झीनी झीनी बीनी चदरिया लिरिक्स Jheeni Jheeni Beeni Chadariya Lyrics Kabir Bhajan Lyrics

झीनी झीनी बीनी चदरिया लिरिक्स Jheeni Jheeni Beeni Chadariya Lyrics Kabir Bhajan Lyrics in Hindi


Latest Bhajan Lyrics

झीनी झीनी बीनी चदरिया
झीनी झीनी बीनी चदरिया॥ टेक॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी
कौन तार से बीनी चदरिया॥ १॥
इडा पिङ्गला ताना भरनी
सुखमन तार से बीनी चदरिया॥ २॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया॥ ३॥
साँ को सियत मास दस लागे
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया॥ ४॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी
ओढि कै मैली कीनी चदरिया॥ ५॥
दास कबीर जतन करि ओढी
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥ ६॥
 

Chadariya Jhini Re Jhini | Anup Jalota Live in Concert | Red Ribbon Music

झीनी झीनी बीनी चदरिया
झीनी झीनी बीनी चदरिया

काहे का ताना काहे की भरनी।
कौन तार से बीनी चदरिया॥

इदा पिङ्गला ताना भरनी।
सुषुम्ना तार से बीनी चदरिया॥

आठ कँवल दल चरखा डोलै।
पाँच तत्त्व, गुन तीनी चदरिया॥

साईं को सियत मास दस लागे।
ठोक ठोक के बीनी चदरिया॥

सो चादर सुर नर मुनि ओढी।
ओढि के मैली कीनी चदरिया॥

दास कबीर जतन करि ओढी।
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥


कबीर का साहित्य भारतीय चिंतन के विभिन्न आयामों का संकलन हैं। सम कालिक संत रज्जबदास, मलूकदास सहजोबाई, दादूदयाल, सूरदास का संत साहित्य उल्लेखनीय योगदान रहा है लेकिन अग्रिम पंक्ति में कबीरदास का नाम लिया जाता है। इसका कारण है कि कबीर का साहित्य आम जन भाषा का ही था।

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