घुटवन घुटवन डोले श्याम लिरिक्स Ghutvan Ghutvan Doule Shyam Lyrics


Yeshu Mashih Stuti Aradhana Worship Songs

घुटवन घुटवन डोले श्याम लिरिक्स Ghutvan Ghutvan Doule Shyam Lyrics

घुटवन घुटवन डोले,
श्याम की पायल,
छम छम बोले।

बेनी गुहि भाल नजरोटा,
बाबा नन्द को प्यारो ढोटा,
हंसती यशोदा मंद मंद,
मन पट घूँघट के खोले,
श्याम की पायल,
छम छम बोले,
घुटवन घुटवन डोले,
श्याम की पायल,
छम छम बोले।

तन पर धुल रजत सी चमके,
कटकर धनी नूपुर भी खनके,
कुण्डल मकराकृत कानो में,
हिलते हौले हौले,
श्याम की पायल छम छम बोले,
घुटवन घुटवन डोले,
श्याम की पायल छम छम बोले।

श्याम केश घुंघराले प्यारे,
नैना बड़े सुन्दर कजरारे,
माथे मोर मुकुट गल माला,
मन के हैं अति भोले,
श्याम की पायल छम छम बोले,
घुटवन घुटवन डोले,
श्याम की पायल छम छम बोले।
 
श्री कृष्ण जी की बाल लीलाओं का वर्णन भागवत पुराण में मिलता है। कृष्ण जी की बाल लीलाएं अद्भुत और रोमांचक हैं। वे अपनी बाल लीलाओं से सभी को मोहित कर लेते हैं।

पूतना वध: जब कृष्ण जी का जन्म हुआ, तो कंस ने उन्हें मारने के लिए कई राक्षस भेजे। एक राक्षस पूतना ने कृष्ण जी को दूध पिलाने का प्रयास किया, लेकिन कृष्ण जी ने उसके दूध में विष मिला दिया। पूतना कृष्ण जी को दूध पिलाने लगी, लेकिन कृष्ण जी ने उसके दूध को पीकर उसका वध कर दिया।
शकटासुर वध: शकटासुर एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने गोकुल के निवासियों को परेशान करना शुरू कर दिया। कृष्ण जी ने शकटासुर को मारकर गोकुल के निवासियों को मुक्त कराया।
तृणावर्त वध: तृणावर्त एक राक्षस था, जिसने गोकुल के निवासियों को तृण (घास) की रस्सियों से बांध दिया था। कृष्ण जी ने तृणावर्त को मारकर गोकुल के निवासियों को मुक्त कराया।
गोवर्धन लीला: एक बार कंस ने गोकुल के निवासियों को चुनौती दी कि वे एक दिन में गोवर्धन पर्वत को उठा लेंगे। कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल के निवासियों को कंस की चुनौती से बचाया।
रास लीला: कृष्ण जी ने गोपियों के साथ रास लीला की। रास लीला एक नृत्य है, जो प्रेम और आनंद का प्रतीक है। कृष्ण जी की रास लीला से गोपियों को आनंद और उत्साह प्राप्त हुआ।
इनके अलावा, कृष्ण जी ने कई अन्य बाल लीलाएं भी की। उनकी बाल लीलाओं से सभी को यह पता चलता है कि वे एक दयालु और करुणावान भगवान हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

कृष्ण जी की बाल लीलाओं को कई भजनों और गीतों में भी वर्णित किया गया है। इन भजनों और गीतों से कृष्ण जी की बाल लीलाओं की मधुरता और रोमांच का पता चलता है।


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