थाँणो काँई काँई बोल सुणावा भजन

थाँणो काँई काँई बोल सुणावा भजन

 
थाँणो काँई काँई बोल सुणावा लिरिक्स Thane Kai Kai bol Sunava Lyrics

थाँणो काँई काँई बोल सुणावा म्हाँरा साँवरां गिरधारी।।टेक।।
पूरब जणम री प्रीत पुराणी, जावा णा गिरधारी।
सुन्दर बदन जोवताँ साजण, थारी छबि बलहारी।
म्हाँरे आँगण स्याम पधारो, मंगल गावाँ नारी।
मोती चौक पुरावाँ ऐणाँ, तण म डारां बारी।
चरण सरण री दासी मीरां, जणम जणम री क्वाँरी।।
थाँणो काँई काँई बोल सुणावा म्हाँरा साँवरां गिरधारी।।टेक।।
पूरब जणम री प्रीत पुराणी, जावा णा गिरधारी।
सुन्दर बदन जोवताँ साजण, थारी छबि बलहारी।
म्हाँरे आँगण स्याम पधारो, मंगल गावाँ नारी।
मोती चौक पुरावाँ ऐणाँ, तण म डारां बारी।
चरण सरण री दासी मीरां, जणम जणम री कंवारी.

शब्दार्थ- थाँऐ= तुझे। काँई-काँई = क्या-क्या। जीवताँ = देखती ही।
 
मीरा कहती हैं, "थाँणो काँई काँई बोल सुणावा म्हाँरा साँवरां गिरधारी," यानी वह भगवान श्री कृष्ण से कहती हैं कि उनके पास शब्दों की कमी है, जिन्हें वह उनके प्रेम और आशीर्वाद के बारे में व्यक्त कर सकें। मीरा का यह प्रेम अतीत के जन्मों से जुड़ा हुआ है, जैसा कि वह कहती हैं, "पूरब जणम री प्रीत पुराणी, जावा णा गिरधारी," यानी उनका प्रेम पिछले जन्मों से अनवरत चलता आ रहा है और यह प्रेम कभी खत्म नहीं हो सकता। मीरा श्री कृष्ण के रूप, उनके सुंदर शरीर और उनकी छवि की सराहना करती हैं और कहती हैं, "सुन्दर बदन जोवताँ साजण, थारी छबि बलहारी," यानी उनके रूप को देख-देखकर वह अपनी श्रद्धा व्यक्त करती हैं। वह भगवान से कहती हैं कि उनके आँगन में पधारो, ताकि उनके घर में मंगलमय वातावरण हो, और वहां सभी नारी मंगल गीत गाएं। 
 

Meera Bhajan - Thane kai kai - with lyrics, Voice - Lata

Thanno Kani Kani Bol Sunava Mhanra Sanvaran Giradhari..tek..
Purab Janam Ri Prit Purani, Java Na Giradhari.
Sundar Badan Jovatan Sajan, Thari Chhabi Balahari.
Mhanre angan Syam Padharo, Mangal Gavan Nari.
Moti Chauk Puravan Ainan, Tan Ma Daran Bari.
Charan Saran Ri Dasi Miran, Janam Janam Ri Kvanri..
Thanno Kani Kani Bol Sunava Mhanra Sanvaran Giradhari..tek..
Purab Janam Ri Prit Purani, Java Na Giradhari.
Sundar Badan Jovatan Sajan, Thari Chhabi Balahari.
Mhanre angan Syam Padharo, Mangal Gavan Nari.
Moti Chauk Puravan Ainan, Tan Ma Daran Bari.
Charan Saran Ri Dasi Miran, Janam Janam Ri Kvanri..
Shabdarth- Thanai= Tujhe. Kani-kani = Kya-kya. Jivatan = Dekhati Hi.
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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