यह मन ताको दीजिये साँचा सेवक होय

यह मन ताको दीजिये, साँचा सेवक होय |
सिर ऊपर आरा सहै, तऊ न दूजा होय ||
 
Yah Man Tako Dijiye, Sancha Sevak Hoy,
Sir Upar Aara Sahe Tau Na Duja Hoy.
 

 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

सतगुरुदेव जी का सन्देश है की साधक को चाहिए की वह अपना हृदय उसको देना चाहिए जो ईश्वर का सच्चा सेवक हो। जो अपना सर ऊपर आरा/तलवार सहे फिर भी भक्ति से विमुख ना हो। आशय है की हमें ऐसे गुरु का चयन करना चाहिए जो पूर्ण रूप से ईश्वर के प्रति समर्पित हो। 
 
सवेक - स्वामी एक मत, मत में मत मिली जाय |
चतुराई रीझै नहीं, रीझै मन के भाय ||

सेवक/भक्त और स्वामी/ईश्वर का एक ही मत होना चाहिए, ईश्वर किसी भी प्रकार की चतुराई से प्रसन्न नहीं होते हैं उनके लिए तो मन का भाव ही जरुरी होता है।

सतगुरु शब्द उलंघ के, जो सेवक कहुँ जाय |
जहाँ जाय तहँ काल है, कहैं कबीर समझाय ||

सतगुरु के आदेशों का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए। ऐसा साधक जो गुरु के आदेशों के अतिरिक्त कहीं पर भी जाता है वहीँ उसके लिए काल होता है। ऐसा कबीर साहेब  समझाते हुए सन्देश देते हैं। 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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