नाग केशर
नाग केशर के आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर सदाबहार वृक्ष होता है। नाग केशर दक्षिणी भारत, पूर्व बंगाल, एवं पूर्वी हिमालय में बहुलता से पाया जाता है। यह उचाई लिए एक वृक्ष होता है जो लगभग ३० मीटर तक ऊँचा होता है और इसकी पत्तियाँ पतली, लम्बी और घनी होती हैं और दिखने में मेहंदी के समान लगती हैं। नागकेशर का पेड़ हिमालय ,आसाम, बंगाल, कोंकण, कर्नाटक, अण्डमान आदि में बहुलता से पाया जाता है और । भारत के अतिरिक्त यह बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, इण्डोनेशिया, मलेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम, आदि स्थानों में पाया जाता है। इसका रंग पीला होता है। नागकेसर खाने में कषैला, रूखा और हल्का होता है। नागकेशर का जो नाम प्रयोग में लाते हैं वो इसके फूलों और बीजों के लिए प्रयुक्त करते हैं। इसके बीजों से तेल निकलता है जो दर्द दूर करता है। विभिन्न प्रकार के ऑइन्ट्मन्ट तेलों में नागकेशर का उपयोग किया जाता है। वात रोगों से उत्पन्न दर्द यथा कमर दर्द, जोड़ों के दर्द आदि में इसके तेल का उपयोग किया जाता है। इसके फूलों की सुगंध तेज होती है और इनका भी औषधीय उपयोग किया जाता है। नागकेशर के जो बीज होते हैं उनसे ओषधियों के अलावा मसाला और रंग बनाने में भी उपयोग लिया जाता है।
नाग केशर के हिंदी में नाम
नाग केशर को कई नामों से जाना जाता है, हिंदी में इसे नागचम्पा, भुजंगाख्य, हेम, नागपुष्प, नागकेसर, नागेसर, पीला नागकेशर, नागचम्पा आदि नामों से जाना जाता है। इसे संस्कृत में नागपुष्प, अहिकेशर, अहिपुष्प, भुजङ्गपुष्प, वारण, गजकेसर, नागकेशर, चाम्पेय, तुङ्ग, देववल्लभ, केशर आदि नामों से जाना जाता है।
नाग केशर का वानस्पतिक नाम : इसका वानस्पतिक नाम Mesua ferrea Linn. (मेसुआ फेरिआ) होता है।
नागकेशर के गुण धर्म
नागकेशर कसैला, पचने पर कटु, तीखा, गर्म, लघु, रूक्ष, कफ-पित्तशामक, वीर्य -उष्ण, आमपाचक, व्रणरोपक तथा सन्धानकारक होता है। नाग केशर कडवी, कसैली, आम पाचक, किंचित गरम, रुखी, हल्की तथा पित, वात, कफ,रुधिर विकार, कंडू (खुजली), हृदय के विकार, पसीना, दुर्गन्ध, विष, तृषा, कोढ़, विसर्प, बस्ती पीड़ा एवं मस्तकशूल को समाप्त करने वाली होती है। यह गर्मी का विरेचन करता है, तृषा, स्वेद (पसीना), वमन (उल्टी), बदबू, कुष्ठ, बुखार, खुजली, कफ, पित्त और विष को दूर करता है।
नागकेशर की तासीर
नागकेशर की तासीर गर्म होती है।
नागकेशर की सेवन की मात्रा
नाग केशर के सेवन की मात्रा हेतु वैद्य से संपर्क किया जाना चाहिए। इसकी मात्रा विकारों के उपचार हेतु भिन्न हो सकती है।
नागकेशर के फायदे / लाभ
- नाग केशर के कई आयुर्वेदिक लाभ होते हैं। मुख्यतया इसका उपयोग वातजनित रोगों को दूर करने, ज्वर सर दर्द, कमर दर्द, घुटनों में दर्द, हृदय रोगों में किया जाता है।
- सांप के काटने पर नागकेशर की पत्तियों को पीस कर लगाने से सांप का जहर कम हो जाता है।
- नागकेशर, शक़्कर को पीस कर इसके चूर्ण को मक्खन (शुद्ध देसी गाय का ) के साथ मिलाकर सेवन करने से बवासीर में आने वाला खून बंद हो जाता है।
- नागकेशर के चूर्ण का लेप पावों के तलवों पर करने से तलवों की जलन कम हो जाती है।
- नागकेशर के तेल (नाग केशर के बीजों का तेल ) को कमर, जोड़ों पर लगाने से दर्द दूर होता है।
- गठिया रोग में भी नागकेशर के बीजों का तेल प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
- नागकेशर के तेल को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं, ऐसा नागकेशर के एंटी बेक्टेरियल और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारण से होता है।
- नागकेशर के चूर्ण को मिश्री में मिलाकर कच्चे दूध के साथ लेने से गर्भपात नहीं होता है।
- यदि माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव होता हो तो नागकेशर के चूर्ण को छाछ में मिलाकर लेने से विकार दूर होता है। इसके लिए चुटकी भर चूर्ण उचित रहता है।
- नागकेशर के चूर्ण के सेवन से पेट के विकार दूर होते हैं।
- इसके सेवन से दस्त की समस्या का समाधान होता है।
- नागकेशर क्वाथ के सेवन से खांसी, अस्थमा और फेफड़ों से जुड़े विकार दूर होते हैं।
- नागकेसर की जड़ और छाल के क्वाथ के सेवन से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
- पीली नागकेसर के चूर्ण को लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में मिश्री और मक्खन के साथ मिलाकर सेवन करने से प्रदाह शांत होती है।
- पीले नागकेसर को (लगभग ४ ग्राम ) मक्खन और मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हिचकी मिट जाती है।
- नागकेसर और सुपारी का चूर्ण सेंवन करने से भी गर्भ ठहर जाता है।
- भवन के वास्तुदोष को दूर करने के लिए नागकेसर की लकड़ी से हवन करने से वास्तुदोष का शमन होता है।
- नागकेसर का तेल घाव पर लगाते रहने से घाव शीघ्र भर जाता है।
- नागकेशर का सेवन कैसे करें : नाग केशर की मात्रा आपके लिए कितनी उचित होगी इसके लिए वैद्य से संपर्क करें। अपनी मर्जी से नागकेशर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- चर्म रोगों पर इसके बीजों से निकलने वाले तेल को लगाने से बेक्टेरियल इन्फेक्शन दूर होता है।
- नागकेशर के चूर्ण के सेवन से रक्तप्रदर में लाभ प्राप्त होता है।
- नागकेशर पाचक, मूत्र वर्धक, एंटी सेप्टिक, एंटी बेक्टेरियल, एंटी इन्फ्लामेट्री, ज्वर नाशक, एंटी अस्थमेटिक, एंटी एलर्जिक, एंटी फंगल होता है।
- नागकेशर के सेवन से यदि शरीर दिह्यड्रेड हो गया हो तो लाभ मिलता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |