वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
यह एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है, जिसका उपयोग किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इस मंत्र में भगवान गणेश की स्तुति की गई है। भगवान गणेश को सभी बाधाओं को दूर करने और सभी कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने का देवता माना जाता है।
इस मंत्र का अर्थ है: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली भगवान गणेश, मेरे सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के हमेशा सफल बनाइए। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं और वह अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
इस श्लोक में भगवान गणेश की स्तुति की गई है। श्लोक का अर्थ इस प्रकार है: नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं - मैं उन भगवान् गजानन की वन्दना करता हूँ, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं। गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च - जो सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं। इस श्लोक में भगवान गणेश की विशेषताओं का वर्णन किया गया है। भगवान गणेश को समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला कहा गया है। वे सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमकते हैं। वे सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं। इस श्लोक का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और वह अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
श्री गणेश के बारे में : श्री शिव और पार्वती के पुत्र हैं गणेश जी। श्री गणेश गणों के स्वामी हैं इसलिए इन्हे गणेश कहा जाता है। श्री गणेश जी के मस्तस्क पर हाथी होने के कारन इनको गजानंद और गजानन भी कहा जाता हैं। श्री गणेश जी को समस्त शुभ कार्यों में सर्वप्रथम पूजा जाता है इसलिए इन्हे प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। इनको पूजने वाले सम्प्रदाय को गाणपत्य कहा जाता है। श्री गणेश को कई नामों से याद किया जाता है ये हैं सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश,विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। गणेश जी का वाहन चूहा माना जाता है।