नैना लड़े मुरलिया वाले से मैं वृन्दावन को जाऊँ ।
क्यो तू वृन्दावन को जावे
आज मोहे तू साच बताय दे,
तेरो क्या 3 खसम लगे बनवारी रे
मैं तो वृन्दावन को जाऊँ ।।2।।
क्यों तू मुझसे ये सब पूछे
तेरे भेजे में नही आवे,
वासे 3 मेरी जन्म जन्म की यारी है ।।2।।
गौर निताई एक बात बताय दे
यशोमति काहे पल्ले बांधे
जाकी3 मति गयी है मारी रे ।।3।।
तुको सगरे पागल बतावे
पगलों का सरताज बतावे
अरि मैं तो तेरे फेर में आ गयी रे ।।4।।
क्यो तू वृन्दावन को जावे
आज मोहे तू साच बताय दे,
तेरो क्या 3 खसम लगे बनवारी रे
मैं तो वृन्दावन को जाऊँ ।।2।।
क्यों तू मुझसे ये सब पूछे
तेरे भेजे में नही आवे,
वासे 3 मेरी जन्म जन्म की यारी है ।।2।।
गौर निताई एक बात बताय दे
यशोमति काहे पल्ले बांधे
जाकी3 मति गयी है मारी रे ।।3।।
तुको सगरे पागल बतावे
पगलों का सरताज बतावे
अरि मैं तो तेरे फेर में आ गयी रे ।।4।।
श्री कृष्ण जी के बारे में रोचक जानकारी :
श्री कृष्ण जी के नाम : श्री कृष्ण जी के १०८ नाम हैं जिन्हे कृष्ण जी के प्रिय नाम कहे जाते हैं। कृष्ण जी के १०८ नाम हैं यथा कृष्ण ,कमलनाथ, वासुदेव, सनातन, वसुदेवात्मज, पुण्य, लीलामानुष विग्रह, श्रीवत्स कौस्तुभधराय, यशोदावत्सल, हरि, चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा, सङ्खाम्बुजा युदायुजाय, देवाकीनन्दन, श्रीशाय, नन्दगोप प्रियात्मज, यमुनावेगा संहार, बलभद्र प्रियनुज, पूतना जीवित हर, शकटासुर भञ्जन, नन्दव्रज जनानन्दिन, सच्चिदानन्दविग्रह, नवनीत विलिप्ताङ्ग, नवनीतनटन, मुचुकुन्द प्रसादक, षोडशस्त्री सहस्रेश, त्रिभङ्गी, मधुराकृत, शुकवागमृताब्दीन्दवे, गोविन्द3, योगीपति आदि जिन में से गोपाल, गोविन्द, मोहन, हरी, बांके बिहारी, श्याम ज्यादा लोकप्रिय हैं।
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नैना लड़े मुरलिया वाले से
इस पद में एक गोपी अपने प्रियतम कृष्ण से कह रही है कि मैं तुम्हारी मुरलिया की धुन से मोहित हो गई हूँ और तुम्हारे दर्शन के लिए वृन्दावन जाना चाहती हूँ। कृष्ण उसकी इस इच्छा को पूछकर उसे छेड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि क्या तू मेरे अलावा किसी और से भी प्यार करती है? गोपी कहती है कि मैं तुम्हारी जन्म-जन्मांतर की मित्र हूँ और तुम्हारे अलावा किसी और को नहीं जानती। वह कृष्ण से कहती है कि यशोमति क्यों मेरे पल्ले बांध रही है, जबकि मैं तो तुम्हारी हूँ।इस पद में कृष्ण और गोपी के प्रेम का वर्णन किया गया है। गोपी कृष्ण की मुरलिया की धुन से मोहित हो जाती है और उनके दर्शन के लिए वृन्दावन जाना चाहती है। कृष्ण उसकी इस इच्छा को पूछकर उसे छेड़ रहे हैं, लेकिन गोपी अपने प्रेम का इजहार करती है और कहती है कि वह केवल कृष्ण की है।
शब्दार्थ
- नैना लड़े - आँखें लड़ गईं, मोहित हो गईं
- मुरलिया वाले - कृष्ण, जो मुरलिया बजाते हैं
- वृन्दावन - कृष्ण का निवास स्थान
- खसम - पति
- बनवारी - कृष्ण
- भेजे में - इशारे में
- यारी - दोस्ती
- पल्ले बांधना - रोकना, रोक देना
- मति गयी है - बुद्धि भ्रष्ट हो गई है
Author - Saroj Jangir
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