पितृ पक्ष या पितरपख, १६ दिन की वह अवधि है जिसमें हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं। इसे 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिण्डदान, तर्पण आदि कर्म करते हैं।
जिस घर में होता है पितरो का आराधन
जिस घर में होता है,
पितरो का आराधन, महके जीवन बगिया, हर मौसम और पल क्षण।
घर के मालिक है ये, सेवा करते रहना, इनकी महिमा वर्णन, करती रहे ये रसना, देवा की किरपा से, रहे प्रेम भरा आंगन, महके जीवन बगिया, हर मौसम और पल क्षण।
पितरो को याद करें, चाहें हो कोई पहर, दुख सुख के साथी है, कर देते पल में महर, क्यों भटके इधर-उधर, पूरा है आश्वासन, महके जीवन बगीया,
हर मौसम और पल क्षण।
शुभ कारज में प्रभु को, ना भुला कभी देना, कर रात्रि को कीर्तन, विनती करते रहना, करते रहें नित्य नियम, प्रभु का संध्या वंदन, महके जीवन बगीया, हर मौसम और पल क्षण।
हर अमावस देवा की, ज्योत जगे घर घर, पित्रदेव की किरपा से, रहती ना कोई फिकर, राजू मैं करता रहूं, कुलदेवा का सुमिरन, महके जीवन बगीया।
।।श्राद्ध पक्ष पितरों के भजन।। ।।जिस।घर में वास हो पितरों का।। ।।पित्र पक्ष स्पेशल ।।
पितरों की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:
दिन और समय: पितृ पक्ष में श्राद्ध पूजा दोपहर के समय करना चाहिए।
स्थान: पूजा घर या किसी पवित्र स्थान पर पूजा करना चाहिए।
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सामग्री:
गंगाजल दूध फल फूल मिठाई चावल तिल कुश जौ अन्न गाय के गोबर से बना चौकी पंचबलि के लिए थाली ब्राह्मण को भोजन कराने के लिए थाली
विधि:
सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा घर या पवित्र स्थान को साफ करें। पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। चौकी पर कुश बिछाकर पितरों के लिए भोग तैयार करें। पंचबलि के लिए थाली में गाय, कुत्ता, कौआ, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री रखें। पितरों के नाम का स्मरण करते हुए संकल्प करें। पितरों को गंगाजल, दूध, फल, फूल, मिठाई, चावल, तिल, कुश, जौ, अन्न आदि अर्पित करें। पंचबलि को गाय, कुत्ता, कौआ, देवता और चींटी को अर्पित करें। ब्राह्मण को भोजन कराएं।
ब्राह्मण को दक्षिणा दें।
पितरों को तर्पण कैसे करें:
पितरों को तर्पण करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
तर्पण के लिए एक तांबे के लोटे में जल लें। इसमें थोड़ा-सा गंगाजल, थोड़ा-सा दूध और थोड़ा-सा शहद मिला लें। अब इस जल को अपने हाथों में लेकर पितरों को तर्पण करें। तर्पण करते समय पितरों के नाम का स्मरण करें।
पितरों के लिए दान-पुण्य कैसे करें:
पितरों के लिए दान-पुण्य करने से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। पितृ पक्ष में दान-पुण्य करने के लिए निम्नलिखित चीजों का दान किया जा सकता है:
गंगाजल दूध फल फूल मिठाई चावल तिल कुश जौ अन्न वस्त्र धन
दान-पुण्य किसी मंदिर, गौशाला या जरूरतमंद लोगों को किया जा सकता है।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ अन्य उपाय: पितरों के नाम का स्मरण करें। उनके लिए श्राद्ध, पिण्डदान, तर्पण आदि करें। उनके लिए दान-पुण्य करें। पितरों के लिए व्रत रखें। पितरों के लिए गंगाजल, दूध, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। पितरों के लिए पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें।
पितरों को प्रसन्न करने से उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता आती है।