
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
इतिश्री राधा ऊत गोपाल होरी में धूम मचायो रे। #holispecial #madhavpremii#holispecial #barsanaholi
bajan gayak Madhav premi
Lyrics sankirtan ayacharye Kewal Krishan Madup ji
Music rook stars
Video davil art studio
होली का यह उल्लासमय रंग आत्मा को प्रेम और भक्ति के रंगों में सराबोर कर देता है। राधा और कृष्ण की यह लीला केवल रंगों का खेल नहीं, बल्कि मन को संसार की माया से ऊपर उठाकर प्रभु के चरणों में लीन करने की कला है। जैसे ग्वाल और गोपियाँ एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल उड़ाते हैं, वैसे ही सच्चा भक्त अपने मन की हर कालिमा को प्रेम की पिचकारी से धो डालता है। यह उत्सव ऐसा है, मानो सावन की बूँदें धरती को तृप्त कर दें—हर ओर बस आनंद की बौछार।
राधा और कृष्ण का यह रंग-भरा संगम हमें सिखाता है कि जीवन का हर क्षण उत्सव हो सकता है, यदि वह प्रभु की भक्ति में रंगा हो। गोपियों का कन्हैया को नार बनाना, उनका चंचल छेड़छाड़, यह सब उस आत्मीयता का प्रतीक है, जो भक्त और भगवान के बीच होती है। जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में खिलखिलाता है, वैसे ही भक्त का मन कृष्ण की लीला में रम जाता है।
दूसरे भजन में राधा के नैनों का जादू और कृष्ण की भक्ति का रस और गहरा हो जाता है। राधा की एक झलक, उनके नैनों का एक इशारा, और भक्त का मन उनके रंग में डूब जाता है। यह वह क्षण है, जब मोर और चकोर की बोली भी राधा-कृष्ण की महिमा गाने लगती है। “मधुप” की युगल छवि का दर्शन मन को हर लेता है, जैसे कोई प्यासा सरिता के किनारे पहुँच जाए।
संत कहते हैं, यह होली का रंग केवल बाहर नहीं, मन के भीतर भी बरसना चाहिए। चिंतक इसे प्रेम की उस अवस्था के रूप में देखता है, जहाँ भेदभाव मिट जाते हैं। धर्म का ज्ञान यही सिखाता है—राधा-कृष्ण की लीला में डूबकर, उनके प्रेम को जीवन में उतारकर, हर पल को आनंदमय बनाया जा सकता है। यह रंग, यह भक्ति, वह ज्योति है, जो मन को हमेशा उज्ज्वल रखती है।
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