वाह वाह रे मौज फकीरा दी साईं भजन
वाह वाह रे मौज फकीरा दी साईं भजन
वाह वाह रे मौज फकीरा दी,
कभी तो चाहे चना चबेना,
कभी निपट ले खीर आदी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
कभी तो सोए राज महल में,
कभी तो गली अहीरा दी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
मंग-तंग के पहने कपड़े,
चाल चले अमीरा दी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
कभी तो ओढ़े शाल-दुशाले,
कभी तो गुदड़ी लीरा दी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
कभी तो चाहे चना चबेना,
कभी निपट ले खीर आदी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
कभी तो सोए राज महल में,
कभी तो गली अहीरा दी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
मंग-तंग के पहने कपड़े,
चाल चले अमीरा दी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
कभी तो ओढ़े शाल-दुशाले,
कभी तो गुदड़ी लीरा दी।
वाह वाह रे मौज फकीरा दी।।
2021 Special Bhajan - Faqeeri ka nasha - New Sai Bhajan 2021 - 2021 New Sai Bhajan - Sai Deep
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साईं की फकीरी और उनके जीवन की सादगी एक ऐसी अनुपम मिसाल है, जो भक्त को सांसारिक मोह और दिखावे से परे सच्चे सुख की राह दिखाती है। यह भाव उस अनोखी मौज को दर्शाता है, जो साईं अपने जीवन में अपनाते थे, जहाँ न तो भौतिक सुखों की चाह थी और न ही वैभव की लालसा। उनकी सादगी और समर्पण भक्त को यह सिखाता है कि सच्चा सुख बाहरी समृद्धि में नहीं, बल्कि मन की शांति और प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण में है। चाहे वह साधारण भोजन हो या राजसी महल, साईं का हृदय सदा एक समान रहता था, जो हर परिस्थिति में प्रभु की भक्ति और प्रेम में लीन था। यह फकीरी का भाव भक्त को प्रेरित करता है कि वह जीवन को सादगी और प्रेम के साथ जिए, बिना किसी लालच या अहंकार के, ताकि उसका मन सदा साईं के रंग में रंगा रहे।
Song : Faqeeri ka nasha
Singer : Sai Deep
Lyrics : Sai Deep
Singer : Sai Deep
Lyrics : Sai Deep
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Author - Saroj Jangir
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