गणेश मंत्र लिरिक्स Ganesh Mantra Lyrics

गणेश मंत्र लिरिक्स Ganesh Mantra Lyrics Shri Ganesh Mantra in Hindi


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वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा

नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं।
राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम्॥

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्क

जम्॥

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥

केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥

गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे ।
अपारकरुणापूरतरङ्गितदृशे नमः ॥
पुराणपुरुषं देवं नानाक्रीडाकरं मुद्रा ।
मायाविनां दुर्विभावयं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥

प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुगमम्
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ॥

मूषिकोत्तममारुह्य देवासुरमहाहवे ।
योद्धुकामं महावीर्यं वन्देऽहं गणनायकम् ॥

अम्बिकाहृदयानन्दं मातृभिः परिवेष्टितम् ।
भक्तिप्रियं मदोन्मत्तं वन्देऽहं गणनायकम् ॥
 
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
 
यह एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है, जिसका उपयोग किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इस मंत्र में भगवान गणेश की स्तुति की गई है। भगवान गणेश को सभी बाधाओं को दूर करने और सभी कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने का देवता माना जाता है।

इस मंत्र का अर्थ है: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली भगवान गणेश, मेरे सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के हमेशा सफल बनाइए। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं और वह अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
 
नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥ 
 
इस श्लोक में भगवान गणेश की स्तुति की गई है। श्लोक का अर्थ इस प्रकार है:
नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं - मैं उन भगवान् गजानन की वन्दना करता हूँ, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च - जो सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं। इस श्लोक में भगवान गणेश की विशेषताओं का वर्णन किया गया है। भगवान गणेश को समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला कहा गया है। वे सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमकते हैं। वे सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं। इस श्लोक का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और वह अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।



श्री गणेश के बारे में : श्री शिव और पार्वती के पुत्र हैं गणेश जी। श्री गणेश गणों के स्वामी हैं इसलिए इन्हे गणेश कहा जाता है। श्री गणेश जी के मस्तस्क पर हाथी होने के कारन इनको गजानंद और गजानन भी कहा जाता हैं।
श्री गणेश जी को समस्त शुभ कार्यों में सर्वप्रथम पूजा जाता है इसलिए इन्हे प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। इनको पूजने वाले सम्प्रदाय को गाणपत्य कहा जाता है। श्री गणेश को कई नामों से याद किया जाता है ये हैं सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश,विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। गणेश जी का वाहन चूहा माना जाता है।

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