माखी गुड में गडी रहे पंख रहे लिपटाए हिंदी मीनिंग Makhi Gud Me Gadi Rahe Meaning
माखी गुड में गडी रहे पंख रहे लिपटाए हिंदी मीनिंग Makhi Gud Me Gadi Rahe Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit
माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए ।हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय ।
Makhi Gud Me Gadi Rahe, Pankh Rahe Liptay,
Hath Mel Aur Sar Dhune, Lalach Buri Balay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
जीवात्मा सांसारिक लोभ और विषय विकार में रत रहती है। वह हाथ पैर को धुनती रहती है और लालच में फंसकर गुड़ की चासनी में लिपट कर मर जाती है। आशय है की व्यक्ति संसार में आकर लोभ और विषय विकार में फंस जाती है और अपने जीवन के उद्देश्य को विस्मृत कर बैठता है। इस दोहे में कबीर दास जी ने लालच के बुरे प्रभावों का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि लालच एक ऐसी बीमारी है जो मनुष्य को अंधा बना देती है। लालची व्यक्ति केवल धन और संपत्ति के पीछे भागता है। वह सांसारिक सुखों में लिपट जाता है। जब वह इन सुखों से दूर जाने का प्रयास करता है तो वह असमर्थ हो जाता है।
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