होने लगा है मुझ पे जवानी लिरिक्स
होने लगा है मुझ पे जवानी का अब असर,
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
देखो छलक पड़ी है मेरे रूप की गागर,
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
इक ऐसी डगर पर आई मेरी उमर,
दमकी है मेरी दुनिया झमकी है झांझर
दुल्हन की तरह आज मैं बन ठन चली किधर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
मुस्का रहा है मन शरमा रहे नयन
पलकों में झुमने लगे प्यार के सपन
चुपके से मेरे दिल में कोई कर रहा है घर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
अपना है अब ये हाल लटपट हुई है चाल
मैं ऐसे डोलूं जैसे डोले पवन में डाल
पड़ने लगे हैं पाँव मेरे इधर उधर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
होने लगा है मुझ पे जवानी का अब असर
झुकी जाए नज़र झुकी जाए नज़र
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
देखो छलक पड़ी है मेरे रूप की गागर,
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
इक ऐसी डगर पर आई मेरी उमर,
दमकी है मेरी दुनिया झमकी है झांझर
दुल्हन की तरह आज मैं बन ठन चली किधर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
मुस्का रहा है मन शरमा रहे नयन
पलकों में झुमने लगे प्यार के सपन
चुपके से मेरे दिल में कोई कर रहा है घर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
अपना है अब ये हाल लटपट हुई है चाल
मैं ऐसे डोलूं जैसे डोले पवन में डाल
पड़ने लगे हैं पाँव मेरे इधर उधर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
होने लगा है मुझ पे जवानी का अब असर
झुकी जाए नज़र झुकी जाए नज़र
Song: Hone Laga Hai Mujhape Jawani Ka Ab Asar
Singer: Lata Mangeshkar
Music Director: Chitalkar Ramchandra
Lyricist: Kavi Pradeep
Actor: Nalini Jaywant, Ajit
Film: Nastik (1954)
गीत: होने लगा है मुझपे जवानी का अब असर
गायिका: लता मंगेशकर
संगीतकार: चितलकार रामचंद्रा
गीतकार: कवि प्रदीप
अभिनेता / अभिनेत्री: नलिनी जयवंत, अजित
फिल्म: नास्तिक (1954)
Singer: Lata Mangeshkar
Music Director: Chitalkar Ramchandra
Lyricist: Kavi Pradeep
Actor: Nalini Jaywant, Ajit
Film: Nastik (1954)
गीत: होने लगा है मुझपे जवानी का अब असर
गायिका: लता मंगेशकर
संगीतकार: चितलकार रामचंद्रा
गीतकार: कवि प्रदीप
अभिनेता / अभिनेत्री: नलिनी जयवंत, अजित
फिल्म: नास्तिक (1954)
होने लगा है मुझ पे जवानी का अब असर
झुकी जाए नज़र हो झुकी जाए नज़र
Nastik (1954) - Hone Laga Hai Mujhape Jawani Kaa Ab Asar (होने लगा है मुझपे जवानी का अब असर)
"होने लगा है मुझ पे जवानी का अब असर" एक हिंदी फिल्म गीत है जिसे कवि प्रदीप ने लिखा था और जिसे 1954 की फिल्म "नास्तिक" के लिए संगीतकार सी. रामचंद्र ने संगीत दिया था। इसे लता मंगेशकर ने गाया था। यह गीत एक युवा महिला के बारे में है जो जवानी के आने के साथ-साथ अपनी सुंदरता और आकर्षण में वृद्धि का अनुभव कर रही है। वह अपने नए रूप से अभिभूत है और वह अपने आसपास की दुनिया को नए तरीके से देखने लगी है।
- आज़ादी इलाही ख़ैर वो हरदम नई बेदाद करते हैं Ajadi Ilahi Khair
- छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी Chhodo Kal Ki Baten
- देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो Desh Ki Khatir
- दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा Duniya Se Gulami Mita Dunga
- बला से हमको लटकाए अगर सरकार फांसी से Bala Se Hamako Latakaye
- यहाँ अमन हो प्यार हो Yaha Aman Ho Pyar Ho
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |
