया है। पारस के स्पर्श से ही लोहा को सोने में परिवर्तित किया जा सकता है,  वहीँ गुरु साहेब के सानिध्य में गुरु साहेब अपने साधक/शिष्य को महंत बना देता है।

 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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