दरद हमने सहे ये सैंयाँ के लाल कैसे कहाए

दरद हमने सहे ये सैंयाँ के लाल कैसे कहाए

आओ सास रानी, बैठो पलंग पर,
हमारा न्याव चुकाओ –
सैंयाँ के लाल कैसे कहाए।।
चाहे बहू मारो, चाहे बहू छोड़ो,
लाल तो बेटे के कहाए, 
तुम्हारे लाल कैसे कहाए।।

आओ नणद रानी, बैठो पलंग पर,
हमारा न्याव चुकाओ –
सैंयाँ के लाल कैसे कहाए।।
चाहे भाभी मारो, चाहे गरियाओ,
लाल तो भैया के कहाए, 
तुम्हारे लाल कैसे कहाए।।

मैं पड़ीसूं वीर की कैद,
लाल मेरी कैद छुड़ाओ जी महाराज।
मां मैं क्यूँकर जनम जे ल्यू,
टूटी खटिया, फटी गुदड़िया,
छोरड़ा कह कै बोलो जी महाराज।।

जो लाला थम जनम ले ल्यो,
सूतो के पिलंगा, मखमल के गद्दा –
किरसन कह कै बोलें, 
हर कह कै बोलें जी महाराज।।

आधी सी रात अर खुले हैं किवाड़,
पहरेदार सोये जी महाराज।।



सोहर गीत - दर्द तो हमने सहा है सइयां के लाल कैसे कहाये।। आखिर तक सुनेंगे तभी मतलब समझ आएगा।। 😂

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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