ज्ञान की ज्योति जगा देना भजन

ज्ञान की ज्योति जगा देना भजन

 (मुखड़ा)
वीणावादिनी, ज्ञान की देवी,
अपनी दया बरसा देना,
मेरे सिर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा देना,
ज्ञान की ज्योति जगा देना।।

(अंतरा)
तू सारे संगीत सँवारे,
रागों में आभास तेरा,
साजों की आवाज तुझी से,
सारे सुरों में वास तेरा,
राग-रागिनी, मेरी सरगम,
इनको और खिला देना,
मेरे सिर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा देना।।

ग्रंथों के हर एक पन्ने पर,
तू ही शब्द सजाती है,
कलम थमा के तू कवियों से,
प्यारे गीत लिखाती है,
चलती रहे बस मेरी लेखनी,
इतना योग्य बना देना,
मेरे सिर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा देना।।

तेरी कृपा से कला निखरती,
रंग खिले तस्वीरों में,
तू सतरंगी जीवन कर दे,
रंग भरे तक़दीरों में,
जग में ऊँचा नाम रहे माँ,
ऐसी युक्ति लगा देना,
मेरे सिर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा देना।।

जब-जब बोलूँ कोई वाणी,
अमृत की बौछार लगे,
मधुर वचन हर मन को भाए,
वीणा की झंकार लगे,
कंठ बसो हे मात शारदे,
मीठे बोल सिखा देना,
मेरे सिर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा देना।।

(पुनरावृति)
वीणावादिनी, ज्ञान की देवी,
अपनी दया बरसा देना,
मेरे सिर पर हाथ धरो माँ,
ज्ञान की ज्योति जगा देना,
ज्ञान की ज्योति जगा देना।।


Gyan Ki Jyoti Jaga Dena I वीणावादिनी ज्ञान की देवी | सरस्वती माता I Saraswati Puja Song ‪@bhajanindia‬
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