मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे हिंदी मीनिंग Mera Tera Manua Kaise Meaning Kabir Ke Pad Hindi Arth/Bhavarth Sahit.
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे।मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद की लेखी।
मैं कहता सुरझावनहारी, तू राख्यौ उरझाई रे।
मैं कहता तू जागत रहियो, तू रहता है सोई रे।
मैं कहता निर्मोही रहियो, तू जाता है मोही रे।
जुगन जुगन समुझावत हारा, कही मानत कोई रे।
तू तो रंडी फिरै बिहंडी, सब धन डारे खोई रे।
सतगुरु धारा निर्मल बाहै, वामैं काया धोई रे।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे॥
मैं कहता सुरझावनहारी, तू राख्यौ उरझाई रे।
मैं कहता तू जागत रहियो, तू रहता है सोई रे।
मैं कहता निर्मोही रहियो, तू जाता है मोही रे।
जुगन जुगन समुझावत हारा, कही मानत कोई रे।
तू तो रंडी फिरै बिहंडी, सब धन डारे खोई रे।
सतगुरु धारा निर्मल बाहै, वामैं काया धोई रे।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे॥
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की तेरा और मेरा मन एक कैसे हो सकता है, एक मत या राय कैसे हो सकती है। मैं (कबीर) आँखों देखि कहता हूँ और तुम कागज़ की लिखी हुई कहते हो। मैं तत्व को समझ कर सुलझाने वाली बात कहता हूँ और तुम उलझाने की बात करते हो। मैं तुमको कहता हूँ की जागो/ स्थिति को समझो और तुम अज्ञान की निंद्रा में सोने की बात करते हो। मैं तुमको मोह माया से विरक्त रहने की बात करते हो और तुम जगत में मोह रखने की बात करते हो। मैं इस ज्ञान को युग युग से समझा रहा हूँ लेकिन मेरी बात को कोई भी समझ नहीं पाया है। तुम तो रंडी (आवारा स्त्री) की भाँती विचरण करते हो और तुमने ऐसा करके धन (स्त्रीत्व-आत्मिक धन ) को खो दिया है। सतगुरु निर्मल है और पवित्र जल की धारा है। जो कोई भी इस पानी से अपनी काय को धोकर शुद्ध कर लेता है वह अपने सद्गुरु की भाँती ही पवित्र हो जाता है। कबीर के इस दोहे में संत कबीर अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि मेरा और तुम्हारा मन एक कैसे हो सकता है? मैं तुम्हें वही बता रहा हूं जो मैंने खुद देखा और अनुभव किया है, जबकि तुम किताबों में लिखी बातों पर भरोसा करते हो। मैं तुम्हें सरल और स्पष्ट बातें समझा रहा हूं, जबकि तुम उन्हें उलझा-उलझाकर समझने की कोशिश करते हो। सतगुरु धारा निर्मल बाहै, वामैं काया धोई रे। इसका अर्थ है कि सद्गुरु निर्मल और पवित्र ज्ञान की धारा है। जो कोई इस पानी से अपनी काया को धो लेगा वही सद्गुरु जैसा हो सकता है।
कबीर का संदेश है कि आध्यात्मिक ज्ञान को अनुभव के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है, किताबों या परंपराओं को पढ़कर नहीं। उन्होंने अपने पदों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक जागरूकता और सतर्कता के लिए प्रेरित किया।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |