शेरावाली शेरावाली सिंह पे सवार भजन

शेरावाली शेरावाली सिंह पे सवार भजन

(मुखड़ा)
शेरावाली, शेरावाली, सिंह पे सवार,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार।।

(अंतरा)
बड़ी दूर से मैया, चल के आया,
दर्शन की अभिलाषा लाया,
खोलो ओ मैया, तुम प्रेम के किवाड़,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार।।

भक्त भी तारे तूने, संत भी तारे,
भक्त भी तारे तूने, संत भी तारे,
तारे हैं मैया, तूने पापी हजार,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार।।

जो कोई मैया, तेरे दर पे आए,
खाली हाथ कबहूँ ना जाए,
जीवन में भर दो, माँ खुशियाँ अपार,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार।।

(पुनरावृति)
शेरावाली, शेरावाली, सिंह पे सवार,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार,
दर्शन दो जगदंबे, हो रही आवार।।
 


शेरावाली शेरावाली सिंह पे सवार। दर्शन दे जगदंबे हो रही अबार। माता के भजन। हल्केराम नेहा दिसोरिया भजन यह भजन माँ शेरावाली के दर्शन पाने की भक्तों की प्रार्थना को दर्शाता है। भक्त माँ के दरबार में आकर उनसे कृपा की याचना करते हैं, क्योंकि माँ ने हमेशा भक्तों, संतों और पापियों तक को तार दिया है। जो भी माँ के दरबार में आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता, माँ उसे अपार खुशियाँ और आशीर्वाद देती हैं।
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