श्री दुर्गा कवच विधि फायदे Shri Durga Kavach Jaap Vidhi Benefits

श्री दुर्गा कवच Shri Durga Kavach Mahatva Labh Vidhi

नवरात्रि के पर्व पर मां दुर्गा के मन्त्रों का जाप करने से साधक को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दौरान दुर्गा कवच का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याओं का समाधान प्राप्त करता है। नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को भय, रोग, और दोष इत्यादि से छुटकारा मिल जाता है, जिससे उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति में सुधार होता है। इस प्रकार, दुर्गा कवच के अत्यंत ही लाभकारी है.
 
|| श्री दुर्गा कवच ||
ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी !
दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !!
के जो गुप्त मंत्र है संसार में !
हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !!
हर इक का कर सकता जो उपकार है !
जिसे जपने से बेडा ही पार है !!
पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का !
जो हर काम पूरे करे सवाल का !!
सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ !
मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !!
कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना !
जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !!
नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये !
 
श्री दुर्गा कवच लिरिक्स Shri Durga Kavach Lyrics
 
उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
पहली शैलपुत्री कहलावे !
दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !!
तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम !
चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम !!
पांचवी देवी अस्कंद माता !
छटी कात्यायनी विख्याता !!
सातवी कालरात्रि महामाया !
आठवी महागौरी जग जाया !!
नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने !
नव दुर्गा के नाम बखाने !!
महासंकट में बन में रण में !
रुप होई उपजे निज तन में !!
महाविपत्ति में व्योवहार में !
मान चाहे जो राज दरबार में !!
शक्ति कवच को सुने सुनाये !
मन कामना सिद्धी नर पाए !!
चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार !
बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
हंस सवारी वारही की !
मोर चढी दुर्गा कुमारी !!
लक्ष्मी देवी कमल असीना !
ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !!
ईश्वरी सदा बैल सवारी !
भक्तन की करती रखवारी !!
शंख चक्र शक्ति त्रिशुला !
हल मूसल कर कमल के फ़ूला !!
दैत्य नाश करने के कारन !
रुप अनेक किन्हें धारण !!
बार बार मैं सीस नवाऊं !
जगदम्बे के गुण को गाऊँ !!
कष्ट निवारण बलशाली माँ !
दुष्ट संहारण महाकाली माँ !!
कोटी कोटी माता प्रणाम !
पूरण की जो मेरे काम !!
दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ !
चमन की रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
अग्नि से अग्नि देवता !
पूरब दिशा में येंदरी !!
दक्षिण में वाराही मेरी !
नैविधी में खडग धारिणी !!
वायु से माँ मृग वाहिनी !
पश्चिम में देवी वारुणी !!
उत्तर में माँ कौमारी जी!
ईशान में शूल धारिणी !!
ब्रहामानी माता अर्श पर !
माँ वैष्णवी इस फर्श पर !!
चामुंडा दसों दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो !
संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!
सन्मुख मेरे देवी जया !
पाछे हो माता विजैया !!
अजीता खड़ी बाएं मेरे !
अपराजिता दायें मेरे !!
नवज्योतिनी माँ शिवांगी !
माँ उमा देवी सिर की ही !!
मालाधारी ललाट की, और भ्रुकुटी कि यशर्वथिनी !
भ्रुकुटी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नासिका !!
काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी !
नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !!
संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!
ऊपर वाणी के होठों की !
माँ चन्द्रकी अमृत करी !!
जीभा की माता सरस्वती !
दांतों की कुमारी सती !!
इस कठ की माँ चंदिका !
और चित्रघंटा घंटी की !!
कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की !
माँ मंगला इस बनी की !!
ग्रीवा की भद्रकाली माँ !
रक्षा करे बलशाली माँ !!
दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी !
दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी !!
शुलेश्वरी, कुलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी !
जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वासिनी !!
हृदय उदार और नाभि की, कटी भाग के सब अंग की !
गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !!
घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो विंध्यवासिनी !
टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो शिव की दासनी !!
रक्त मांस और हड्डियों से, जो बना शरीर !
आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर !!
बल बुद्धि अंहकार और, प्राण ओ पाप समान !
सत रज तम के गुणों में, फँसी है यह जान !!
धार अनेकों रुप ही, रक्षा करियो आन !
तेरी कृपा से ही माँ, चमन का है कल्याण !!
आयु यश और कीर्ति धन, सम्पति परिवार !
ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पार्वती जग तार !!
विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल !
दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल !!
भैरवी मेरी भार्या की, रक्षा करो हमेश !
मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश !!
यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये !
कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए !!
है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान !
लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान !!
मन वांछित फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए !
कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर मे आये !!
ब्रह्माजी बोले सुनो मार्कंड़य !
यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया !!
रहा आज तक था गुप्त भेद सारा !
जगत की भलाई को मैंने बताया !!
सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित !
है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया !!
चमन जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो !
सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !!
जो संसार में अपने मंगल को चाहे !
तो हरदम कवच यही गाता चला जा !!
बियाबान जंगल दिशाओं दशों में !
तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा !!
तू जल में तू थल में तू अग्नि पवन में !
कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा !!
निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे !
चमन पाव आगे बढ़ता चला जा !!
तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा !
तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए !!
यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा !
यही तेरे सिर से हर संकट हटायें !!   
यही भूत और प्रेत के भय का नाशक !
यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये !!
इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर !
जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !!
इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढे !
कृपा से आधी भवानी की, बल और बुद्धि बढे !!
श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम !
सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम !!
कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ !
तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण !!
!! जय माता दी !!
 

