दुर्बल को न सताइये जाकि मोटी हाय हिंदी मीनिंग Durbal Ko Na Sataeye Jaki Moti Haay Hindi Meaning

दुर्बल को न सताइये जाकि मोटी हाय हिंदी मीनिंग Durbal Ko Na Sataeye Jaki Moti Haay Hindi Meaning

दुर्बल को न सताइये, जाकि मोटी हाय ।
मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय॥ 

Durbal Ko Na Sataeye, Jaki Moti Haay
Bina Jiva Ki Haay Se, Loha Bhasma Ho Jaay
 
दुर्बल को न सताइये, जाकि मोटी हाय । मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय॥

जो कमजोर हैं उनको सताना नहीं चाहिए। दुर्बल व्यक्ति की हाय बहुत ही शक्तिशाली होती है। जैसे मरे हुए पशु की सांस से लोहा भस्म हो जाता है वैसे ही उसकी बद्दुआ से व्यक्ति का अंत हो जाता है। भाव है की निर्बल/दुर्बल और कमजोर लोगो को सताना नहीं चाहिए। सभी को ईश्वर की कृति समझ कर उनका सम्मान करना चाहिए।

जब ही नाम हिरदय धर्यो , भयो पाप का नाश |
मानो चिनगी अग्नि की, परी पुरानी घास ||
Jab Hee Naam Hiraday Dharyo , Bhayo Paap Ka Naash.
Maano Chinagee Agni Kee, Paree Puraanee Ghaas. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : 
जब हृदय में हरी को स्थापित किया, हरी सुमिरणकिया तो समस्त पाप का अंत हो गया, पाप उसी भांति जल कर समाप्त हो गए जैसे की पुरानी घास में आग लग गई हो। जब हृदय में पवित्र विचारों, सद्कार्यों का स्थान होता है तो पाप और अवगुण स्वतः ही दूर होते चले जाते हैं, यह ऐसे है जैसे आप एक दिशा में आगे बढे तो दूसरी तरफ से दूर होते चले जाते हैं।


गहना एक कनकते गहना, या में भाव न दूजा ।।
कहन सुनन को दुई कर थापे, एक निमाज एक पूजा ।।
Gahana Ek Kanakatē Gahanā, Yā Mēṁ Bhāva Na Duja.
Kahana Sunana Ko Dui Kara Thape, Ek Nimaja Ek Puja. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : जैसे एक सोने से तरह तरह के आभूषण को बना लिया जाता है वैसे ही हरी एक ही है बस उसको अलग अलग नामों से जाना जाता है । भाव है की ईश्वर एक है लेकिन उसे कई नामों से जाना जाता है। हमने अपनी सुविधा के लिए उसे कई तरह से नामकरण कर लिया है।

कबीर कहा गरबियो, देही देखि सुरंग ।।
बीछड़ियाँ मिलिबो नहीं, ज्यों काँचली भुवंग।।
Kabeer Kaha Garabiyo, Dehee Dekhi Surang .
Beechhadiyaan Milibo Nahin, Jyon Kaanchalee Bhuvang. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : देह का रंग देखकर गर्व मत करो, यह भले ही कितनी ही सुन्दर हो एक रोज समाप्त हो ही जानी है । जैसे साँप अपनी केंचुली को छोड देने के बाद उससे दुबारा नहीं मिल पाता है ऐसे ही एक बार देह को छोड़ देने पर पुनः इसे प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

कबीर कहा गरबियो, ऊँचे देखि अवास ।।
काल्हि परौ भुई लोटना, ऊपरि जमिहै घास ।।
Kabeer Kaha Garabiyo, Oonche Dekhi Avaas
Kaalhi Parau Bhuee Lotana, Oopari Jamihai Ghaas
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : ऊँचे आवास को देख कर गर्व मत करो, कल को जमीन पर आकर ही लेटना है और ऊपर घास को जमना है। भाव है किसी वस्तु को देख कर गर्व नहीं करना चाहिए, इस जीवन की अंतिम सच्चाई मृत्यु है इसलिए
हरी का सुमिरण ही जीवन का आधार है।

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,।।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।
Jaati Na Poochho Saadhu Kee, Poochh Leejiye Gyaan
Mol Karo Taravaar Ka, Pada Rahan Do Myaan. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : साधू के ज्ञान की परीक्षा होनी चाहिए, उसकी जाती, धर्म और कुल के विषय में जानकारी लेने से कोई लाभ नहीं होने वाला है। जैसे तलवार का मोल होता है म्यान का नहीं वैसे ही साधू के ज्ञान का मोल

