अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं मीनिंग

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं मीनिंग

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं  दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌ ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि
 
Atulitbal Dhamam Hem Shailaabh Deham, Danujvan Krishanu Gyaninaam Agryanam,
Sakal Gun Nidhan Varanamdheesh Raghupati Priy Bhaktam Vaatjaat Namaami.


अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं मीनिंग

श्री हनुमान जी अतुलितबल के स्वामी हैं। में स्वर्ण पर्वत, सुमेरु के समान प्रकाशित हैं। श्री हनुमान दानवों के जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में हैं। वे ज्ञानियों में अग्रणी रहते हैं। श्री हनुमान समस्त गुणों के स्वामी हैं और वानरों के प्रमुख हैं। श्री हनुमान रघुपति श्री राम के प्रिय और वायु पुत्र हैं।

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं Atulitbaldhamam Hemshailabhdeham

 
अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी)
अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य;  आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि।
हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान।
दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में।
कृशानु -
अग्नि, आग।
ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले।
सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है।
वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता।
रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय।
वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। 
 
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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