ज्योतिष शास्त्र का सम्पूर्ण आधार सौरमंडल में स्थित सभी 9 ग्रहों को माना गया है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों का प्रभाव सभी प्राणियों पर होता है। यहां तक कि जल और पेड़-पौधों पर भी इनका प्रभाव पड़ता है। इन ग्रहों का शुभ फल पाने के लिए और उनके दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं जिनका विधि-विधान से पालन करें तो अवश्य ही लाभ मिलता है।
सूर्य दोष :-
सूर्य दोष की शांति के लिए आप प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें : ऊॅं सूं सूर्याय नमः
सूर्य को जल दें।
चन्द्र दोष शांति हेतु इस मंत्र का जप करें : – ऊॅं सों सोमाय नमः
मांगलिक दोष निवारण के लिए आप इस मंत्र के नियमित जप करें : – ॐ भौं भौमाय नमः
बुध गृह दोष निवारण के लिए आप इस मंत्र का जप करें :- ॐ बुं बुधाय नमः
गुरु दोष निवारण हेतु इस मंत्र का जप करें :- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
शुक्र गृह दोष होने पर इसके अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु इस मंत्र का जप करना चाहिए : – ऊँ शुं शुक्राय नम:
बुध :
तांबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएं।
फिटकरी से दांत साफ करें।
साबुत मूंग का दान करें।
मां दुर्गा की आराधना करें।
बृहस्पति :
केसर का तिलक रोजाना लगाएं।
कुछ मात्रा में केसर खाएं और नाभि या जीभ पर लगाएं।
चने की दाल या पीली वस्तु दान करें।
शुक्र :
गाय की सेवा करें।
घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें।
गाय को हरा चारा डालें।
दही, घी, कपूर का दान करें।
शनि :
शनि के दिन पीपल पर तेल का दीया जलाएं।
किसी बर्तन में तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करें।
हनुमान जी की पूजा करे और बजरंग बाण का पाठ करें।
काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें।
शनि दोष निवारण
मंत्र का 108 बार जप करें :- ॐ शं शनैश्चराय नमः
राहु :
जौ या मूली या काली सरसों का दान करें।
केतु :
चींटियों को आटा खिलाएं।
सूर्य दोष :-
सूर्य दोष की शांति के लिए आप प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें : ऊॅं सूं सूर्याय नमः
सूर्य को जल दें।
चन्द्र दोष शांति हेतु इस मंत्र का जप करें : – ऊॅं सों सोमाय नमः
मांगलिक दोष निवारण के लिए आप इस मंत्र के नियमित जप करें : – ॐ भौं भौमाय नमः
बुध गृह दोष निवारण के लिए आप इस मंत्र का जप करें :- ॐ बुं बुधाय नमः
गुरु दोष निवारण हेतु इस मंत्र का जप करें :- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
शुक्र गृह दोष होने पर इसके अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु इस मंत्र का जप करना चाहिए : – ऊँ शुं शुक्राय नम:
बुध :
तांबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएं।
फिटकरी से दांत साफ करें।
साबुत मूंग का दान करें।
मां दुर्गा की आराधना करें।
बृहस्पति :
केसर का तिलक रोजाना लगाएं।
कुछ मात्रा में केसर खाएं और नाभि या जीभ पर लगाएं।
चने की दाल या पीली वस्तु दान करें।
शुक्र :
गाय की सेवा करें।
घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें।
गाय को हरा चारा डालें।
दही, घी, कपूर का दान करें।
शनि :
शनि के दिन पीपल पर तेल का दीया जलाएं।
किसी बर्तन में तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करें।
हनुमान जी की पूजा करे और बजरंग बाण का पाठ करें।
काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें।
शनि दोष निवारण
मंत्र का 108 बार जप करें :- ॐ शं शनैश्चराय नमः
राहु :
जौ या मूली या काली सरसों का दान करें।
केतु :
चींटियों को आटा खिलाएं।
काला सफेद कंबल कोढ़ियों को दान करें।
स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है :
स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम
जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की
पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया
जाना चाहिए।