प्रियकांत प्यारे की महिमा निराली

प्रियकांत प्यारे की महिमा निराली

प्रियकांत प्यारे की महिमा निराली,
दर पे जो आया, लौटा न खाली।
दुनिया को देखूं, भुला,
श्याम का रंग चढ़ा-चढ़ा रे।।

प्रिय का रंग बड़ा प्यारा-प्यारा,
आंखों में रहता है कान्त हमारा,
अब माया का परदा हटा,
श्याम का रंग चढ़ा।।

दुनिया भुला के, ग़म को मिटा ले,
मस्ती में आके, झूम ले, गा ले,
यही चलता रहे सिलसिला,
श्याम का रंग चढ़ा।।

श्याम रंग जिसको चढ़ जाए,
होके दीवाना वृंदावन आए,
गाके भक्ति के रंग को चढ़ा,
श्याम का रंग चढ़ा।।


ठाकुर जी ने गाया ठाकुर जी का भजन || प्रियाकांत प्यारे की महिमा ||Priyakant ju ki Mahima ||Thakur ji

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Song: Priyakant ju ki Mahima nirali
VOICE : Dau Dyal Thakur ji
LYRICS: Treditional
MUSIC: UMASERIES MUSIC & FILMS

जब किसी साधक का हृदय अपने आराध्य के प्रेम में पूरी तरह रंग जाता है, तो उसके लिए संसार के सारे आकर्षण, दुख और भुलावे गौण हो जाते हैं। यह रंग केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों तक उतर जाता है—जहाँ हर भाव, हर विचार और हर अनुभूति में उसी प्रिय का रंग झलकने लगता है। इस अवस्था में साधक के लिए मायाजाल के परदे हट जाते हैं और वह जीवन के हर क्षण में अपने आराध्य की उपस्थिति, कृपा और प्रेम का अनुभव करता है। यह रंग आत्मा को निर्मल, आनंदित और निर्भय बना देता है, जिससे साधक संसार की भीड़ में रहते हुए भी भीतर से पूर्ण और संतुष्ट रहता है। 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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