लेते हैं विदा हम आपसे गलती क्षमा

लेते हैं विदा हम आपसे गलती क्षमा करना भजन

लेते हैं विदा हम आपसे गलती क्षमा करना,
लेते हैं विदा हम आपसे श्री श्याम
भजन गा कर गलती क्षमा करना,

माताओं बहनों को प्रणाम हमारा है,
सब सुनने वालों को प्रणाम हमारा है,
कुछ कहने सुनने में हमसे कोई भूल हुई हो तो,
गलती क्षमा करना.......

कैसे चुकाएंगे जो प्यार मिला हमको,
कैसे भुलाएंगे जो दुलार मिला हमको,
हम कामना करते हैं प्रभु से मिलते रहे हर बार,
बढ़ता रहे यह प्यार...गलती क्षमा करना ॥

सुंदर भजन में समर्पण, विनम्रता और प्रभु के प्रति अटूट श्रद्धा को प्रदर्शित किया गया है। यह भाव संप्रेषित करता है कि जब कोई भक्त प्रभु के दरबार से विदा लेता है, तो उसके हृदय में कृतज्ञता और क्षमा की भावना होती है। विदाई का यह क्षण केवल एक समापन नहीं, बल्कि प्रेम और आस्था के नए आरंभ का प्रतीक है। प्रभु की आराधना में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगने की विनम्रता दिखाती है कि भक्ति केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मा से जुड़ी होती है।

माताओं और बहनों को समर्पित प्रणाम श्रद्धा और सम्मान की भावना को उजागर करता है, जो भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़ा हुआ है। यह बताता है कि श्रद्धा केवल ईश्वर तक सीमित नहीं होती, बल्कि समाज और रिश्तों में भी प्रकट होती है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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