दिलदार यार प्यारे गलियों में मेरी आजा लिरिक्स Dildar Yar Pyare Lyrics
नैना तरस रहे है,मुखड़ा जरा दिखाजा,
दिलदार यार प्यारे,
गलियों में मेरी आजा,
नैना तरस रहे है,
मुखड़ा जरा दिखाजा।
सितमगर तू मुझको,
सताये चला जा,
पर मुखड़ा जरा सा,
दिखाये चला जा,
नहीं पास आने को,
कहती हो तुझको,
पर अपना जरा सा,
बनाये चला जा,
दिलदार यार प्यारे,
गलियों में मेरी आजा,
की दम दा भरोसा है,
गलियों में मेरी आजा,
मेरा यार बनके आजा,
गलियों में मेरी आजा,
नैना तरस रहे है,
मुखड़ा जरा दिखाजा।
सब लोक लाज खोई,
चुप चाप बैठ रोई,
अपना नहीं है कोई,
अपना मुझे बनाजा,
दिलदार यार प्यारे,
गलियों में मेरी आजा।
कब तक बताओ प्यारे,
मन को रहूं मैं मारे,
किस के रहूं मैं सहारे,
इतना मुझे बताजा,
दिलदार यार प्यारे,
गलियों में मेरी आजा।
इक वार देदो दर्शन,
दिल की है यह तमन्ना,
कही दम निकल ना जाये,
तेरा इंतजार करके।
हरि जी मोरी,
अखियन आगे रहियो,
नाथ मोरी अखियन,
आगे रहियो।
दिलदार यार प्यारे गलियों में मेरी आजा | Sadhvi Purnima Ji World Famous Bhajan | 1.4.2023 | #बाँसुरी
श्रीकृष्ण को सांवरे या सांवरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रंग सांवला था। हिंदू धर्म में, सांवला रंग अक्सर सुंदरता और आकर्षण के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। श्रीकृष्ण के सांवले रंग को उनके प्रेम, करुणा और दया का प्रतीक माना जाता है। श्रीकृष्ण के सांवले रंग के कई कारण बताए गए हैं। एक कारण यह है कि उनके पिता, भगवान वासुदेव, एक राजा थे और उनके माता, देवकी, एक किसान की बेटी थीं। राजाओं का रंग आमतौर पर गोरा होता है, जबकि किसानों का रंग आमतौर पर सांवला होता है। इसलिए, श्रीकृष्ण का रंग सांवला था।
एक अन्य कारण यह है कि श्रीकृष्ण ने अपने बचपन में बहुत सारे कष्ट झेले थे। उन्होंने अत्याचारी राजा कंस से बचने के लिए अपनी माँ के गर्भ से छलांग लगा दी थी। उन्होंने जंगल में बचपन बिताया और अक्सर जानवरों के साथ खेलते थे। इन कठिनाइयों ने उनके शरीर को सांवला कर दिया। श्रीकृष्ण के सांवले रंग को उनकी आध्यात्मिकता का भी प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में, सांवला रंग अक्सर ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। श्रीकृष्ण को एक महान दार्शनिक और शिक्षक माना जाता है। उनके सांवले रंग को उनकी आध्यात्मिकता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। श्रीकृष्ण के सांवले रंग को उनकी भक्ति का भी प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में, भक्तों का रंग अक्सर सांवला माना जाता है। श्रीकृष्ण को एक महान भक्त माना जाता है। उनके सांवले रंग को उनकी भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
एक अन्य कारण यह है कि श्रीकृष्ण ने अपने बचपन में बहुत सारे कष्ट झेले थे। उन्होंने अत्याचारी राजा कंस से बचने के लिए अपनी माँ के गर्भ से छलांग लगा दी थी। उन्होंने जंगल में बचपन बिताया और अक्सर जानवरों के साथ खेलते थे। इन कठिनाइयों ने उनके शरीर को सांवला कर दिया। श्रीकृष्ण के सांवले रंग को उनकी आध्यात्मिकता का भी प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में, सांवला रंग अक्सर ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। श्रीकृष्ण को एक महान दार्शनिक और शिक्षक माना जाता है। उनके सांवले रंग को उनकी आध्यात्मिकता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। श्रीकृष्ण के सांवले रंग को उनकी भक्ति का भी प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में, भक्तों का रंग अक्सर सांवला माना जाता है। श्रीकृष्ण को एक महान भक्त माना जाता है। उनके सांवले रंग को उनकी भक्ति का प्रतीक माना जाता है।