तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो लिरिक्स


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तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो

तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नहीं आते हो।

चंचल है तेरी चितवन है छवि बड़ी प्यारी,
तेरे रूप के आगे तो हम जाएं बलहारी,
बैठे बैठे नैनों से क्यों तीर चलाते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नहीं आते हो,
तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नही आते हो।

अन्दर है बड़ी गर्मी ना हवा है ना पानी,
क्यों जिद पे अड़े कान्हां करते हो मनमानी,
ऐसा करके हम भक्तों का जी क्यों जलाते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नहीं आते हो,
तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नही आते हो।

दुनियां के मालिक हो, तस्वीर में रहते हो,
बेटो की दुःख तक़लीफ़ सब हंसकर सहते हो,
प्यासी अखियो को दर्शन क्यों ना दिखलाते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नहीं आते हो,
तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नही आते हो।

तस्वीर में बेठे हो क्या मिली है कोई सजा,
बाहर आकर देखो आयेगा बड़ा मजा,
कहे मोहित मनुहार हमारी क्यों ठुकराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नहीं आते हो,
तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नही आते हो।

तुम तस्वीर में बैठे ऐसे क्यों मुस्कुराते हो,
मिलने के लिए बाहर तुम क्यों नहीं आते हो।
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