झीनी झीनी बीनी चदरिया भजन लिरिक्स अनूप जलोटा
झीनी झीनी बीनी चदरिया
झीनी झीनी बीनी चदरिया॥ टेक॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी
कौन तार से बीनी चदरिया॥ १॥
इडा पिङ्गला ताना भरनी
सुखमन तार से बीनी चदरिया॥ २॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया॥ ३॥
साँ को सियत मास दस लागे
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया॥ ४॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी
ओढि कै मैली कीनी चदरिया॥ ५॥
दास कबीर जतन करि ओढी
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥ ६॥
Chadariya Jhini Re Jhini | Anup Jalota Live in Concert | Red Ribbon Music
झीनी झीनी बीनी चदरिया
झीनी झीनी बीनी चदरिया
काहे का ताना काहे की भरनी।
कौन तार से बीनी चदरिया॥
इदा पिङ्गला ताना भरनी।
सुषुम्ना तार से बीनी चदरिया॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै।
पाँच तत्त्व, गुन तीनी चदरिया॥
साईं को सियत मास दस लागे।
ठोक ठोक के बीनी चदरिया॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी।
ओढि के मैली कीनी चदरिया॥
दास कबीर जतन करि ओढी।
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥
झीनी झीनी बीनी चदरिया
काहे का ताना काहे की भरनी।
कौन तार से बीनी चदरिया॥
इदा पिङ्गला ताना भरनी।
सुषुम्ना तार से बीनी चदरिया॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै।
पाँच तत्त्व, गुन तीनी चदरिया॥
साईं को सियत मास दस लागे।
ठोक ठोक के बीनी चदरिया॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी।
ओढि के मैली कीनी चदरिया॥
दास कबीर जतन करि ओढी।
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥
कबीर का साहित्य भारतीय चिंतन के विभिन्न आयामों का संकलन हैं। सम कालिक संत रज्जबदास, मलूकदास सहजोबाई, दादूदयाल, सूरदास का संत साहित्य उल्लेखनीय योगदान रहा है लेकिन अग्रिम पंक्ति में कबीरदास का नाम लिया जाता है। इसका कारण है कि कबीर का साहित्य आम जन भाषा का ही था।
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Author - Saroj Jangir
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