जिहि सर घड़ा न डूबता मीनिंग कबीर के दोहे

जिहि सर घड़ा न डूबता Jihi Sar Ghada Na Dubata Meaning Kabir Ke Dohe Arth Sahit

जिहि सर घड़ा न डूबता, अब मैं गल मलि न्हाइ।
देवल बूड़ा कलस सूँ, पंषि तिसाई जाइ॥

Jihi Sar Ghada Na Dubta, Aub Main Gal Mali Nhai,
Deval Buda Kalash Su, Pankhi Tisaai Jaai.
 
जिहि सर घड़ा न डूबता मीनिंग Jihi Sar Ghada Na Dubata Hindi Meaning

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning

जिहि : जिस
सर : सरोवर, तालाब।
मैंगल : मतवाला हाथी।
मलि न्हाइ : मल मल कर नहाना।
देवल : देवालय (शरीर)
बूड़ा : डूबा।
कलस : शिखर, चोटी।
सूँ : से।
पंषि : पक्षी, जीव।
तिसाई जाइ : प्यासे जाते हैं।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning/Kabir Sakhi Hindi Arth

भक्ति के प्रभाव का वर्णन करते हुए साहेब की वाणी है की जिस सरोवर में घड़ा तक नहीं डूबता था, जो बहुत संकीर्ण था, उसी सरोवर में मतवाला हाथी मल मल कर नहां रहा है। देवल शिखर तक ड़ूब गया है, लेकिन मन रूपी पक्षी अधिक की लालसा में अब भी प्यासा ही है।
दूसरे शब्दों में जो मन विषय वासनाओं में अब भी उलझा हुआ है वह इस जल को ग्रहण नहीं कर पाता है और प्यासा ही रह जाता है। इस दोहे में रुप्कतिश्योक्ति अलंकार का उपयोग हुआ है. 

साहेब कहते हैं कि जिस सरोवर में घड़ा तक नहीं डूबता था, वह अब मतवाले हाथी के लिए पर्याप्त बड़ा है। यहाँ, सरोवर भक्ति का प्रतीक है, और हाथी मन का प्रतीक है। भक्ति इतनी शक्तिशाली है कि यह मन को भी विस्तृत कर देती है।
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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