दुनिया के रंग रूप में क्यों हो गया मगन माँ

दुनिया के रंग रूप में क्यों हो गया मगन माँ

(मुखड़ा)
दुनिया के रंग रूप में,
क्यों हो गया मगन,
आ जा, आ जा, आ जा शरण,
ले पकड़ माँ के चरण।।

(श्लोक)
हे जगत जननी,
भवानी शारदे,
माँ हमें भी ज्ञान का भंडार दे।
तेरे सेवक सुर, असुर, नर और मुनि,
तेरी सेवा सेवकों को तार दे।
मुझको भी चरणों की सेवा में लगा,
माँ, मैं नहीं कहता मुझे संसार दे।
भूल-भूल की भूल भई,
जो मैं भूला माँ को,
मैं भूला तो भूल भई,
पर तुम मत भूलियो माय।।

(अंतरा)
माँ शारदे का प्यार तू,
दिल में बसा के देख,
हृदय में माँ की ज्योति ज़रा,
तू जला के देख।
आती है सारी दुनिया, ज़रा
तू भी आ के देख।
अर्पण तो कर दे चरणों में,
श्रद्धा के कुछ सुमन।
आ जा, आ जा, आ जा शरण,
ले पकड़ माँ के चरण।।

(अंतरा)
ये धन, ये मोह-माया की,
नगरी को छोड़ के,
दुनिया के झूठे नातों से,
मुख अपना मोड़ के।
आ बैठ माँ के सामने,
हाथ अपने जोड़ के।
लिखा करम ना बदलेगी,
कर ले उसे नमन।
आ जा, आ जा, आ जा शरण,
ले पकड़ माँ के चरण।।

(अंतरा)
रहता है खोया-खोया सा,
क्यों अपने आप में,
यह तन मिला है, इसको ना
कर व्यर्थ पाप में।
जितना बचा है, उसको लगा
माँ के जाप में।
जगरातियों के साथ में,
कर दो घड़ी भजन।
आ जा, आ जा, आ जा शरण,
ले पकड़ माँ के चरण।।

(पुनरावृत्ति)
दुनिया के रंग रूप में,
क्यों हो गया मगन,
आ जा, आ जा, आ जा शरण,
ले पकड़ माँ के चरण।।


Aaja Aaja Aaja Saharan Le Pakad Maa Ke Charan | Shakeel Ahmad | Original Audio | आजा आजा आजा शरण

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माँ शारदे की शरण में आने की यह पुकार भक्त के हृदय की गहरी भक्ति और संसार की माया से मुक्ति की तड़प को दर्शाती है। दुनिया के रंग-रूप में खोया मन जब माँ के चरणों की ओर लौटता है, तब उसे सच्चा सुख और ज्ञान का भंडार प्राप्त होता है। माँ, जो जगत की जननी हैं, सुर, असुर, नर और मुनियों की सेविका हैं, अपने भक्तों को उनकी सेवा में तार देती हैं। भक्त की यह प्रार्थना कि माँ उसे अपनी सेवा में लगाए, न कि संसार की माया दे, उसकी आत्मिक शुद्धता और समर्पण को उजागर करती है। वह अपनी भूल को स्वीकार करता है, पर माँ से विनती करता है कि वह उसे कभी न भूले, क्योंकि माँ की ममता ही उसका एकमात्र सहारा है।

यह भक्ति का वह स्वरूप है, जो भक्त को संसार के झूठे नातों और मोह-माया से मुक्त होने की प्रेरणा देता है। माँ के सामने हाथ जोड़कर, श्रद्धा के सुमन अर्पित कर, और उनके जाप में समय बिताकर भक्त अपने जीवन को सार्थक बनाता है। माँ की ज्योति हृदय में जलाने से सारी दुनिया उसके सामने झुकती है, और वह उस अनंत प्रेम और शक्ति का अनुभव करता है, जो माँ के चरणों में बसता है। जगरातों में भजन गाकर, माँ के सामने नमन कर, भक्त अपने तन-मन को पाप से बचाता है और माँ की कृपा में लीन हो जाता है। यह भक्ति का वह भाव है, जो भक्त को सिखाता है कि माँ के चरणों की शरण ही जीवन की सच्ची मंजिल है, और संसार की माया से ऊपर उठकर केवल माँ का प्रेम ही उसका सच्चा धन है।
 
नवरात्रि या किसी भी शुभ अवसर पर माता रानी की पूजा के लिए सबसे पहले घर में साफ-सुथरी जगह पर चौकी बिछाकर उस पर लाल कपड़ा बिछाया जाता है। फिर माता की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित किया जाता है और उन्हें लाल चुनरी, फूल-माला, इत्र, चूड़ियाँ, मंगलसूत्र, हल्दी, कुमकुम, सिन्दूर, अष्टगंध आदि अर्पित किए जाते हैं। 
 
माता को स्नान कराने के लिए गंगाजल या पंचामृत का प्रयोग किया जाता है। पूजा के दौरान दीपक जलाया जाता है, फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है तथा दुर्गा सप्तशती, देवी स्तोत्र या सहस्रनाम का पाठ किया जाता है। पूजा करते समय साधक को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए और श्रद्धा व भक्ति के साथ माता का ध्यान करना चाहिए। पूजा के अंत में आरती की जाती है और प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की विधिवत पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

Song : aaja aaja aaja Saharan Le Pakad Maa Ke Charan
Singer : Shakeel Ahmad (9552849794)
Lyrics : Shakeel Ahmad
Music : Bablu methuse
Recording : NVR Studio Jabalpur
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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