कपर्दक भस्म के फायदे और उपयोग Kapardak Bhasm Benefits Usages Hindi

कपर्दक भस्म के फायदे और उपयोग Kapardak Bhasm Benefits Usages Hindi

कपर्दक भस्म क्या होती है Kapardak Bhasm Kya Hoti Hai

कौड़ी से बनाई जाने वाली भष्म को कपर्दक भस्म कहते हैं। कपर्दक को ही वराटिका, श्वेता, काकिणी, नक्का, हिरण्य, बराट, वराट, कौड़ी, काकनी, पणस्थि, वराटक, कपर्दिका आदि नामों से जाना जाता है। यह घोंघे की भांति एक समुद्री जीव होता है जिसके ऊपर कठोर अस्थि का खोल लगा रहता है। कपर्दक भस्म को ही विराटिक भस्म के नाम से जाना जाता है।

कपर्दक भस्म के फायदे और उपयोग Kapardak Bhasm Benefits Usages Hindi

कौड़ी तीन तरह की होती हैं यथा सफ़ेद कौड़ी, पीली कौड़ी और शोना (Red Coudi-बड़ी कौड़ी) कौड़ी। इनमें से पीली कौड़ी का उपयोग ओषधि निर्माण के लिए प्रधान रूप से किया जाता है। कौड़ी स्वंय में कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) होता है। कपर्दक भष्म को ही वराटिका भस्म, कपर्दिक भस्म, कौड़ी भस्म तथा कपर्दी भस्म ( Varatika Bhasma, Kapardik Bhasma, Kapardak Bhasm ) के नाम से जाना जाता है। मंदाग्नि और अजीर्ण के इसका सेवन अधिक लाभकारी होता है। कपर्दक भस्म यह पित्तशामक, यह कफनाशक, शूलघ्न होती है। कपर्दक भस्म दीपन, पाचन और ग्राही होती है। इसके सेवन से अम्लपित्त से राहत मिलती है। कपर्दक भष्म पेट दर्द ,अम्ल पित्त, भूख की कमी, गैस इत्यादि रोगों में अधिक उपयोगी होती है। कपर्दक भस्म कोष्ठस्थ वातनाशक, शलग्न और पाचक होती है। यकृत, प्लीहा, आमाशय और ग्रहणी विकारों में कपर्दक भस्म का उपयोग लाभप्रद होता है।

कपर्दक भष्म की तासीर क्या होती है ? (Kaprdak Bhasm ki Taseer Kaisi Hoti Hai)

कपर्दक भस्म की तासीर गर्म होती है। कपर्दक भष्म का रस तिक्त और कटु होता है, इसका विपाक कटु और वीर्य उष्ण होता है।

कपर्दक भष्म का उपयोग कहाँ किया जाता है ? (Usaes of Kapardak Bhasma/Viratak Bhashma in Hindi)

कपर्दक भष्म का उपयोग प्रधान रूप से पाचन तंत्र के विकारों के उपचार के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग निम्न विकारों के लिए किया जाता है। 

अम्लपित्त : कपर्दक भष्म का उपयोग अम्लपित्त के उपचार के लिए किया जाता है। अम्लपित्त जिसे हम सामान्य रूप से एसिडिटी कहते हैं एक तरह उदर व्याधि है जिसमें पित्त बिगड़ जाता है। पित्त अम्लीय हो जाता है और खट्टी डकारें आने लगती हैं। पित्त का खट्टा हो जाना ही अम्ल पित्त होता है। उल्लेखनीय है की सामान्य पित्त खट्टा नहीं होता है और दुर्गन्ध नहीं देता है तथा स्वाद में कटु और गर्म होता है। अम्ल पित्त कई कारणों से पैदा होता है यथा शरीर में पित्त के अधिकता, अधिक मिर्च मसालों का तैलीय भोजन, पाचन तंत्र की कमजोरी और दूषित भोजन आदि। अम्ल पित्त के लक्षणों में खट्टी डकारों का आना, कब्ज रहना, आफरा, छाती में जलन, गैस का बनना, मुंह में पानी का आना, मानसिक तनाव, पेट का भारी रहना, दांतों और आखों का कमजोर होना, मुंह के छाले, पेट में जलन, पेशाब में जलन आदि। कपर्दक भस्म अम्ल पित्त के उपयोगी होती है। कपर्दक भस्म के अतिरिक्त आमलकी चूर्ण, यष्ठीमधु चूर्ण आदि अम्लपित्त के लिए उपयोगी होते हैं। 

ग्रहणी (Malabsorption syndrome) : ग्रहणी रोग पाचन तंत्र का ही एक विकार है। पाचनसंस्थांगत इस विकार का प्रमुख कारण मंदाग्नि होता है। 

