दर्शन का हूँ अभिलाषी कृष्णा भजन

दर्शन का हूँ अभिलाषी कृष्णा भजन

जब से तेरे द्वार पे आया,
एक सुकून मिला,
दिल ये जिसे ढूंढता आया,
वो वजूद मिला,
छाए जब बादल ग़म के,
तुझे याद किया सांवरिया,
हारे जब सारे जग से,
तूने साथ दिया,
बाबा मैं हूं दास तेरा,
दर्शन का हूं अभिलाषी,
बाबा, अब बुझा दो ना,
नैनों की ये प्यास हमारी।।

तर्ज – जब जब तेरे पास में आया।

जो भी तेरे खाटू गया,
बिन मांगे बाबा,
सब कुछ है पाया,
पाई खुशी दर से तेरे,
उनको मिला है तेरा सहारा,
क्या कुछ ना मिला,
ये जानूं मैं, जग जाने ना,
बाबा मैं पुकार रहा,
दर्शन दे दो गिरधारी,
बाबा, अब बुझा दो ना,
नैनों की ये प्यास हमारी।।

कोई नहीं था जब मेरा,
तुमने ही हाथों को मेरे थामा,
हाथ फेरा सिर पे मेरे,
तुमने मुझे फिर दर्शन दिखाया,
फिर हुआ ये कमाल,
ये जानूं मैं, जग जाने ना,
बाबा, क्या है तेरी कृपा,
दुनिया न जाने ये सारी,
बाबा, अब बुझा दो ना,
नैनों की ये प्यास हमारी।।

करता ‘विनय’ दास तेरा,
सुन लेना प्रभु इक अर्जी हमारी,
खाटू में ही रहना मुझे,
करता रहूं सदा सेवा तुम्हारी,
भक्ति का दो वरदान,
सेवा करूं जब तक हैं प्राण,
बाबा मैं पुकार रहा,
दर्शन दे दो गिरधारी,
बाबा अब संभालो ज़रा,
मैं तो हूं शरण तुम्हारी,
बाबा मैं हूं दास तेरा,
दर्शन का हूं अभिलाषी,
बाबा, अब बुझा दो ना,
नैनों की ये प्यास हमारी।।


दर्शन का अभिलाषी,DARSHAN KA ABHILASHI #khatushyam #shyam

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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