रात्यूँ रूँनी बिरहनी हिंदी मीनिंग

रात्यूँ रूँनी बिरहनी हिंदी मीनिंग

रात्यूँ रूँनी बिरहनीं, ज्यूँ बंचौ कूँ कुंज।
कबीर अंतर प्रजल्या, प्रगट्या बिरहा पुंज॥

Ratyu Runi Birahani, Jyu Bacho Ku Kunj,
kabir Antar Prajalyaa, Pragatya Biraha Punj.
 
रात्यूँ रूँनी बिरहनी हिंदी मीनिंग Raatyu Runi Birahani Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.

कबीर दोहा (Couplet) शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning

रात्यूँ - रात में।
रूँनी - रोती है।
बिरहनीं-बिरह की अग्नि में जलती।
ज्यूँ - जैसे।
बंचौ -वंचित।
कुंज-क्रोंच।
अंतर -अंतर्मन/हृदय।
प्रजल्या-प्रज्जवलित।
प्रगट्या - प्रकाशित, उद्घाटित।
पुंज-समूह, गुच्छा। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग

ईश्वर से बिछड़ चुकी आत्मा अपने मालिक (पूर्ण परम ब्रह्म) से मिलने के लिए अत्यंत ही व्याकुल है। वह इस प्रकार से रुदन (रोती ) है जैसे क्रौंच पक्षी अपने साथी से बिछड़ने के उपरान्त रोता है। हृदय में विरह का पुंज प्रकट हो गया है जिससे आत्मा इसकी अग्नि में दग्ध है। हृदय में विवेक जाग्रत हो गया है, अब आत्मा पूर्ण का हिस्सा नहीं पूर्ण में एकाकार हो जाना चाहती है। इस तड़प को बताने के लिए कबीर साहेब ने कोंच पक्षी का उदाहरण देकर समझाया है। उल्लेखनीय है की यह जलन तभी शांत होगी जब हरी के दर्शन होंगे। 

जब तक जीवात्मा माया के भरम जाल में फँसी रहती है उसे किसी की चिंता नहीं रहती है। वह यह सोचती ही नहीं की उसके जन्म का उद्देश्य क्या है। जब सत्य का बोध होता है तब उसे बोध होता है की उसने तो व्यर्थ में ही अपना जीवन मायाजनित व्यवहार में नष्ट कर दिया है। अब वह बिरह की अग्नि में जलती रहती है और येन केन प्रकारेण ईश्वर से मिलने को व्याकुल हो उठती है। 

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