कैलादेवी चालीसा लिरिक्स जाने महत्त्व और लाभ Kaila Devi Chalisa Jane Mahatv aur Fayde
कैला माता, जिन्हें दुर्गा, काली और चंडिका के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में शक्ति की देवी हैं। उन्हें भगवान शिव की पत्नी के रूप में भी पूजा जाता है। कैला माता को अक्सर एक काली महिला के रूप में चित्रित किया जाता है, जो एक त्रिशूल, एक खडग और एक डमरू रखती है। कैला माता की पूजा भारत के कई हिस्सों में की जाती है, विशेष रूप से उत्तर भारत और पूर्वी भारत में। कैला माता को अक्सर शक्ति और रक्षा की देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें उन लोगों द्वारा भी पूजा जाता है जो बुरे से सुरक्षा चाहते हैं।
दोहा : जय जय कैला मात है तुम्हे नमाउ माथ ||
शरण पडू में चरण में जोडू दोनों हाथ ||
जय जय जय कैला महारानी | नमो नमो जगदम्ब भवानी
सब जग की हो भाग्य विधाता| आदि शक्ति तू सबकी माता
दोनों बहिना सबसे न्यारी | महिमा अपरम्पार तुम्हारी
शोभा सदन सकल गुणखानी | वैद पूराणन माँही बखानी
जय हो मात करौली वाली | शत प्रणाम कालीसिल वाली
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी | हिंगलाज में तू महतारी
तू ही नई सैमरी वाली | तू चामुंडा तू कंकाली
नगर कोट में तू ही विराजे | विंध्यांचल में तू ही राजै
घोलागढ़ बेलौन तू माता | वैष्णवदेवी जग विख्याता
नव दुर्गा तू मात भवानी | चामुंडा मंशा कल्याणी |
जय जय सूये चोले वाली | जय काली कलकत्ते वाली
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी | पार्वती तू ही इन्द्राणी
सरस्वती तू विध्या दाता | तू ही है संतोषी माता
अन्नपुर्णा तू जग पालक | मात पिता तू ही हम बालक
ता राधा तू सावित्री | तारा मतंग्डिंग गायत्री
तू ही आदि सुंदरी अम्बा | मात चर्चिका हे जगदम्बा
एक हाथ में खप्पर राजै | दूजे हाथ त्रिशूल विराजै
काली सिल पै दानव मारे | राजा नल के कारज सारे
शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी | महिषासुर को मारनवारी
रक्तबीज रण बीच पछारो | शंखा सुर तैने संहारो
ऊँचे नीचे पर्वत वारी | करती माता सिंह सवारी
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे | तीन लोक में यश फैलावे
अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै | चाँदी के चौतरा विराजै
लांगुर घटूअन चलै भवन में | मात राज तेरौ त्रिभुवन में
घनन घनन घन घंटा बाजत | ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत
अगनित दीप जले मंदिर में | ज्योति जले तेरी घर – घर में
चौसठ जोगिन आंगन नाचत | बामन भैरों अस्तुति गावत
देव दनुज गन्धर्व व् किन्नर | भुत पिशाच नाग नारी नर
सब मिल माता तोय मनावे | रात दिन तेरे गुण गावे
जो तेरा बोले जैकारा |होय मात उसका निस्तारा
मना मनौती आकर घर सै | जात लगा जो तोंकू परसै
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे | गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै
हलुआ पूरी भोग लगावै | रोली मेहंदी फूल चढ़ावे
जो लांगुरिया गोद खिलावै | धन बल विध्या बुद्धि पावै
जो माँ को जागरण करावै | चाँदी को सिर छत्र धरावै
जीवन भर सारे सुख पावै | यश गौरव दुनिया में छावै
जो भभूत मस्तक पै लगावे | भुत प्रेत न वाय सतावै
जो कैला चालीसा पड़ता | नित्य नियम से इसे सुमरता
मन वांछित वह फल को पाता | दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता
गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी | रक्षा कर कैला महतारी
दोहा : संवत तत्व गुण नभ भुज सुन्दर रविवार
पौष सुदी दौज शुभ पूर्ण भयो यह कार
शरण पडू में चरण में जोडू दोनों हाथ ||
जय जय जय कैला महारानी | नमो नमो जगदम्ब भवानी
सब जग की हो भाग्य विधाता| आदि शक्ति तू सबकी माता
दोनों बहिना सबसे न्यारी | महिमा अपरम्पार तुम्हारी
शोभा सदन सकल गुणखानी | वैद पूराणन माँही बखानी
जय हो मात करौली वाली | शत प्रणाम कालीसिल वाली
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी | हिंगलाज में तू महतारी
तू ही नई सैमरी वाली | तू चामुंडा तू कंकाली
नगर कोट में तू ही विराजे | विंध्यांचल में तू ही राजै
घोलागढ़ बेलौन तू माता | वैष्णवदेवी जग विख्याता
नव दुर्गा तू मात भवानी | चामुंडा मंशा कल्याणी |
जय जय सूये चोले वाली | जय काली कलकत्ते वाली
