दयावान प्रभु को भुला देने वाले

दयावान प्रभु को भुला देने वाले

(मुखड़ा)
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले,
आख़िर तेरा क्या,
ठिकाना बनेगा,
आएगा जब रे,
बुलावा वहाँ से,
कोई न कोई तो,
बहाना बनेगा।
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले।।

(अंतरा 1)
जो प्रेम तुझको,
लुटाना था प्रभु पे,
वो प्रेम तुमने,
लुटाया जगत में,
आएगा एक दिन,
ऐसा भी मौका,
दुश्मन तेरा ये,
ज़माना बनेगा।
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले।।

(अंतरा 2)
जब तक हैं साँसे,
भजन उनका कर ले,
सदा उर में ईश्वर की,
तस्वीर भर ले,
अच्छा बुरा तेरे,
सारे कर्म का,
तेरे बाद तेरा,
फ़साना बनेगा।
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले।।

(अंतरा 3)
करना कठिन है,
सहना कठिन है,
भक्ति की राहों पे,
चलना कठिन है,
उन्हीं को मिलेगी,
ईश्वर की भक्ति,
जो दिल से प्रभु का,
दीवाना बनेगा।
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले।।

(पुनरावृति - मुखड़ा)
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले,
आख़िर तेरा क्या,
ठिकाना बनेगा,
आएगा जब रे,
बुलावा वहाँ से,
कोई न कोई तो,
बहाना बनेगा।
दयावान प्रभु को,
भुला देने वाले।।


दयावान प्रभु को भुला देने वाले,आख़िर तेरा क्या ठिकाना बनेगा...चेतावनी भजन by Dhiraj Kant. 8010788843

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जीवन की आपाधापी में मनुष्य अक्सर उस दयावान सत्ता को भूल जाता है, जो हर पल उसका मार्गदर्शन करती है। यह भूल नहीं केवल एक क्षणिक चूक नहीं, बल्कि एक ऐसी दूरी है जो आत्मा को सच्चे ठिकाने से वंचित कर देती है। वह प्रेम, जो उस परम शक्ति के प्रति होना चाहिए, जब सांसारिक मोह में बंट जाता है, तब मनुष्य अपने ही बनाए मायाजाल में उलझ जाता है। यह संसार, जो क्षणिक सुखों का आभास देता है, अंत में एक कठोर सत्य बनकर सामने आता है, जहां हर कर्म का हिसाब मांगता है। उस समय, जब परम सत्ता का बुलावा आता है, मनुष्य के पास केवल बहाने ही बचते हैं, जो उसे उस अनंत कृपा से दूर रखते हैं।

भक्ति का मार्ग कठिन है, पर यही वह पथ है जो मनुष्य को सच्चे अर्थ में मुक्ति की ओर ले जाता है। जब तक सांसें हैं, मनुष्य के पास अवसर है कि वह अपने हृदय में उस ईश्वरीय तस्वीर को संजो ले, उसके भजन गाए, और अपने कर्मों को शुद्ध कर ले। यह वह दीवानगी है, जो सच्चे भक्त को उस परम सत्ता के करीब लाती है। जो इस मार्ग पर चल पड़ता है, वह न केवल अपने जीवन को अर्थ देता है, बल्कि उस अनंत कृपा का पात्र बनता है, जो सांसारिक बंधनों से परे है। यह भक्ति ही है जो मनुष्य को यह सिखाती है कि सच्चा ठिकाना वही है, जहां प्रभु का प्रेम और उसकी याद हर पल जीवंत रहती है।
 
Lyrics- Shree Fanibhushan Choudhary.
Singer- Dhiraj Kant.
Tabla- Ravish kumar.
Recording- Sumit Mishra.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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