(मुखड़ा) कब से पुकारे तेरे लाल, जाके क्यों माँ बसी हो, तुम पहाड़ पे, कब से पुकारे तेरे लाल।।
(अंतरा) कैसे कोई माँ, बच्चों से दूरी भला, सह सकती है, बोल ओ दाती, भक्तों के बिन तू, रह सकती है, तू भी तो होगी ना बेहाल, तू भी तो होगी ना बेहाल, जाके क्यों माँ बसी हो, तुम पहाड़ पे, कब से पुकारे तेरे लाल।।
आई मिलन की, बेला ओ मैया आजा, दौड़ के आजा, दूर तेरा दर, हम आ सके ना, पर्वत छोड़ के आजा, अर्जी हमारी ना ये टाल, अर्जी हमारी ना ये टाल, जाके क्यों माँ बसी हो, तुम पहाड़ पे, कब से पुकारे तेरे लाल।।
पास बिठा के, तुमको भवानी दिल का, हाल बताते, गुलशन तेरे बिन, सूना है कितना दाती, तुमको दिखाते, सुनने को आजा जरा हाल, सुनने को आजा जरा हाल, जाके क्यों माँ बसी हो, तुम पहाड़ पे, कब से पुकारे तेरे लाल।।
(अंतिम पुनरावृत्ति) कब से पुकारे तेरे लाल, जाके क्यों माँ बसी हो, तुम पहाड़ पे, कब से पुकारे तेरे लाल।।
एक भक्त की पुकार मईया से | कब से पुकारें तेरे लाल | Sonu Rastogi | Sci Bhajan Official
Title :- Kab Se Pukare Tere Laal Singer :- Sonu Rastogi Lyrics :- Ravi Gulsan Music :-Shree Studio Copyright :- SCI BHAJAN OFFICIAL