माई री मैं तो साई चरण की दासी
माई री मैं तो साई चरण की दासी
माई री, मैं तो साई चरण की दासी,
साई धाम में जाकर मिटाऊँ मन की सभी उदासी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
साई बाबा के दर्शन को, अखियां जनम से प्यासी,
जहाँ मैं देखूं साई, मेरा साई है घट-घट वासी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
मात, पिता, बंधु, गुरु साई, वे देवा अविनाशी,
साई में सारे तीर्थ देखूं, उन्हीं में बाबा काशी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
मैं तो रम गई साई भजन में, सारी दुनिया हांसी,
सद्गुरु साई दया करेंगे, कृपा की मैं अविनाशी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
साई धाम में जाकर मिटाऊँ मन की सभी उदासी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
साई बाबा के दर्शन को, अखियां जनम से प्यासी,
जहाँ मैं देखूं साई, मेरा साई है घट-घट वासी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
मात, पिता, बंधु, गुरु साई, वे देवा अविनाशी,
साई में सारे तीर्थ देखूं, उन्हीं में बाबा काशी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
मैं तो रम गई साई भजन में, सारी दुनिया हांसी,
सद्गुरु साई दया करेंगे, कृपा की मैं अविनाशी।
माई री, मैं तो साई चरण की दासी।।
Maee Ri Main To [Full Song] I Sai Charan Ki Daasi
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यह भक्ति भाव उस सच्चे समर्पण और प्रेम की झलक है, जिसमें भक्त अपने जीवन का हर सुख-दुख, हर आशा-निराशा अपने आराध्य साईं बाबा के चरणों में अर्पित कर देती है। जब मनुष्य साईं के चरणों में खुद को पूरी तरह समर्पित कर देता है, तो उसके जीवन की सारी उदासी, चिंता और अकेलापन मिट जाता है। साईं का धाम उसके लिए वह स्थान बन जाता है, जहाँ आत्मा को शांति, मन को सुकून और जीवन को नया अर्थ मिलता है।
साईं बाबा के दर्शन की प्यास, जन्म-जन्मांतर की प्यास है—यह केवल आँखों से देखने की नहीं, बल्कि हृदय से अनुभव करने की तड़प है। जब भक्त साईं के दर्शन करता है, तो उसे महसूस होता है कि साईं बाबा हर जगह, हर कण में, हर दिल में विराजमान हैं। यह अनुभूति जीवन को दिव्यता और प्रेम से भर देती है।
साईं बाबा को माता-पिता, बंधु, गुरु और सबकुछ मान लेना, अपने जीवन को पूरी तरह उनकी शरण में सौंप देना, सबसे बड़ा सौभाग्य है। जब भक्त को अपने आराध्य में ही सारे तीर्थ, सारी पवित्रता और सारी शांति मिल जाती है, तो वह संसार के मोह-माया से परे, केवल भक्ति में रम जाता है। साईं का नाम, उनकी भक्ति, और उनकी दया ही उसकी सबसे बड़ी पूँजी बन जाती है।
ऐसे भाव में डूबी हुई आत्मा को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं महसूस होती, क्योंकि उसे अपने सद्गुरु साईं की कृपा और दया का आश्रय मिल जाता है। यही सच्ची भक्ति और समर्पण की पराकाष्ठा है, जहाँ जीवन का हर क्षण साईं के चरणों में अर्पित हो जाता है और आत्मा को अमरता, शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
साईं बाबा के दर्शन की प्यास, जन्म-जन्मांतर की प्यास है—यह केवल आँखों से देखने की नहीं, बल्कि हृदय से अनुभव करने की तड़प है। जब भक्त साईं के दर्शन करता है, तो उसे महसूस होता है कि साईं बाबा हर जगह, हर कण में, हर दिल में विराजमान हैं। यह अनुभूति जीवन को दिव्यता और प्रेम से भर देती है।
साईं बाबा को माता-पिता, बंधु, गुरु और सबकुछ मान लेना, अपने जीवन को पूरी तरह उनकी शरण में सौंप देना, सबसे बड़ा सौभाग्य है। जब भक्त को अपने आराध्य में ही सारे तीर्थ, सारी पवित्रता और सारी शांति मिल जाती है, तो वह संसार के मोह-माया से परे, केवल भक्ति में रम जाता है। साईं का नाम, उनकी भक्ति, और उनकी दया ही उसकी सबसे बड़ी पूँजी बन जाती है।
ऐसे भाव में डूबी हुई आत्मा को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं महसूस होती, क्योंकि उसे अपने सद्गुरु साईं की कृपा और दया का आश्रय मिल जाता है। यही सच्ची भक्ति और समर्पण की पराकाष्ठा है, जहाँ जीवन का हर क्षण साईं के चरणों में अर्पित हो जाता है और आत्मा को अमरता, शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
Sai Bhajan: Maee Ri Main To
Album Name: Sai Charan Ki Daasi
Singer: Kanchan Gulati
Music Director: Pt. Kiran Mishra, Shahid Hamdani
Lyricist: Jitendra Raghuvanshi
Music Label: T-Series
Album Name: Sai Charan Ki Daasi
Singer: Kanchan Gulati
Music Director: Pt. Kiran Mishra, Shahid Hamdani
Lyricist: Jitendra Raghuvanshi
Music Label: T-Series
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Author - Saroj Jangir
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