षष्ठी पित्तधरा नाम या कला परिकीर्तिता ।
पक्वामाशयमध्यस्था ग्रहणी सा प्रकीर्तिता
 
इसमें रोगी के कभी मल का बंधा हुआ आना होता है तो कभी मल अत्यंत ही पतला आता है, लगभग द्रव्य रूप में। बार बार मरोड़ का उठना, हाथ और पाँव में दर्द का रहना, मुंह का फीका रहना, प्यास का बने रहना आदि कपर्दक भष्म के अतिरिक्त इस विकार में बिल्व, बिल्वादि चूर्ण, कुटज घनवटी, तक्र अहिफेन, धत्तूर, बिल्व मज्जा चूर्ण, इसबगोल चूर्ण, शुण्ठादि चूर्ण, पिप्लाद्य चूर्ण, भूनीनिम्बादि चूर्ण, नागराद्य चूर्ण, रास्नादि चूर्ण, कुटज घनवटी, कुटजादि विशेष योगचूर्ण, सर्जरस चूर्ण उपयोगी होता है। ग्रहणी विकार में इसका सेवन सूखे बेल पत्र के चूर्ण के साथ सेवन करना लाभकारी होता है।

कपर्दक भस्म का उपयोग निम् विकारों के निदान के लिए किया जाता है। 
  • अजीर्ण -पाचन के कमजोरी।
  • पेट का भारीपन।
  • एसिडिटी,
  • पक्तिशूल (Duodenal ulcer)
  • रक्तपित्त (रक्त का बहना)
  • अग्निमांद्य (Digestive impairment)
  • कर्ण स्राव (Otorrhoea)
  • नेत्ररोग (Eye disorder)
  • क्षय (Pthisis)
  • स्फोट (Boil)
  • यह पाचन उत्तेजक होती है। 
  • कपर्दक भस्म अम्लत्वनाशक होती है। 
  • यह ओषधि आक्षेपनाशक होती है।
  • यह उदर वायुनाशी होती है। 
  • जी मिचलाना और खट्टी डकारों के साथ यह वमनरोधी होती है। 
  • यह आम पाचक, अध्यमान रोकने वाला भी होती है। 

कपर्दक भस्म के फायदे/लाभ Kapardak Bhasma Ke Benefits in Hindi

  • अम्ल पित्त के निदान के लिए कपर्दक भस्म का उपयोग श्रेष्ठ होता है। इसके साथ अविपत्तिकर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण, अग्निसंदीपन चूर्ण, बिल्वादि चूर्ण श्रेष्ठ परिणाम देते हैं। पाचन तंत्र के दुरुस्त होने पर भूख में भी वृद्धि होती है। यह बढे हुए अम्ल को निष्क्रिय करती है।
  • पेट दर्द में भी कपर्दक भस्म लाभकारी होती है। 
  • आँतों की सूजन और आँतों के दर्द को दूर करने में भी कपर्दक भस्म अत्यंत ही लाभकारी होती है। 
  • पेट के आफरा (गैस/पेट का फूलना) विकार में भी कपर्दक भस्म के सेवन से लाभ मिलता है।
  • कपर्दक भस्म वायुनाशक, सूजन दूर करने वाली और वात शामक होती है।  
  • यह भस्म उदर अम्ल स्त्राव को नियंत्रित करने में सहायक होती है। 
  • कपर्दक भस्म भूख को जाग्रत करती है और भोजन में रूचि पैदा करने में सहायक होती है। 
  • मुंह के सूखने पर इसे आप आवला चूर्ण के साथ या मुलेठी चूर्ण के साथ कपर्दक भष्म का उपयोग लाभकारी होता है। हाथ पैर की जलन भी इससे ठीक होती है। 
  • मघपिप्पल चूर्ण और शहद के साथ इसका सेवन करने से स्वांस नली के संक्रमण, सांस का उठना आदि में लाभ मिलता है। 
  • स्वास विकारों को दूर करने के लिए आप कपर्दक भस्म का उपयोग मक्खन के साथ करने पर लाभ मिलता है। 
  • यह रोगप्रतिरोधक शक्ति का विकास करने में सहायक होती है। 
  • कर्णस्राव होने पर कपर्दक भस्म को कान में डाला जाता है इसके उपरान्त निम्बू का रस या मीठा तेल /सिद्ध तेल डालने से कान से पानी निकलना विकार दूर होता है। 
  • आमातिसार और ग्रहणी विकारों में लाभदाई होती है। 
  • खराब पाचन के कारण पेट में गैस के गोले बनना और इधर उधर सरकना, पेट का दर्द होना आदि विकारों में कपर्दक भस्म के साथ आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से लाभ मिलता है।

कपर्दक भस्म का उपयोग और सेवन विधि  Doses of Kapardak Bhasma

इस ओषधि का सेवन पूर्ण रूप से वैद्य की सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए। इसे जीभ पर सीधे नहीं रखना चाहिए, अन्यथा जीभ कट सकती है। इसका सेवन वैद्य के द्वारा बताई गई निश्चित मात्रा के अनुरूप मिश्री के साथ गाय के घी के साथ ही किया जाना चाहिए। इसे मक्खन और मलाई के साथ भी सेवन किया जाता है। इस ओषधि का सेवन भोजन के उपरान्त चने के दाने से लेकर राजमा के दाने तक की मात्रा में किया जाता है। २ रति से ४ रत्ती (250 mg से 500 mg) सुबह शाम शहद से या चिकित्सक के परामर्श अनुसार इसका सेवन करें।

