श्री गंगा अष्टकम् Shri Ganga Ashtkama Ganga Stotram
श्री गंगा अष्टकम् श्री गंगा अष्टकम् (हिंदी भावार्थ) श्लोक १: सुढ़ंग-अंग-भांगिनि प्रसंग-संग-शोभिते भुजंग-छंद-छन्दिनि भुवना-शोभा-वर्धिते अनंग-भंग-माल…
જે ગમે જગત ગુરુ દેવ જગદીશને, તે તણો ખરખરો ફોક કરવો; આપણો ચિંતવ્યો અર્થ
सभी गुजराती भजन देखेंहत्थ फड़ के तू सिखाया जिन्नू तुरना : जिसे तुमने हाथ पकड़ कर चलना सिखाया।
सभी पंजाबी लोकगीत देखेबाय चाल्या छा भंवर जी पींपळी जी, हांजी ढोला हो गई घेर घुमेर,
सभी राजस्थानी फोक सोंग देखेंहे माँ, कैसा जुलम गुज़ारा, मैं बूढ़े गेल्याँ (साथ) ब्याही,
सभी हरियाणवी फोक सोंग देखेढोलकीच्या तालावर घुंगरच्यां बोलावर, मी नाचते मीं डोलते
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