छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल भजन लिरिक्स Chhoti Chhoti Gaiya Bhajan Lyrics


Naye Bhajano Ke Lyrics

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल भजन लिरिक्स Chhoti Chhoti Gaiya Bhajan Lyrics

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल,
छोटो सो मेरो मदन गोपाल।।

आगे आगे गईया पीछे पीछे ग्वाल,
बीच में मेरो मदन गोपाल।।

कारी कारी गैया गोरे गोरे ग्वाल,
श्याम वरण मेरो मदन गोपाल।।

घास खाए गैया दुध पीवे ग्वाल,
माखन खावे मेरो मदन गोपाल।।

छोटी छोटी लकुटी छोले छोटे हाथ,
बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल।।

छोटी छोटी सखियाँ मधुबन बाग,
रास राचावे मेरो मदन गोपाल।।

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल,
छोटो सो मेरो मदन गोपाल।।



Choti Choti Gaiya Chote Chote Gwal | Choti Choti Gaiya Chote Chote Gwal - 2 - Lord Krishna Bhajans

 
श्री कृष्ण को गोपाल इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे बचपन से ही गाय चराने का कार्य करते थे। वे ग्वाल बालकों के साथ मिलकर गाय चराते थे। उनकी बंसुरी की आवाज़ सुनकर सभी गाय उनकी तरफ आकर्षित हो जाती थीं। श्री कृष्ण गायों को बहुत प्यार करते थे और उनकी देखभाल करते थे। इसीलिए उन्हें गोपाल कहा जाता है।

गाय को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इसे माता का दर्जा दिया जाता है। गाय से हमें दूध, दही, घी, मक्खन, गोबर और गोमूत्र जैसी कई उपयोगी वस्तुएं मिलती हैं। गाय को चारा खिलाना और उसकी देखभाल करना पुण्य का कार्य माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी पर्व गौ माता और गौवंश की पूजा को समर्पित करने का महत्वपूर्ण दिन है। इसे भगवान श्रीकृष्ण के गौचरण के अवसर के रूप में मनाया जाता है, और यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू परंपरागत पर्व है। गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा करने के अलावा, भगवान कृष्ण की पूजा भी की जाती है, क्योंकि वह गौवंश के साथ रहते थे और गोपाष्टमी को उनके गौचरण के अवसर के रूप में मनाया जाता है।

गोपाष्टमी को मनाने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके हैं, जैसे कि गायों के साथ परिक्रमा करना, उनका स्नान करवाना, उनकी पूजा करना, और उन्हें खिलाना। यह पर्व गौ माता की सेवा का मौका प्रदान करता है और हिन्दू संस्कृति में गौवंश के महत्व को उन्होंने उजागर किया है।

गोपाष्टमी के दिन का आचरण और पूजन के तरीके विभिन्न क्षेत्रों और परंपराओं के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इस पर्व का मुख्य संदेश गौ माता की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करना और उनकी सेवा करना है। यह एक परंपरागत और धार्मिक उत्सव है, जिसमें गौवंश का सम्मान किया जाता है और भगवान कृष्ण के गौचरण के अवसर को याद किया जाता है।
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