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी | पार्वती तू ही इन्द्राणी
सरस्वती तू विध्या दाता | तू ही है संतोषी माता
अन्नपुर्णा तू जग पालक | मात पिता तू ही हम बालक
ता राधा तू सावित्री | तारा मतंग्डिंग गायत्री
तू ही आदि सुंदरी अम्बा | मात चर्चिका हे जगदम्बा
एक हाथ में खप्पर राजै | दूजे हाथ त्रिशूल विराजै
काली सिल पै दानव मारे | राजा नल के कारज सारे
शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी | महिषासुर को मारनवारी
रक्तबीज रण बीच पछारो | शंखा सुर तैने संहारो
ऊँचे नीचे पर्वत वारी | करती माता सिंह सवारी
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे | तीन लोक में यश फैलावे
अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै | चाँदी के चौतरा विराजै
लांगुर घटूअन चलै भवन में | मात राज तेरौ त्रिभुवन में
घनन घनन घन घंटा बाजत | ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत
अगनित दीप जले मंदिर में | ज्योति जले तेरी घर – घर में
चौसठ जोगिन आंगन नाचत | बामन भैरों अस्तुति गावत
देव दनुज गन्धर्व व् किन्नर | भुत पिशाच नाग नारी नर
सब मिल माता तोय मनावे | रात दिन तेरे गुण गावे
जो तेरा बोले जैकारा |होय मात उसका निस्तारा
मना मनौती आकर घर सै | जात लगा जो तोंकू परसै
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे | गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै
हलुआ पूरी भोग लगावै | रोली मेहंदी फूल चढ़ावे
जो लांगुरिया गोद खिलावै | धन बल विध्या बुद्धि पावै
जो माँ को जागरण करावै | चाँदी को सिर छत्र धरावै
जीवन भर सारे सुख पावै | यश गौरव दुनिया में छावै
जो भभूत मस्तक पै लगावे | भुत प्रेत न वाय सतावै
जो कैला चालीसा पड़ता | नित्य नियम से इसे सुमरता
मन वांछित वह फल को पाता | दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता
गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी | रक्षा कर कैला महतारी
दोहा : संवत तत्व गुण नभ भुज सुन्दर रविवार
पौष सुदी दौज शुभ पूर्ण भयो यह कार
धर्म ग्रंथों के अनुसार सती के अंग जहां-जहां गिरे वहीं एक शक्तिपीठ का उदगम हुआ। उन्हीं शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ कैलादेवी है। कैला देवी को आदि शक्ति के रूप में भी जाना जाता है। वे अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली हैं। नित्य प्रतिदिन कैला देवी चालीसा का पाठ करने से कैला देवी की कृपा बनी रहती है।
चैत्रामास में शक्तिपूजा का विशेष महत्व होता है। इस महीने में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। कैला देवी भी मां दुर्गा का ही एक रूप हैं, जो आदि शक्ति हैं। राजस्थान के करौली जिला मुख्यालय से दक्षिण दिशा की ओर 24 किलोमीटर की दूरी पर पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य त्रिकूट पर्वत पर विराजमान कैला मैया का दरबार चैत्रामास में लघुकुम्भ नजर आता है। इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी संख्या होती है। कैला देवी चालीसा का पाठ करने से कैला देवी की कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
चैत्रामास में शक्तिपूजा का विशेष महत्व होता है। इस महीने में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। कैला देवी भी मां दुर्गा का ही एक रूप हैं, जो आदि शक्ति हैं। राजस्थान के करौली जिला मुख्यालय से दक्षिण दिशा की ओर 24 किलोमीटर की दूरी पर पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य त्रिकूट पर्वत पर विराजमान कैला मैया का दरबार चैत्रामास में लघुकुम्भ नजर आता है। इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी संख्या होती है। कैला देवी चालीसा का पाठ करने से कैला देवी की कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कैला चालीसा का (Kaila Chalisa) महत्व
कैला देवी को एक तरह से श्रीकृष्ण की बहन ही माना जाता है जिनका जन्म यशोदा माता के गर्भ से हुआ था। कैला देवी की पूजा करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- कैला देवी की कृपा प्राप्त होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- धन, वैभव और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- जीवन में सफलता मिलती है।