Durga Kavach | श्री दुर्गा रक्षा कवच | Durga Maa Songs | Mata Ke Gane | Durga Kavach In Hindi

मंत्रों में अद्भुत शक्ति होती है, और इन्हें सही तरीके से पढ़ने पर नकारात्मक प्रभावों को सकारात्मक और जीवन में लाभ देने वाला किया जा सकता है। यदि आप अपने चारों ओर फैली नकारात्मकता से परेशान हैं, तो दुर्गा कवच का पाठ करना एक प्रभावी उपाय है। जो व्यक्ति विधि विधान से और सही उच्चारण के साथ नियमित रूप से दुर्गा कवच का पाठ करता है, वह सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्त हो जाता है। मार्कंडेय पुराण, जो अठारह प्रमुख पुराणों में से एक है, में दुर्गा कवच (देवी कवच) के श्लोकों का उल्लेख है।

दुर्गा कवच का महत्व (Importance of Durga Kawach)

दुर्गा कवच का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इसमें भगवान ब्रह्मा जी ने देवी पार्वती माँ के नौ अलग-अलग दैवीय रूपों का वर्णन किया है, जिनके उच्चारण मात्र से ही माता रानी की कृपा प्राप्त होती है। भगवान ब्रह्मा सभी भक्तों को इस कवच के माध्यम से माता रानी का आशीर्वाद के लिए आव्हान करते हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से दुर्गा कवच का पाठ करता है, वह माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करता है। जीवन के नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति मुक्त रहता है.

दुर्गा कवच का पाठ कैसे करें

दुर्गा कवच का पाठ दुर्गा सप्तशती के आरंभ में और उसके बाद किया जाना चाहिए।, आपको स्थान की और साधक की शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. माता रानी का पाठ शुरू करने से पहले अच्छे से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके उपरान्त मां दुर्गा का ध्यान करें और उनके समक्ष घी का दीप जलाएं। दुर्गा कवच का पाठ प्रारंभ करने से पहले अपने मन से सभी नकारात्मक विचारों और दुर्भावनाओं को दूर कर दें। केवल मां की भक्ति पर ध्यान केंद्रित करें, अतः पूर्ण मनोयोग से पाठ करें. मां को पुष्प अर्पित करने के बाद फल और मिष्ठान का भोग लगाएं और फिर दुर्गा कवच का पाठ शुरू करें।

दुर्गा कवच का पाठ करने से लाभ (Benefits of Durga Kawach)

  • दुर्गा कवच का पाठ करने से जातक के मन और उसके चारों ओर से नकारात्मक ऊर्जाओं का अंत होता है.
  • यह पाठ जातक को प्रेत बाधा जैसी समस्याओं से जल्दी मुक्ति दिलाता है, जिससे मानसिक शांति बढ़ती है।
  • दुर्गा कवच का पाठ करने से अकाल मृत्यु जैसे संकट दूर होते हैं।
  • बड़े से बड़े संकट का निवारण करने में यह पाठ सहायक होता है, जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों का सामना करता है.
  • इस पाठ असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति आरोग्य को प्राप्त होता है.
  • न्यायालय से जुड़े मामलों में विजय प्राप्त करने में भी दुर्गा कवच का पाठ लाभकारी होता है।
  • इस पाठ शत्रुओं पर विजय पाने में सहायता करता है, जिससे जातक को आत्मविश्वास और बल मिलता है।
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