होना चाहिए उसकी जाती और कुल का नहीं।
दुख में सुमरिन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥
Dukh Me Sumiran Sab Kare, Sukh Me Kare Na Koy
Jo Sukh Me Sumiran Kare, Dukh Kahe Ko Hoy. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : जब जीव दुखी होता है तब उसे हरी की याद आती है और वह हरी का सुमिरण करता है, सुख में वह हरी को भूल जाता है, सुख में हरी को कोई याद नहीं करता है। जो सुख में ही हरी को याद किया जाए तो दुःख किस बात का ? जब विपदा आन पड़ती है तो जीव दुखी हो जाता है। भाव है की हमें हर वक़्त हरी के नाम का सुमिरण किया जाना चाहिए।

तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँयन तर होय।
कबहुँ उड़ आँखिन परे, पीर घनेरी होय ॥
Tinka Tinka Kabhun Na Nindyen, Jo Paayan Tar Hoye
Kabhun Aankhin Pare, Peer Ghaneri Hoy. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : तिनका जो पावों के निचे होता है, जिसे हम तुच्छ समझ लेते हैं उसकी भी निंदा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यदि वह उड़कर आखों में गिर जाए तो बहुत अधिक पीड़ा होती है। भाव है की ईश्वर की बनाई सभी वस्तुएं एक समान हैं और उन सबका सम्मान होना चाहिए।

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दें, मन का मनका फेर ॥
Mala Ferat Jug Bhaya, Phira Na Man Ka Pher
Kar Ka Man Ka Daar De, Man Ka Manka Pher 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : माला को हाथों में फिराने से क्या लाभ जब तक हृदय से हरी के नाम का सुमरिन ना कर लिया जाए, हरी की प्राप्ति तभी संभव है जब हम हाथों के मनके को छोड़ कर मन के मनके को फिराएं। भाव है की आडम्बरों को छोड़ कर हरी का सुमिरण करना ही हरी प्राप्ति का एकमात्र तरीका है।

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥
Guru Govind Dono Khade, Kake Laun Pay
Balihari Guru Aapno Govind Diyo Batay.

दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : 
गुरु और गोविन्द दोनों ही खड़े हैं दोनों में से किसके पाँव लगा जाए, गुरु और गोविन्द में से गुरु की महिमा बहुत बड़ी है क्योंकि उन्होंने ही हरी के विषय में बताया है। गुरु का अभिनंदन है की उसने गोविन्द का पता बता दिया है। गुरु की महिमा यही है की वह गोविन्द के विषय में बोध करवाता है।

बलिहारी गुरु आपनो, घड़ी-घड़ी सौ सौ बार ।
मानुष से देवत किया करत न लागी बार ॥
Balihari Guru Aapno, Ghadi Ghadi Sau Sau Baar
Manush Se Devat Kiya Karat Na Laagi Baar. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : मेरा यह जीवन सौ सौ बार गुरु को समर्पित है जिन्होंने मुझे मनुष्य से देव की तरफ अग्रसर किया और इसमें तनिक भी देर नहीं लगी है। भाव है आडम्बर छोड़ कर हरी का सुमिरण करना चाहिए।

कबिरा माला मनहि की, और संसारी भीख ।
माला फेरे हरि मिले, गले रहट के देख ॥
Kabira Mala Manhi Ki, Aur Sansari Bheekh
Mala Fere Hari Mile, Gale Rahat Ke Dekh. 
माला के विषय में ही कथन है की यदि माला फेरने से ही हरी की प्राप्ति संभव होती हो तो तुम चरखे की रहट को गले में डाल लो और फेर कर देख लो, की क्या तुम्हें हरी की प्राप्ति होती है। स्वाभाविक रूप से ऐसा नहीं होगा क्योकि यह सब आडम्बर और दिखावा है जिससे कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला है। चरखे की रहट भी गोल गोल ही घूमती है लेकिन क्या ऐसा करने से ईश्वर की प्राप्ति संभव है, नहीं।


सुख में सुमिरन ना किया, दु:ख में किया याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥
Such Me Sumiran Na Kiya, Dukh Me Kiya Yaad
Kah Kabira Ta Das Ki, Koun Sune Fariyaad 
सुख में हरी का सुमिरण नहीं किया, अब जब दुःख आन पड़ा है तो तुम्हारी फ़रियाद कौन सुनेगा, कोई नहीं। भाव है की ईश्वर का सुमिरण दुःख में ही नहीं बल्कि हर वक़्त किया जाना चाहिए। जब दुःख आन पड़ता है तो सभी हरी को याद करते हैं लेकिन सुख में हरी का सुमिरण कर लिया जाए तो दुःख किस बात का।

साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥
Sai Itna Dijiye, Ja Me Kutumb Samaay
Main Bhi Bhukha Naa Rahu, Sadhu Na Bhukha Jaye. 
ईश्वर से प्रार्थना है की वो इतना दे जिसमे कुटुंब समा जाए, घर परिवार चल पाए। मैं भी भूखा नहीं रहू और घर आया साधू भी भूखा नहीं जाए। भाव है की साधू जन को संतोषी स्वभाव का होना चाहए, संग्रही स्वभाव का नहीं। बस खुद का परिवार अच्छे से चल पाए और घर आया याचक भी खाली हाथ नहीं जाए।

जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप ।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥
Jahan Daya Tahan Dharm Hai, Jahan Lobh Tahan Pap
Jahan Krodh Tahan Pap Hai, Jahan Kshama Tahan Aap 
जहाँ पर दया है वहा धर्म है, जहाँ लोभ और क्रोध है वहां पाप है और जहाँ पर क्षमा है वहां पर हरी का वास है। भाव है की ईश्वर वहीँ पर निवास करता है जहाँ पर मानवीय गुण होते हैं। जहाँ पर मानवीय गुण नहीं होते हैं वहां हरी का वास भी नहीं होता है इसलिए व्यक्ति को मानवीय गुणों को धारण करना चाहिए।

माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन से तो मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
Mangan Maran Saman Hai, Mati Mango Kai Bheekh
Mangan Se To Marna Bhala, Yah Satguru Ki Seekh 
माँगना मरण के समान है, मांगने से तो मरना भला है यही सतगुरु की सीख है। कबीर ने सदैव ही कर्म को प्रधानता दी है और कर्म को ही सर्वोच्च माना है।

आवत गारी एक है , उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।
Aavat Gaaree Ek Hai , Ulatat Hoi Anek.
Kah Kabeer Nahin Ulatie, Vahee Ek Kee Ek. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : अपशब्द के विषय में वाणी है की अभद्र वाणी वापस लौटते वक़्त कई अन्य अभद्र गाली साथ में लेकर लौटती है, इसलिए अभद्र शब्द को प्रतिउत्तर में अभद्र शब्द नहीं कहने चाहिए। अपने व्यवहार में शीतलता रखनी चाहिए, यही व्यक्ति की उन्नति का मार्ग है।

माला तो कर मैं फिरै, जीभि फिरै मुख माहिं।
मनुवाँ तो दहुँदिसि फिरै , यह तौ सुमिरन नाहिं।
Maala To Kar Main Phirai, Jeebhi Phirai Mukh Maahin.
Manuvaan To Dahundisi Phirai , Yah Tau Sumiran Naahin. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : प्रतीकात्मक भक्ति के विषय में कथन है की जैसे हाथों में तो माला फेरी जाती है लेकिन जिव्हा और मन तो चारों और फिरते रहते हैं, यह तो भक्ति नहीं है, भक्ति तो यही है की मन से हरी के नाम का सुमिरण किया जाए। जब तक मन केन्द्रित नहीं है वास्तविक भक्ति नहीं है। मुर्ख किसे बनाना है, ईश्वर को ! यह संभव नहीं है, वह समस्त ब्रह्माण्ड का स्वामी है जो ज्ञाता है। सच्चे मन से / हृदय से नेक राह पर चलते हुए हरी का सुमिरण ही जीवन का सत्य है।

शीलवंत सबसे बड़ा, सब रत्नन की खान।
तीन लोक की संपदा, रही शील में आन।।
Sheelavant Sabase Bada, Sab Ratnan Kee Khaan.
Teen Lok Kee Sampada, Rahee Sheel Mein Aan. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : शील रखने वाला व्यक्ति सबसे कीमती होता है, महत्त्व रखता है। तीनों लोकों की संपदा भी शीलवंत व्यक्ति के समक्ष अधूरी है।

कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर।।
Kabeera Te Nar Andh Hai, Guru Ko Kahate Aur.
Hari Roothe Guru Thaur Hai, Guru Roothe Nahin Thaur. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : जो व्यक्ति गुरु से विमुख हो जाता है वह अँधा ही है। यदि इश्वर रूठ जाए तो कोई बात नहीं लेकिन यदि गुरु रूठ जाए तो व्यक्ति का कहीं ठौर ठीकाना नहीं होता है। यहाँ पर गुरु की महिमा को प्रदर्शित किया गया है की वह ईश्वर तुल्य ही है, लेकिन कई स्थानों पर साहेब ने गुरु की पचान बताई है जो अधिक महत्वपूर्ण है की गुरु होना कैसा चाहिए।

कबीरा सुता क्या करें, जागी ना जाए मुरारी।
एक दिन तू भी सोवेगा, लंबे पांव पसारी।।
Kabeera Suta Kya Karen, Jaagee Na Jae Muraaree.
Ek Din Too Bhee Sovega, Lambe Paanv Pasaaree. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : अज्ञान की नींद में सोकर अमूल्य जीवन को बर्बाद मत करो, उठो और ईश्वर के नाम का सुमिरण करो, एक दिन सभी को मृत्यु को प्राप्त होना है और लम्बे पाँव पसार कर सोना है।

नाहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय।
कबीर शीतल संत जन, नाम स्नेही होय।।
Naaheen Sheetal Hai Chandrama, Him Nahin Sheetal Hoy.
Kabeer Sheetal Sant Jan, Naam Snehee Hoy. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : चंद्रमा शीतल नहीं है, बर्फ भी शीतल नहीं है, शीतल तो संतजन हैं। ऐसे संतजन और स्नेही व्यक्ति ही बेहतर होते हैं।

एक घड़ी आधो घड़ी , आधो हुं सो आध।
कबीर संगति साधु की, कटै कोटि अपराध।
Ek Ghadee Aadho Ghadee , Aadho Hun So Aadh.
Kabeer Sangati Saadhu Kee, Katai Koti Aparaadh. 
दोहे का हिंदी मीनिंग : Hindi Meaning of Kabir Doha : गुरु महिमा का वर्णन करते हुए साहेब का कथन है की एक घड़ी, आधी घड़ी या इससे भी आधी घड़ी संतों का सानिध्य यदि प्राप्त हो जाए तो करोड़ों अपराध/पाप कट जाते हैं। यह गुरु की महिमा है, की इनके
पास रहने मात्र से ही पाप का अंत हो जाता है।

उजल बुन्द आकाश की, परि गयी भुमि बिकार।
माटी मिलि भई कीच सो बिन संगति भौउ छार।
Ujal Bund Aakaash Kee, Pari Gayee Bhumi Bikaar.
Maatee Mili Bhee Keech So Bin Sangati Bhauu Chhaar. 
यहाँ संगत का असर बताया गया है की कैसे निर्मल वस्तु भी गन्दगी के संपर्क में आकर मलीन हो जाती है। जैसे बरसात की बूंद निर्मल होती है लेकिन वह धरती पर गिरते ही माटी में मिलकर कीचड का रूप ले लेती है ऐसे ही अच्छी संगती के अभाव में व्यक्ति राख के समान हो जाता है। भाव है की व्यक्ति को सदा ही अच्छी संगती में रहना चाहिए और संतजन/साधुजन का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
उंचे कुल का जनमिया करनी उॅच ना होय।
कनक कलश मद सो भरी साधुन निन्दा सोय।
Unchey Kul Ka Janmiya, Karni Unch Na Hoye
Kanak Kalash Mad So Bhari, Sadhun Ninda Soye. 
यदि किसी ने ऊँचे कुल में जनम लिया है तो वह उच्च नहीं हो जाता है। यदि सोने के कलश में शराब भर दी जाए तो उस कलश का क्या महत्त्व रह जाता है, कुछ नहीं। साधू जन तो उसकी निंदा ही करेंगे। भाव है की व्यक्ति के कर्म श्रेष्ठ होने चाहिए, उसने किस कुल/जाती/धर्म/देश में जन्म लिया है यह महत्त्व नहीं रखता है। तात्कालिक समाज में जातिगत श्रेष्ठता का बोलबाला था जिस पर साहेब ने खंडन किया है और समझाया की व्यक्ति की पहचान गुणों के आधार पर की जानी चाहिए, जाती और वर्ण के आधार पर नहीं। यदि व्यक्ति गुणवान है तो भले ही वह नीची जाती का क्यों नहीं हो (वैसे तो कोई जाती ऊँची या नीची होती ही नहीं है, यह पाखंड कुछ धर्म्म के ठेकेदारों के द्वारा फैलाया गया है) वह श्रेष्ठ है और जिन्हें श्रेष्ठ जाती का माना जाता है यदि उसके कर्म तुच्छ हैं तो वह अच्छा नहीं कहा जा सकता है।

कोयला भी होये उजल, जरि बरि है जो सेत।
मुरख होय ना उजला, ज्यों कालर का खेत।
Koyala Bhee Hoye Ujal, Jari Bari Hai Jo Set
Murakh Hoy Na Ujala, Jyon Kaalar Ka Khet. 
कोयला जो काला होता है वह भी जल कर / बल कर उजाला होता जाता है लेकिन मुरख कभी भी उजला नहीं हो सकता है क्योंकि वह तो बंजर खेत की तरह से है। भाव है की मुर्ख व्यक्ति स्वंय में कभी सुधार नहीं लाता है। जैसे बंजर खेत में कोई पैदावार नहीं होती है वैसे ही मुर्ख व्यक्ति में कोई सुधार नहीं होता है।

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2 टिप्पणियां

  1. बहुत ही बेहतरीन जानकारी.. . धन्यवाद
  2. Saint rampal ji mahraj True guruji or kabir is God... 🙏🙏🌹🙏🙏