
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
यह सुन्दर आरती श्रीमहावीर स्वामी की दिव्यता, तपस्या और अहिंसा के संदेश को प्रकट करती है। उनका जन्म कुंडलपुर में हुआ, जहाँ वे वैभवशाली परिवार में जन्म लेकर भी संसार के मोह से दूर रहे। उनका जीवन ब्रह्मचर्य, आत्मज्ञान और समदृष्टि का अनुपम उदाहरण है।
वे माया और मोह के विनाशक हैं, जिन्होंने ज्ञान की ज्योति से अज्ञानता का अंधकार समाप्त किया। अहिंसा के पाठ को जगत में विस्तारित किया और पाप तथा हिंसा को मिटाने का संदेश दिया। उनके उपदेश केवल धार्मिक शिक्षाएँ नहीं, बल्कि जीवन के वास्तविक मार्गदर्शक हैं, जो आत्मा को शुद्ध कर मोक्ष की ओर ले जाते हैं।
चाँदनपुर में उनके अतिशय दर्शन से भक्तों को अद्भुत अनुभूति प्राप्त होती है। ग्वाल मनोरथ की पूर्ति और भक्तों की इच्छाओं का स्वीकार उनके करुणामय स्वरूप को उजागर करता है। वे सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं, जिनके मंदिरों में भक्तों की आस्था अखंड रूप से प्रवाहित होती है।
जो भी उनके दरबार में श्रद्धा और भक्ति लेकर आता है, उसे धन, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। उनके चरणों में समर्पण करने से संकट समाप्त होते हैं, और आत्मा को परम आनंद प्राप्त होता है। उनकी आराधना जीवन को एक नई दिशा देने वाली है, जो सच्चे प्रेम, त्याग और ज्ञान का मार्ग दिखाती है।