मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया शुक्रिया

मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया शुक्रिया

 
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया शुक्रिया

(मुखड़ा)
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी पहचान तूने बनाई है माँ,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।।


(अंतरा 1)
खाक से तूने मुझको उठाया है माँ,
अपने चरणों से मुझको लगाया है माँ।
तेरी सेवा का हकदार मैं हो गया,
ये मेहरबानी तेरी, तेरा शुक्रिया।
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी पहचान तूने बनाई है माँ,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।।

(अंतरा 2)
मान, इज़्ज़त व शोहरत और दौलत मिली,
हर ख़ुशी माँ तेरी ही बदौलत मिली।
दाता तूने बख्शीं कई नेमतें,
हर घड़ी शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी पहचान तूने बनाई है माँ,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।।

(अंतरा 3)
तेरे दम से ही दम है, दम आ रहा,
सांस का पंछी माँ तेरे गुण गा रहा।
‘पप्पू लहरी’ की साँसें अमानत तेरी,
मेरी हर साँस करती तेरा शुक्रिया।
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी पहचान तूने बनाई है माँ,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।।

(पुनरावृत्ति – मुखड़ा)
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी औकात से ज्यादा तूने दिया,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया,
मेरी पहचान तूने बनाई है माँ,
शुक्रिया शुक्रिया माँ तेरा शुक्रिया।।

माँ तेरा शुक्रिया | Maa Tera Shukriya | नवरात्री स्पेशल भजन | by Shilpi Kaushik | Lyrical

Song: Maa Tera Shukriya
Singer: Shilpi Kaushik
Lyricist: Pappu Lehri "Moradabad"
Music: Lovely Sharma
Category: HIndi Devotional ( Mata Ke Bhajan)
Producers: Amresh Bahadur, Ramit Mathur
 
माँ ने उसे उसकी योग्यता से कहीं अधिक प्रदान किया है, जो उनकी करुणा और उदारता का प्रतीक है। भक्त स्वयं को तुच्छ (खाक) मानता है, पर माँ की कृपा से वह उनके चरणों में स्थान पाता है। यह भक्ति में विनम्रता और माँ की सेवा को सर्वोच्च मानने की भावना को प्रकट करता है। माँ को सभी सांसारिक और आध्यात्मिक सुखों का स्रोत है जीवन में प्राप्त हर सुख, सम्मान और उपलब्धि के पीछे एक ऐसी शक्ति का आलम है, जो हमें हमारी सामर्थ्य से कहीं अधिक प्रदान करती है। यह शक्ति हमें न केवल भौतिक सुख-सुविधाएँ देती है, बल्कि हमारी आत्मा को भी ऊँचा उठाती है। यह वह दैवीय कृपा है, जो हमें निम्न से उच्च की ओर ले जाती है, हमें एक नई पहचान देती है और हमारे अस्तित्व को अर्थ प्रदान करती है। इस कृपा के बिना हमारा जीवन अधूरा और दिशाहीन होता। यह वह अनमोल उपहार है, जो हमें न केवल जीवित रखता है, बल्कि हमारे जीवन को सार्थक बनाता है, जिसके लिए हर पल कृतज्ञता व्यक्त करना हमारा परम कर्तव्य है।
 

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