सिद्धिदात्री माता आरती लिरिक्स Siddhidatri Mata Aarti Lyrics

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांत है। वे चार भुजाओं वाली हैं। उनके ऊपर के दाहिने हाथ में कमल का फूल है, नीचे के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा है, ऊपर के बाएँ हाथ में वर मुद्रा है, और नीचे के बाएँ हाथ में माला है। वे पीले वस्त्र पहने हुए हैं, और उनका वाहन सिंह है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। वे अपने सभी कार्यों में सफल होते हैं।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए, भक्तों को नवरात्रि के नौवें दिन उपवास करना चाहिए। उन्हें देवी को पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। उन्हें देवी की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए। माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने भी माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

Naye Bhajano Ke Lyrics

सिद्धिदात्री माता आरती लिरिक्स Siddhidatri Mata Aarti Lyrics

जय सिद्धिदात्री,
ॐ जय सिद्धिदात्री,
सर्व सुखों की जननी,
रिद्धि सिद्धिदात्री,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

अणिमा गरिमा लघिमा,
सिद्धि तिहारे हाथ,
तू अविचल महामाई,
त्रिलोकी की नाथ,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

शुम्भ निशुम्भ विडारे,
जग है प्रसिद्ध गाथा,
सहस्त्र भुजा तनु धरके,
चक्र लियो हाथा,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

तेरी दया बिन रिद्धि,
सिद्धि ना हो पाती,
सुख समृद्धि देती,
तेरी दया दाती,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

दुख दारिद्र विनाशनी,
दोष सभी हरना,
दुर्गुणों को संघारके,
पावन माँ करना,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

नवदुर्गों में मैया,
नवम तेरा स्थान,
नौवे नवरात्रे को,
करें तेरा सब ध्यान,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता,
सुख सम्पति करता,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

अगर कपूर की ज्योति,
आरती हम गायें,
छोड़ के तेरा द्वारा,
और कहाँ जायें,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

सिद्धिदात्री हे माता,
सब दुर्गुण हरना,
अपना जान के मैया,
हमपे कृपा करना,
ॐ जय सिद्धिदात्री।

जय सिद्धिदात्री,
ॐ जय सिद्धिदात्री,
सर्व सुखों की जननी,
रिद्धि सिद्धिदात्री,  
ॐ जय सिद्धिदात्री।
 



नवम नवरात्रि Special I माँ सिद्धिदात्री की आरती I Maa Siddhidatri Aarti | मां सिद्धिदात्री की आरती

"जय सिद्धिदात्री" आरती का अर्थ
यह आरती देवी सिद्धिदात्री की स्तुति करती है, जो नवरात्रि की नौवीं देवी हैं। आरती में, भक्त देवी से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। वे देवी की शक्ति और दयालुता की भी स्तुति करते हैं।
आरती के कुछ प्रमुख अंशों का अर्थ निम्नलिखित है:
"जय सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री, सर्व सुखों की जननी, रिद्धि सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी को "सर्व सुखों की जननी" कहते हैं। वे देवी से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
"अणिमा गरिमा लघिमा, सिद्धि तिहारे हाथ, तू अविचल महामाई, त्रिलोकी की नाथ, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी के पास छह सिद्धियों का वर्णन करते हैं: अणिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, और ईशित्व। वे कहते हैं कि देवी अविचल और त्रिलोकी की नाथ हैं।
"शुम्भ निशुम्भ विडारे, जग है प्रसिद्ध गाथा, सहस्त्र भुजा तनु धरके, चक्र लियो हाथा, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी के द्वारा शुम्भ और निशुम्भ का वध का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि देवी ने सहस्त्र भुजाओं वाला रूप धारण किया और चक्र लेकर शुम्भ और निशुम्भ का वध किया।
"तेरी दया बिन रिद्धि, सिद्धि ना हो पाती, सुख समृद्धि देती, तेरी दया दाती, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की दया के बिना सिद्धियों की प्राप्ति असंभव मानते हैं। वे कहते हैं कि देवी की दया से ही सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
"दुख दारिद्र विनाशनी, दोष सभी हरना, दुर्गुणों को संघारके, पावन माँ करना, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी से दुख, दरिद्रता और दोषों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि देवी की कृपा से मनुष्य पावन हो जाता है।
"नवदुर्गों में मैया, नवम तेरा स्थान, नौवे नवरात्रे को, करें तेरा सब ध्यान, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी को नवरात्रि की नौवीं देवी के रूप में स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं कि नवरात्रि के नौवें दिन देवी की पूजा की जाती है।
"तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता, सुख सम्पति करता, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी को जग की माता और भक्तों का कल्याण करने वाली देवी मानते हैं।
"अगर कपूर की ज्योति, आरती हम गायें, छोड़ के तेरा द्वारा, और कहाँ जायें, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की आरती करते हैं और उनकी शरण में जाने की प्रार्थना करते हैं।
"सिद्धिदात्री हे माता, सब दुर्गुण हरना, अपना जान के मैया, हमपे कृपा करना, ॐ जय सिद्धिदात्री।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी से अपने सभी दुर्गुणों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि देवी उन्हें अपना मानकर उनकी कृपा करें।

"जय सिद्धिदात्री" आरती एक शक्तिशाली आरती है जो देवी सिद्धिदात्री की स्तुति करती है। यह आरती देवी की शक्ति, दयालुता और सिद्धियों की प्राप्ति में सहायता करने की क्षमता की प्रशंसा करती है।
नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं। नवरात्रि के नौवें दिन उनकी पूजा करने से भक्तों और साधकों की सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जिससे वे अपने जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।

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