गहरी नर्मदा लकड़ी की नैया

गहरी नर्मदा लकड़ी की नैया,
केवटियो नादान,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
शीश भोले को जटा सोवे,
गंगा बहे दिन रात,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
कान भोले को कुंडल सोवे,
बिच्छू लटकावे दिन रात,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
गले भोले को माला सोवे,
सर्प लहरावे दिन रात,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
हाथ भोले को त्रिशूल सोवे,
डमरु बजावे दिन रात,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
अंग भोले को मृगछाला सोवे,
भस्मी रमावे दिन रात,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
संग भोले को गवरा सोवे,
गोदी में गणपत लाल,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
में तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
पांव भोले को घुंघरू सोवे,
घुंघरू बजावे दिन रात,
मैं तो डूब जाती रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो बह जाती रे,
म्हारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
कहत कबीरा सुनो भाई साधो,
भजन करो दिन रात,
मैं तो तिर जासी रे,
म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ,
मैं तो तिर जासी रे,
मारा ज्ञानी गुरु पकड़यो हाथ।
गहरी नर्मदा लकड़ी की नईया। लिरिक्स भजन | सावन स्पेशल |Shiv|bhajan#bholenath#krishna#new#lyricsbhajan
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