माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांत है। वे चार भुजाओं वाली हैं। उनके ऊपर के दाहिने हाथ में कमल का फूल है, नीचे के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा है, ऊपर के बाएँ हाथ में वर मुद्रा है, और नीचे के बाएँ हाथ में माला है। वे पीले वस्त्र पहने हुए हैं, और उनका वाहन सिंह है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। वे अपने सभी कार्यों में सफल होते हैं।
सिद्धिदात्री माता आरती
जय सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री, सर्व सुखों की जननी, रिद्धि सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री।
अणिमा गरिमा लघिमा, सिद्धि तिहारे हाथ, तू अविचल महामाई, त्रिलोकी की नाथ, ॐ जय सिद्धिदात्री।
शुम्भ निशुम्भ विडारे, जग है प्रसिद्ध गाथा, सहस्त्र भुजा तनु धरके, चक्र लियो हाथा, ॐ जय सिद्धिदात्री।
तेरी दया बिन रिद्धि, सिद्धि ना हो पाती, सुख समृद्धि देती, तेरी दया दाती, ॐ जय सिद्धिदात्री।
दुख दारिद्र विनाशनी, दोष सभी हरना,
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दुर्गुणों को संघारके, पावन माँ करना, ॐ जय सिद्धिदात्री।
नवदुर्गों में मैया, नवम तेरा स्थान, नौवे नवरात्रे को, करें तेरा सब ध्यान, ॐ जय सिद्धिदात्री।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता, सुख सम्पति करता,
ॐ जय सिद्धिदात्री।
अगर कपूर की ज्योति, आरती हम गायें, छोड़ के तेरा द्वारा, और कहाँ जायें, ॐ जय सिद्धिदात्री।
सिद्धिदात्री हे माता, सब दुर्गुण हरना, अपना जान के मैया, हमपे कृपा करना, ॐ जय सिद्धिदात्री।
जय सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री, सर्व सुखों की जननी, रिद्धि सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री।
नवम नवरात्रि Special I माँ सिद्धिदात्री की आरती I Maa Siddhidatri Aarti | मां सिद्धिदात्री की आरती
यह आरती देवी सिद्धिदात्री की स्तुति करती है, जो नवरात्रि की नौवीं देवी हैं। आरती में, भक्त देवी से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।