मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में हिंदी मीनिंग Moko Kaha Dhundhe Re Bande Hindi Meaning Lyrics

मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे , मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद , ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया - कर्म में , नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं , पलभर की तलास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो , सब स्वासों की स्वास में॥

मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे मैं तो तेरे पास में हिंदी मीनिंग Moko Kaha Dhundhe Re Bande Hindi Meaning Lyrics

Moko Kahaan Dhoondhe Bande , Main To Tere Paas Mein .
Na Main Deval Na Main Masajid , Na Kaabe Kailaas Mein .
Na To Kaune Kriya - Karm Mein , Nahin Yog Vairaag Mein .
Khojee Hoy To Turatai Milihaun , Palabhar Kee Talaas Mein .
Kahain Kabeer Suno Bhee Saadho , Sab Svaason Kee Svaas Mein.

मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे शब्दार्थ Word Meaning of Moko Kaha Dhundhe Re Bande Hindi

मोको-मुझे (ईश्वर)।
कहाँ ढूँढ़े बंदे- मुझे कहाँ ढूंढ रहे हो बन्दे-व्यक्ति।
मैं तो तेरे पास में - मैं (ईश्वर) तो तेरे पास मैं ही हूँ।
ना मैं देवल-मैं किसी मंदिर (देवल) में नहीं हूँ।
ना मैं मसजिद-मैं किसी मस्जित में भी नहीं हूँ।
ना काबे कैलास में-मैं काबा (मुसलमानों का पविर्त्र स्थल) में नहीं हूँ और ना ही मस्जिद में ही हूँ और ना ही मैं कैलाश में ही हूँ।
ना तो कौने क्रिया-मैं किसी क्रिया/कर्म, कर्मकांड में नहीं हूँ
नहीं योग वैराग में-ना तो मैं योग क्रिया और ना ही वैराग्य धारण करने में ही हूँ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं-यदि कोई मुझको खोजना चाहता है तो मैं तुरंत ही उसको मिल जाता हूँ।
पलभर की तलास में - एक क्षण / एक पल की तलाश में मैं उसको प्राप्त हो जाता हूँ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो , सब स्वासों की स्वास में-साहेब की वाणी है की मैं तो सभी की साँसों में ही हूँ।

साहेब की वाणी है की व्यक्ति अज्ञान और भ्रम से ग्रसित होकर ईश्वर को यहाँ वहां ढूंढता फिरता है, लेकिन वह इस तथ्य से नावाकिफ़ होता है की जिस ईश्वर को वह विभिन्न स्थानों, कर्मों में ढूँढने का यतन करता है वह तो उसी के पास ही है, बस अज्ञानता के कारण वह ईश्वर को पहचानने में गलती करता है। जब तक व्यक्ति संतजन/साधुजन की संगती में नहीं जाता है तब तक उसे सत्य का ज्ञान नहीं होता है, वह भ्रम में ही घूमता रहता है। ऐसे ही भ्रम का शिकार होकर वह अपनी सुविधा के मुताबिक़ ईश्वर को मंदिर मस्जिद, तीर्थ स्थल यथा काबा और कैलाश में ईश्वर को ढूंढता रहता है लेकिन ईश्वर वहां पर उसे नहीं मिलता है। यदि कोई खोजी व्यक्ति है तो उसे तुरंत ही मिल जाते हैं । खोजी से आशय है जो सत्य के मार्ग पर चलकर शुद्ध हृदय से हरी के नाम का सुमिरण करे। हरी ब्रह्माण्ड में सर्वत्र उसी प्रकार से है जैसे वह हमारी प्रत्येक साँसों में घुला हुआ है।

Moko Kahan Dhoondhe Re Bande (Original) | Live In Concert | Indie Routes | Aabhas & Shreyas
According to Saheb (Kabir Saheb) declares that a person, suffering from ignorance and confusion, seeks God to various places, but he is unaware of the fact that the God whom he tries to find in different places and in deeds is still with him. , Simply because of ignorance he makes a mistake in recognizing God. Till a person does not get into the company of saint / sage (Sadsangati), he does not know the truth, he keeps wandering in confusion. Being a victim of such confusion, he keeps searching for God according to his convenience in the temple mosque, pilgrimage site like Kaaba and Kailash, but God does not find him there. If there is an investigative person, they are found immediately. Khoji means one who walks on the path of truth and recalls the name of Hari (God) with a pure heart.

इस पद को कुछ इस तरह से भी भिन्नता पाई जाती है-
मोकों कहाँ तू ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना रहता मैं झगड़ी बिगड़ि में, न छुरी गड़ास में
ना रहता मैं खाल-रोम में, न हड्ढी न मांसमें ॥
ना देवल में ना मस्जिद में, ना कासी-कैलास में।
जा रहता मैं अवध द्वारका, मेरी भेंट विश्वास में ॥
ना रहता मैं क्रिया-करम में, न योग-संन्यास में।
खोजेगा तो आन मिलूँगा; पल भर की तलाश में ॥
शहर से बाहर डेट मेरा, कुटिया मेरी मवात में।
कहत कबीर चुनो भई साधो! सब संतन के साथ में ॥


जीवन जोवन राज मद अविचल रहै ना कोये
जु दिन जाये सतसंग मे, जीवन का फल सोये।
Jeevan Jovan Raaj Mad Avichal Rahai Na Koye
Ju Din Jaaye Satasang Me, Jeevan Ka Phal Soye. 
Hindi Meaning /हिंदी भावार्थ : जमीन और यौवन राज पाट अहम् कोई भी स्थाई नहीं रहने वाला है, जो दिन सत्संग में बीतता है वही जीवन का फल है। यहाँ पर जीवन में हरी राम नाम के सुमिरण और संतजन केसानिध्य को श्रेष्ठ माना गया है। सतसंगत में बीता हुआ समय ही सच्चा फलदाई होता है।

जो छोरै तो आंधरा, खाये तो मरि जाये।
ऐसे खान्ध छुछुन्दरी, दोउ भांति पछताये।
Jo Chhorai To Aandhara, Khaaye To Mari Jaaye
Aise Khaandh Chhuchhundaree, Dou Bhaanti Pachhataaye. 
Hindi Meaning /हिंदी भावार्थ : सांप यदि छछूंदर को पकड़ कर छोड़ देता है तो वह अँधा हो जाता है और यदि उसे खा लेता है तो स्वंय ही मृत्यु को प्राप्त होता है। इसी प्रकार से बुरे लोगों का साथ होता है यदि साथ रहे तो वे आपका पतन कर देते हैं, आपको भी अपने जैसा ही बना लेते हैं और यदि उनको छोड़ दिया जाए तो वे शत्रु बनकर आपका ही अहित करते हैं। भाव है की सदा संतजनों का ही साथ करना चाहिए।

जा पल दर्शन साधु का ता पल की बलिहार।
राम नाम रसने बसै, लीजैय जनम सुधार।
Ja Pal Darshan Saadhu Ka Ta Pal Kee Balihaar.
Raam Naam Rasane Basai, Leejaiy Janam Sudhaar. 
Hindi Meaning /हिंदी भावार्थ : जब भी संत जन और साधू जन का साथ हो/संगत हो तभी / उस पल पर मैं न्योछावर जाता हूँ। क्योंकि इनके शरण मात्र से ही मुख में हरी नाम का वास होता है और रसना में रामनाम बरसता है, तो क्यों ना संतजनों का साथ लेकर अपने जीवन को सुधार लिया जाए। भाव है की संतजन और सद्पुरुषों की संगती बहुत ही फलकारी होती है, इनका साथ करना चाहिए और अपने जीवन को सुधारने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।

मथुरा, काशी, द्वारिका, हरिद्वार, जगन्नाथ।
साधु संगति हरि भजन बिन कछु ना आबैय हाथ।
Mathura, Kaashee, Dvaarika, Haridvaar, Jagannaath.
Saadhu Sangati Hari Bhajan Bin Kachhu Na Aabaiy Haath. 
Hindi Meaning /हिंदी भावार्थ : संतजनों की संगती के विषय में आशय है की भले ही मथुरा, काशी, द्वारिका, जगन्नाथ कहीं भी घूम लिया जाए, समस्त तीर्थ कर लिए जाए तो भी सब कुछ व्यर्थ है, यदि संतजन या साधूजन की संगती नहीं की जाए तो कुछ भी हाथ नहीं लगने वाला है। सदसद्संगती कर ली जाए तो समस्त पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति नेक/सत्य/धर्म की राह पर अग्रसर होता है।

कुशल कुशल जो पूछता, जग मे रहा ना कोये
जरा मुअई ना भय मुआ, कुशल कहाँ ते होये।
Kushal Kushal Jo Poochhata, Jag Me Raha Na Koye
Jara Muee Na Bhay Mua, Kushal Kahaan Te Hoye. 
Hindi Meaning /हिंदी भावार्थ : जग में कुशल क्षेम पूछने वाला कोई नहीं है, क्योंकि बुढापा नहीं मरा है और नाही भय का अंत हुआ है तो कुशल कैसे होगा ? भाव है की जब तक जगत में भय और बुढापा है तब तककुशल कैसे हो सकता है।

काल फिरै सिर उपरै, हाथौं धरी कमान।
कहै कबीर गहु नाम को, छोर सकल अभिमान।
Kaal Phirai Sir Uparai, Haathaun Dharee Kamaan.
Kahai Kabeer Gahu Naam Ko, Chhor Sakal Abhimaan.


Hindi Meaning /हिंदी भावार्थ : काल सर के ऊपर फिर रहा है, जैसे उसने हाथों में तीर कमान ले रखी हो, ऐसे में राम नाम ही जीवन का आधार है, जो मुक्ति का द्वार है, समस्त मान सम्मान और अभिमान को छोड़ कर हरी के नाम का सुमिरण ही जीवन का सत्य है जो ईश्वर की ओर लेकर जाता है ।

चहु दिस ठाढ़े सूरमा, हाथ लिये हथियार।
सब ही येह तन देखता, काल ले गया मार।
Chahu Dis Thaadhe Soorama, Haath Liye Hathiyaar.
Sab Hee Yeh Tan Dekhata, Kaal Le Gaya Maar. 
चारों तरफ सुरमा खड़े हैं, हाथों में तलवार लेकर ऐसे में देखते ही देखते काल अपना शिकार कर के ले गया, भाव है की जिन राजाओं के कई प्रकार के रक्षक थे उनको भी काल अपना शिकार बना कर ले जाता है। भाव है की काल एक रोज सभी को अपना शिकार बना लेता है, यही सत्य है, इसलिए हरी नाम का सुमिरण ही जीवन का आधार है। 

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1 टिप्पणी

  1. तेरा पल पल बीता जाए करले परमपिता परमेश्वर को याद