साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही,
बाबा तेरे कर्म की बरसात हो रही,
रहमत सवालिया पे दिन रात हो रही है।
तेरे रहम के छींटे हर ओर लग रहे हैं,
सदियों से सोये ये जो वो नसीब जग रहे हैं,
कुटियाँ गरीब की भी आबाद हो रही हैं,
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही।
जब से सुने हैं हमने तेरे वचन ओ बाबा,
शिरडी सा हो गया है पावन ओ मन बाबा,
पापों से आत्मा ये आज़ाद हो रही है,
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही।
भक्तों से मिलने मोहन तुम बनने के आए साईं,
तुम में झलक है शिव की, श्याम राम की समाई,
घर-घर में आजकल ये बस बात हो रही है,
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही।
बाबा तेरे कर्म की बरसात हो रही,
रहमत सवालिया पे दिन रात हो रही है।
तेरे रहम के छींटे हर ओर लग रहे हैं,
सदियों से सोये ये जो वो नसीब जग रहे हैं,
कुटियाँ गरीब की भी आबाद हो रही हैं,
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही।
जब से सुने हैं हमने तेरे वचन ओ बाबा,
शिरडी सा हो गया है पावन ओ मन बाबा,
पापों से आत्मा ये आज़ाद हो रही है,
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही।
भक्तों से मिलने मोहन तुम बनने के आए साईं,
तुम में झलक है शिव की, श्याम राम की समाई,
घर-घर में आजकल ये बस बात हो रही है,
साईं तेरे कर्म की बरसात हो रही।
Sai Tere Karam Ki Sai Bhajan By Mohan Sharma [Full HD Song] I Sai Ka Sawali
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Sai Bhajan: Sai Tere Karam Ki
Album Name: Sai Ka Sawali
Singer: Mohan Sharma
Music Director: Lovely Sharma
Lyricist: Ravi Chopra
Picuturised On: Mohan Sharma
Music Label: T-Series
Album Name: Sai Ka Sawali
Singer: Mohan Sharma
Music Director: Lovely Sharma
Lyricist: Ravi Chopra
Picuturised On: Mohan Sharma
Music Label: T-Series
जब किसी जीवन में दिव्य कृपा का प्रवाह आरंभ होता है, तो हर ओर आशा, आनंद और परिवर्तन की बयार बहने लगती है। यह कृपा केवल भौतिक सुख-सुविधाओं तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आत्मा के गहरे स्तरों तक पहुँचती है और उसे शुद्ध, निर्भय तथा स्वतंत्र बना देती है। जिन लोगों की किस्मत वर्षों से सोई हुई थी, उनके जीवन में भी नई जागृति और उत्साह का संचार होने लगता है। जिस घर-आँगन में कभी अभाव और दुःख का डेरा था, वहाँ भी सुख, शांति और संतोष की अनुभूति होने लगती है। यह अनुभव बताता है कि जब कोई सच्चे मन से समर्पण करता है, तो उसका जीवन दिव्य ऊर्जा से भर उठता है।
दिव्य वचनों और उपदेशों का प्रभाव केवल सुनने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वह मन और आत्मा को पवित्र बना देता है। जब व्यक्ति इन वचनों को अपने जीवन में उतारता है, तो उसका मन भी एक पावन तीर्थ बन जाता है। भीतर की सारी नकारात्मकता, पाप और अशांति धीरे-धीरे दूर होने लगती है। जिस प्रकार भगवान के विभिन्न रूपों में एक ही दिव्यता झलकती है, उसी तरह सच्चे संतों और गुरुओं में भी वह परमात्मा की झलक मिलती है। जब समाज में, घर-घर में, इन दिव्य गुणों की चर्चा और अनुसरण होने लगता है, तब पूरे वातावरण में सकारात्मकता, प्रेम और विश्वास की वर्षा होने लगती है। यही वह अवस्था है, जब जीवन में सच्चे अर्थों में कृपा और आनंद की बरसात होती है।
दिव्य वचनों और उपदेशों का प्रभाव केवल सुनने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वह मन और आत्मा को पवित्र बना देता है। जब व्यक्ति इन वचनों को अपने जीवन में उतारता है, तो उसका मन भी एक पावन तीर्थ बन जाता है। भीतर की सारी नकारात्मकता, पाप और अशांति धीरे-धीरे दूर होने लगती है। जिस प्रकार भगवान के विभिन्न रूपों में एक ही दिव्यता झलकती है, उसी तरह सच्चे संतों और गुरुओं में भी वह परमात्मा की झलक मिलती है। जब समाज में, घर-घर में, इन दिव्य गुणों की चर्चा और अनुसरण होने लगता है, तब पूरे वातावरण में सकारात्मकता, प्रेम और विश्वास की वर्षा होने लगती है। यही वह अवस्था है, जब जीवन में सच्चे अर्थों में कृपा और आनंद की बरसात होती है।
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Author - Saroj Jangir
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