- कष्ट और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
कैला देवी चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है क्योंकि कैला देवी को ही कलियुग में शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। कैला देवी चालीसा का पाठ करने से कैला देवी की कृपा प्राप्त होती है और वे अपने भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती हैं।
कैला देवी चालीसा का पाठ शनिवार के दिन करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। शनिवार के दिन कैला देवी की पूजा-अर्चना करने से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। कैला देवी चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर कैला देवी की मूर्ति या तस्वीर रखें। कैला देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक, धूप और फूल अर्पित करें। कैला देवी चालीसा का पाठ करें। पाठ के अंत में कैला देवी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
कैला देवी चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
- कैला देवी चालीसा का पाठ हमेशा शनिवार के दिन करना चाहिए।
- कैला देवी चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- कैला देवी चालीसा का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
- कैला देवी चालीसा का पाठ श्रद्धापूर्वक करें।
कैला माता चालीसा के लाभ Kaila Mata Chalisa Benefits In Hindi
कैला माता चालीसा के पाठ से कई लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
सांसारिक मोहमाया से मुक्ति मिलती है।
जल्दी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
भवसागर से पार होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
धन, वैभव और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
जीवन में सफलता मिलती है।
कष्ट और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
कैला माता चालीसा का पाठ करने से कैला माता की कृपा प्राप्त होती है और वे अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। कैला माता चालीसा में कैला माता की महिमा का वर्णन किया गया है। कैला माता चालीसा का पाठ करने से कैला माता की कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कैला माता चालीसा का पाठ शनिवार के दिन करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। शनिवार के दिन कैला माता की पूजा-अर्चना करने से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। कैला माता चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर कैला माता की मूर्ति या तस्वीर रखें। कैला माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक, धूप और फूल अर्पित करें। कैला माता चालीसा का पाठ करें। पाठ के अंत में कैला माता से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
कैला देवी चालीसा के पाठ से अनेक लाभ होते हैं-
कैला देवी चालीसा का पाठ करने के कुछ अतिरिक्त लाभ निम्नलिखित हैं:
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- आध्यात्मिक लाभ: कैला देवी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह उन्हें देवी की कृपा प्राप्त करने और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।
- मानसिक लाभ: कैला देवी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह उन्हें मानसिक शांति, तनाव से मुक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
- शारीरिक लाभ: कैला देवी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह उन्हें रोगों से मुक्ति और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
- सामाजिक लाभ: कैला देवी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को सामाजिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह उन्हें सफलता, समृद्धि और खुशहाल जीवन प्रदान करता है।
कैला देवी चालीसा का पाठ करने के कुछ अतिरिक्त लाभ निम्नलिखित हैं:
- यह भक्तों को देवी की शक्ति और दया का अनुभव करने में मदद करता है।
- यह भक्तों को देवी के प्रति समर्पण और भक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
- यह भक्तों को देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
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