गुरु मोहे उबारो भवसागर अति भारो
गुरु मोहे उबारो भवसागर अति भारो
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो,
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह का,
हो रह्यो जय जयकारो।।
आशा तृष्णा नदियां बह रही,
कहीं ना देखे किनारो,
कहीं ना देखे किनारो,
सत्य, न्याय की बात ना माने,
देख लियो सब धारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
भवसागर से आप दयालु,
करते तुरंत उबारो,
अब मैं नाथ शरण में तेरी,
और नहीं सहारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
शरणागत की लाज बचाओ,
सांचो वृहद तुम्हारो,
भक्तजनों पर भीड़ पड़ी जब,
आप लिया अवतारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
जय शिवानंदजी यूं समझावै,
गुरु बिन कोई भव मेटे हारो,
निसदिन ध्यान धरो सतगुरु का,
और न कोई हमारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो,
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह का,
हो रह्यो जय जयकारो।।
भवसागर अति भारो,
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह का,
हो रह्यो जय जयकारो।।
आशा तृष्णा नदियां बह रही,
कहीं ना देखे किनारो,
कहीं ना देखे किनारो,
सत्य, न्याय की बात ना माने,
देख लियो सब धारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
भवसागर से आप दयालु,
करते तुरंत उबारो,
अब मैं नाथ शरण में तेरी,
और नहीं सहारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
शरणागत की लाज बचाओ,
सांचो वृहद तुम्हारो,
भक्तजनों पर भीड़ पड़ी जब,
आप लिया अवतारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
जय शिवानंदजी यूं समझावै,
गुरु बिन कोई भव मेटे हारो,
निसदिन ध्यान धरो सतगुरु का,
और न कोई हमारो,
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो।।
गुरु मोहे उबारो,
भवसागर अति भारो,
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह का,
हो रह्यो जय जयकारो।।
भजन - गुरु मोहे उभारो भव सागर अति भारो Full HD
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Author - Saroj Jangir
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