कपर्दक भस्म/पीली कौड़ी भस्म कैसे बनती है ? How To Make Kapardak/Koudi Bhasma Hindi

कपर्दक भस्म बनाने का तरीका भी अत्यंत ही सरल है। सबसे पहले हम पीली कौड़ी को शुद्ध करेंगे। इसे शुद्ध करने के लिए १०० ग्राम निम्बू के रस को ५०० ग्राम पानी में डाल अच्छे से गर्म कर लें। निम्बू रस मिले इस पानी में १०० ग्राम पीली कौड़ी को डाल दें। १० से पंद्रह मिनट तक इसे गर्म करते रहें जब तक की पानी सूखने लग जाय। अब इसे आंच से उतार दे और पूर्ण रूप से ठंडा होने पर कौड़ी को साफ़ पानी से धों लें। यह अब शुद्ध हो चुकी है।
भस्म बनाने के लिए आप हम लगभग आधा किलो उपले का आंच तैयार करेंगे और उस पर तवे को गर्म कर लेंगे। तवे के गर्म होने पर हम इस पर शुद्ध किये गए कौड़ी को रखेंगे और ऊपर से किसी अन्य तवे या ढकने के पात्र से ढक देंगे। इसके उपरान्त आप कोयले से ही ऊपर से ढक दें। कोयले के ठन्डे होने पर आप कौड़ी को निकाल लें। आप देखेंगे की भस्म पक कर सफ़ेद हो जाती है। अब इसे खरड़ में पीस लें। इसे अब आप काँच के पात्र में स्टोर कर लें।

इसके सेवन में सावधानियां Precaution of Usages of Kapardak Bhasma

  • कपर्दक भस्म का सेवन वैद्य द्वारा बताई गई निश्चित मात्रा और सेवन विधि के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
  • कपर्दक भस्म का उपयोग सीधे नहीं करना चाहिए इसे गिलोय सत, मिश्री, गाय का घी या मुलेठी के साथ लिया जाना चाहिए।
  • इस ओषधि के सेवन करने के दौरान दूध का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • आप दूध के स्थान पर दही और छाछ का उपयोग करें।
  • केला और अनार का सेवन अधिक करें। 

कपर्दक भष्म के साइड इफेक्ट्स, दुष्परिणाम Side Effects of Kapardak Bhashma Hindi

कपर्दक भष्म के कोई ज्ञात दुष्परिणाम नहीं होते हैं फिर भी आप को सलाह है की इस ओषधि के सेवन से पूर्व वैद्य की राय अवश्य प्राप्त कर लेंवे। वैद्य के द्वारा बताई गई निश्चित मात्रा से अधिक का सेवन ना करें। 

कपर्दक भष्म प्राइस Kapardak Bhashma Price Hindi

विभिन्न निर्माताओं के द्वारा कपर्दक भष्म का निर्माण किया जाता है। आप निचे दिए गए लिंक पर विजिट करके सबंधित निर्माता का मूल्य जान सकते हैं। 

पतंजलि कपर्दक भष्म Patanjali Kapardak Bhasma

Divya Kapardak Bhasma 5 gm मूल्य रूपये MRP: Rs 9
Kapardak bhasma gives relief from chronic indigestion problems, acidity, flatulence, colic pains, etc. Unbalanced diet and sedentary lifestyle constantly harm and weaken our digestive systems. Kapardak bhasma is a time-tested formulation that soothes the stomach, heals the damages from contaminations, treats ulcers and boosts digestion. It is made from herbal extracts with natural detoxifying and antibacterial properties. Take kapardak bhasma regularly to give you lasting relief from lingering digestive ailments. Experience the soothing relief of ayurvedic medication with kapardak bhasma.

Link : https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/bhasma/kapardak-bhasma/71

Baidyanath Kapardak Bhasma बैद्यनाथ कपर्दक भस्म

10 GM एमआरपी : 82.00
घटक द्रव्य: पीली कौड़ी निंबू स्वरस में शास्त्रानुसार विधि से निर्मित
चिकित्सीय उपयोग: पेट दर्द ,अम्ल पित्त, भूख की कमी, गैस इत्यादि रोगों में उपयोगी
संदर्भ: रसेंद्र सार संग्रह
सेवन मात्रा: २ रति से ४ रत्ती सुबह शाम शहद से या चिकित्सक के परामर्श अनुसार. 
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
संदर्भ/सोर्स Reference
रसेंद्र सार संग्रह Rasendra Saar Sangrah
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1 टिप्पणी

  1. सादर आभार.....